Parenting: बच्चों की परवरिश में सकारात्मक रहने के लिए, उनके हर प्रयास की सराहना करें, गलतियों को सीखने के अवसर के रूप में देखें। सकारात्मक अनुशासन अपनाएं, दंड देने की बजाय अच्छा व्यवहार करने पर प्यार दें। अपने बच्चे की खूबियों को पहचानें और उन्हें निखारने में मदद करें। खुद का भी ख्याल रखें और सकारात्मक लोगों से जुड़ें। कोई भी चुनौती अकेले ना झेलें, दूसरों से मदद लें। यह सकारात्मक माहौल आपके बच्चे के विकास में भी सकारात्मक भूमिका निभाएगा।
आइए देखें कैसे आप पालन-पोषण के दौरान पॉजिटिव आउटलुक बनाए रख सकते हैं
1. अपने नजरिए को बदलें
निराशा होना स्वाभाविक है, खासकर जब चीजें जैसी आप चाहते हैं वैसी न हों। लेकिन यह याद रखना ज़रूरी है कि चुनौतियाँ और असफलताएं सीखने का एक ज़रिया हैं। बच्चों से हर बार परफेक्ट होने की उम्मीद न रखें। गलतियों को सीखने के अवसर के रूप में देखें और उनके प्रयासों की सराहना करें। हर छोटी सफलता का जश्न मनाएं, चाहे वह कितनी भी मामूली क्यों न लगे। इससे बच्चे को यह संदेश मिलता है कि आप उन पर विश्वास करते हैं और उनकी मेहनत को महत्व देते हैं। सकारात्मक माहौल में बच्चे खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं और सीखने के लिए प्रोत्साहित होते हैं।
2. सकारात्मक अनुशासन अपनाएं
दंड देने की पुरानी आदत को छोड़ दें। यह न केवल रिश्ते में खटास पैदा करता है बल्कि बच्चे को डर पैदा कर सकता है। इसके बजाय, सकारात्मक सुदृढ़ीकरण का इस्तेमाल करें। जब बच्चा अच्छा व्यवहार करता है तो उसकी तारीफ करें, उसे गले लगाएं या कोई छोटा सा इनाम दें। इससे बच्चे को अच्छा महसूस होगा और वह अच्छा व्यवहार दोहराएगा। वहीं, गलत व्यवहार पर शांत रहकर उसे समझाएं कि उसका व्यवहार गलत क्यों है और सही क्या है। नतीजा निकालने की जल्दी न करें। बातचीत के जरिए उसे सही रास्ते पर लाने का प्रयास करें।
3. अपने बच्चे की ताकतों पर ध्यान दें
हर बच्चे में कोई न कोई खूबी होती है। कई बार माता-पिता बच्चों की कमियों पर ही ज़्यादा ध्यान दे देते हैं। इससे बच्चे का आत्मविश्वास कम होता है। इसके बजाय, अपने बच्चे की खूबियों को पहचाने और उन्हें निखारने में उसकी मदद करें। उसे उन गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें जिनमें वह अच्छा प्रदर्शन करता है। इससे बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ेगा और वह खुद को सक्षम महसूस करेगा। सफलता का अनुभव उसे और सीखने के लिए प्रेरित करेगा।
4. खुद की देखभाल करें
माता-पिता होना एक ज़िम्मेदारी है, लेकिन यह आपकी पहचान नहीं है। अपना ख्याल रखना उतना ही ज़रूरी है जितना अपने बच्चे का ख्याल रखना। तनावग्रस्त और थका हुआ माता-पिता सकारात्मक नहीं रह सकता। इसलिए कुछ समय निकालकर अपने लिए चीज़ें करें, जिससे आपको खुशी मिले। यह शौक पूरा करना हो, दोस्तों से मिलना हो या फिर अकेले में थोड़ा समय बिताना हो। अपनी ज़रूरतों को पूरा करने से आप खुद को तरोताजा महसूस करेंगे और बच्चे की परवरिश भी अधिक उत्साह के साथ कर पाएंगे।
5. दूसरों से जुड़ें और मदद लें
सकारात्मक लोगों से जुड़ें, जो आपका उत्साह बढ़ाएं। अनुभवी माता-पिता या किसी विशेषज्ञ से बात करने में संकोच न करें। कोई भी चुनौती अकेले झेलने की ज़रूरत नहीं है। जो बातें आपको परेशान कर रही हैं उनके बारे में खुलकर बात करें।