Helicopter Parenting Can Harm Your Child Confidence: पेरेंटिंग जिम्मेदारी का काम है। पेरेंटिंग एक बड़ा और महत्वपूर्ण काम है जो बच्चे के विकास और पालने के लिए माता-पिता द्वारा किया जाता है। यह शारीरिक, मानसिक, सामाजिक विकास को सपोर्ट और मोटीवेटेशन प्रदान करता है। पेरेंटिंग के काम में बच्चे के सवालों और चुनौतियों को समझना, उन्हें सही गाइडेंस देना, संबंधों को मजबूत बनाना, सामाजिक और नैतिक मूल्यों को सिखाना, स्वास्थ्यपूर्ण जीवनशैली को प्रोत्साहित करना, और बच्चे की ग्रोथ होना शामिल है।
कही आपके बच्चे भी हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के शिकार तो नहीं, आइये समझते है
हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग एक पेरेंटिंग स्टाइल है, जिसमें माता-पिता अपने बच्चों के जीवन में जरूरत से ज्यादा और हमेशा दख़ल करने को माँ बाप का फर्ज समझते है। वे अपने बच्चों की हर एक्टिविटी, फैसलों और अनुभव पर नज़र रखते हैं और उन्हें अपनी नीतियों के अनुसार ही काम करने के लिए मजबूर करते हैं। इस प्रकार के पालन-पोषण में, माता-पिता अक्सर अपने बच्चों को कोई फैसला न लेते हुए खुद ही उनकी समस्याओं या चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हैं, जो बच्चे का कॉन्फिडेंस और आजादी खत्म कर सकता है। इस प्रकार की पेरेंटिंग की खासियत यह है कि वे अपने बच्चों के जीवन में जरूरत से ज्यादा घुसे रहते हैं, लेकिन इसका परिणाम यह होता है कि बच्चे अपने निर्णय कभी नहीं ले पाते।
1. कंट्रोल रखना
हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग में अपने बच्चों की हर हरकत और निर्णय पर नियंत्रण रखने की आदत रखतें है। वे अपने बच्चों के हर काम में दख़ल करने की कोशिश करते हैं, चाहे वह उनकी शिक्षा, उनके दोस्तों, उनके गतिविधियों या निर्णयों से जुड़ी हो। हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग में माता-पिता की यह प्रवृत्ति उनके बच्चों के लिए अत्यधिक प्रेशर और दबाव का कारण बन सकती है, जो उनके सेल्फरिस्पेक्ट और कॉन्फिडेंस को प्रभावित कर सकता है।
2. शक करना
इन माता-पिता के लिए अपने बच्चों की सुरक्षा और सफलता सबसे महत्त्वपूर्ण है, यही कारण है कि वे अपने बच्चों को कोई भी निर्णय लेने की अनुमति नहीं देते हैं। अपने बच्चों के हर फैसले या इच्छा पर संदेह करना और उसे गलत कहना उनकी आदत बन जाती है और उन्हें अपने फैसले अपने बच्चों पर थोपना सही लगता है।
3. अत्यधिक हस्तक्षेप
हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग में माता-पिता अपने बच्चों की हर छोटी से छोटी गतिविधि में घुस जाते हैं और उन पर नज़र रखते हैं। इसके प्रभाव से कही न कही बच्चों का आत्मविश्वास प्रभावित हो सकता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्हें अपने निर्णयों लेने की स्वतंत्रता नहीं दी जाती है। इस प्रकार की पेरेंटिंग स्टाइल के कारण बच्चों में विकास की कमी हो सकती है, जो उनके समाज में सफल होने और स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है।
4. बच्चे अधिक सेंसिटिव हो जाते है
इस प्रकार के पालन-पोषण में बच्चों को लगता है उनका कुछ सोचना और कुछ करना सभी गलत है, जिस वजह से वे अधिक इमोशनल और सेंसिटिव हो जाते है और भविष्य में छोटी-छोटी बातों पर रिएक्ट कर बैठते है।
5. कन्फ्यूज्ड रहते है
हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग में बच्चे अक्सर भ्रमित और शक्की हो जाते हैं। माता-पिता की अत्यधिक निगरानी और हस्तक्षेप के कारण बच्चे अपने निर्णयों पर संदेह करते हैं और परिस्थितियों में स्टेबल महसूस नहीं करते हैं। इस वजह से वह भविष्य में कोई भी फैसला नहीं ले पाते। वह हमेशा कन्फ्यूजन में ही रह जाते है कि कोनसा फैसला सही है और कोनसा नही।