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Childhood: कुछ इस तरह बनाएं बच्चे के बचपन को ज्यादा यादगार

पेरेंटिंग : पेरेंट्स के सााथ ही बच्चे में उम्र बढ़ने के साथ-साथ परिस्थितियां भी बदलती जाती हैं। जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढ़ती जाती है वैसे-वैसे उसकी पहचान, उसके काम और उसका दायरा भी बढ़ता जाता है। ऐसे में जरूरी है बच्चे को बचपन से ही विकास में योगदान दें।

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Prabha Joshi
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बच्चों को बचपन में ऑउडोर गतिविधियों को करने दें (Image Credit: Aaj Tak)

Childhood: बच्चों के लिए उनका बचपन बहुत जरूरी होता है। पेरेंट्स को बचपन में बच्चे को हर वो काम करने देना चाहिए जिससे उसका मानसिक और शारीरिक विकास हो। जितना ज्यादा बच्चा अपने बचपन को एक्सप्लोर करेंगा यानि जितना ज्यादा बच्चे को अपना बचपन व्यतीत करने को मिलेगा उतना ज्यादा ही वो विकसित होगा। बच्चों को उनका बचपन हर उस तरह से जीने देना चाहिए जिस तरह वह जीना चाहते हैं। 

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हर उम्र में बच्चे का विकास बढ़ता जाता है। एक व्यक्ति के विकास के लिए जो बहुत जरूरी है वो है उसका बचपन। बचपन में पेरेंट्स बच्चों के लिए बहुत कुछ करते हैं जिससे उनके बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास हो सके। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है पेरेंट्स की भी चिंता बच्चे को लेकर बढ़ती जाती है। स्कूल में उसका एडमिशन कराना, सेविंग्स, बच्चे के लिए ट्यूशन और अन्य बच्चे से जुड़ी जिम्मेदारियां बच्चे की उम्र बढ़ने के साथ बढ़ती जाती हैं। 

पेरेंट्स के सााथ ही बच्चे में उम्र बढ़ने के साथ-साथ परिस्थितियां भी बदलती जाती हैं। जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढ़ती जाती है वैसे-वैसे उसकी पहचान, उसके काम और उसका दायरा भी बढ़ता जाता है। ऐसे में जरूरी है बच्चे को बचपन से ही विकास में योगदान दें जिससे वो आगे और विकसित हो सके। आज बात करेंगे बच्चे के बचपन की। stubborn children

बच्चे का बचपन कैसा हो 

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पेरेंट्स को बच्चे के बचपन के लिए निम्न बतों पर गौर करना चाहिए :-

पर्याप्त खेलने का मौका दें 

बचपन वो समय होता है जब बच्चा ज्यादा से ज्यादा खेलना चाहता है। ऐसे में बच्चे को इंडोर खेल के साथ-साथ ऑउटडोर खेल का भी मौका दें। बहुत से पेरेंट्स अपने बच्चों के प्रति इतने पॉजिसिव होते हैं कि उन्हें बाहर जाकर खेलने का मौका नहीं देते। पेरेंट्स बच्चों के साथ खुद पार्क में जाकर या उनके साथियों के साथ बाहर खेलने का प्रोग्राम बना सकते हैं। 

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कहानियां सुनाएं 

पेरेंट्स बच्चों को महान लोगों की जीवनगाथा सुना कर उनके बचपन को विकसित कर सकते हैं। उनके लिए ऐसी कहानियां चुनें जो बच्चों को सुनने में मजा आए और बच्चे उनको अपने जीवन में उतारें। ऐसे बच्चे नई-नई कहानियों से कुछ सीखेंगे और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होंगे। बच्चे रोचक कहानियों के प्रति सुनने को बहुत ज्यादा उत्सुक होते हैं, ऐसे में उन्हें क्रिएटिव कहानियां सुनाएं। 

छोटी-छोटी कविता और कहानी पढ़ाएं 

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बच्चों को पेरेंट्स ऐसी पुस्तकें लाकर दे सकते हैं जिनमें छोटी-छोटी कविताएं हों और कहानियां हो। कॉमिक बुक्स, पंचतंत्र और अन्य किताबों और कविताओं के जरिए बच्चे न केवल ज्ञान में आगे बढ़ सकेंगे बल्कि बल्कि उनके दिमाग का भी विकास होगा। किताबों से उनके पास एक अच्छा शब्द-भंडार विकसित हो सकेगा। 

क्रिएटिव करने को दें

पेरेंट्स बच्चों को समय-समय पर कुछ क्रिएटिव करने को दे सकते हैं। वैसे तो बच्चे क्रिएटिव ही होते हैं लेकिन उनके मस्तिष्क के विकास के लिए पेरेंट्स ऐसे खिलौने ला सकते हैं जिन्हें ब्रेक कर बनाया जाता हो। ऐसे खिलौने जिनके पार्ट्स अलग करने हो और फिर जोड़ना हो। इससे बच्चों के दिमाग का विकास होगा। 

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इस तरह पेरेंट्स बच्चों के विकास को आगे बढ़ा सकते हैं। बचपन अगर बच्चों का अच्छा होता है तो आगे उनका दिमाग और ज्यादा विकसित होता जाता है। ऐसा इसिलिए कि बहुत-सी चीजें वो पहले ही सीख चुके होते हैं। वहीं उनके स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें। जितना ज्यादा बच्चों को उनका बचपन जीने दिया जाएगा उतना ज्यादा चीजें वो जल्दी सीखते जाएंगे।

पेरेंट्स बच्चों Childhood बचपन
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