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Puberty में माता-पिता को बेटी का साथ कैसे देना चाहिए?

प्यूबर्टी एक लड़की की जिंदगी में ऐसा समय है जब उसे बहुत सारे शारीरिक और मानसिक बदलावों में से गुजरना पड़ता है। इस समय मां-बाप का सहारा बहुत जरूरी है।

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Rajveer Kaur
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Early Puberty

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How Can Parents Support Daughters In Puberty: प्यूबर्टी एक लड़की की जिंदगी में ऐसा समय है जब उसे बहुत सारे शारीरिक और मानसिक बदलावों में से गुजरना पड़ता है। इस समय मां-बाप का सहारा बहुत जरूरी है। ऐसे समय में बच्चें खुद को अकेला भी महसूस करते हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा होता है कि उनके साथ क्या हो रहा है। ऐसे समय में वो घबरा भी जाते हैं और बात करने से भी झिझकते हैं। यह एक बदलाव का दौर होता है जहां पर शारीरिक और मानसिक बदलाव आने शुरू होते हैं। इसके लिए मां-बाप के द्वारा बच्चों को पहले ही तैयार करने की जरूरत है ताकि एकदम से उन्हें झटका ना लगे। आज हम जानेंगे कि प्यूबर्टी में लड़कियों को कैसे सपोर्ट करना चाहिए-

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Puberty में माता-पिता को बेटी का साथ कैसे देना चाहिए?

उनके साथ बने रहें

इस समय में सबसे ज्यादा लड़की को मां-बाप के साथ की जरूरत होती है क्योंकि उन्हें पीरियड्स आने भी शुरू हो जाते हैं। इसके साथ ही हार्मोनल बदलाव भी देखने को मिलता है। उन्हें मूड स्विंग्स होने लग जाते हैं। उनके ऑर्गन्स डेवलप होना शुरू हो जाते हैं। इस तरीके से अगर आप बच्चों को सपोर्ट करेंगे और उनके साथ इस जर्नी में बने रहेंगे तो बच्चे के लिए ऐसे समय में सब कुछ स्वीकार करना आसान हो जाता है। उसे लगता है कि उसके मां-बाप उसके साथ है और वह जर्नी में अकेला नहीं है क्योंकि बच्चे को बार-बार गाइडेंस की जरूरत पड़ती है।

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उन्हें पहले से जानकारी दें

बच्चों को प्यूबर्टी में जो भी बदलाव आते हैं, इसकी जानकारी पहले से ही देनी चाहिए। आपको 9-10 साल की उम्र के बाद सेक्स एजुकेशन देना शुरू कर देना चाहिए कि जैसे उसे पीरियड्स कब आएंगे, पीरियड्स को कैसे मैनेज करना है, अपनी सेक्सुअलिटी को कैसे एक्सप्लोर करना है। इससे लड़कियां गलत जानकारी का शिकार नहीं होती हैं और आपके साथ भी खुलकर बातचीत करना शुरू कर देती हैं। उन्हें एकदम से झटका नहीं लगता है कि यह मेरे साथ क्या हुआ है या मैं किसके साथ बात करूं और उन्हें अकेलापन नहीं महसूस होता है।

उनकी भावनाओं को वैलिडेट करें

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ऐसे समय में लडकी की भावनाओं में बदलाव आने लग जाते हैं। इसलिए उनके इमोशंस को वैलिडेट करना आपकी जिम्मेदारी बनती है। आप कभी भी उनके इमोशंस को नजरअंदाज मत करें। इससे उसको लगेगा कि उसे कोई भी समझने वाला नहीं है। इस तरीके के व्यवहार से वह डिप्रेशन या स्ट्रेस में जा सकते हैं। वह खुद को अकेला महसूस कर सकते हैं। वह अपनी बातों को आपकी बजाय अपने दोस्तों से कर सकते हैं। इससे गलत संगत में पड़ने के भी चांसेस बढ़ जाते हैं।

उनकी प्राइवेसी की वैल्यू करें

जब आपका लड़की बड़ी हो रही है तो आपको उसकी प्राइवेसी की रिस्पेक्ट करना भी बहुत जरूरी बन जाता है। अगर लड़की अकेले सोना चाहती है या फिर उसे अकेले रूम की जरूरत है तो आप उसे यह जरूर प्रोवाइड करवाएं। अगर वह कमरे के दरवाजे को बंद कर रही है तो आप उसे रोकिए मत। उसके साथ बैठिए और जानने की कोशिश कीजिए कि आखिर वह किन-किन बदलावों में से गुजर रही है। अगर आपको कहीं पर कुछ गलत नजर आ रहा है तो उससे प्यार से डील करें। इस तरह उसकी प्राइवेसी को खत्म करना भी सही नहीं है।

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