How To Manage Irritable Child?: जब किसी इंसान छोटी-छोटी बात पर इम्पेशेंट हो जाये और उन्हें हर बात पर ग़ुस्सा आ जाए तो इसे चिड़चिड़ापन कहते हैं। ऐसे इंसान आसानी से चिढ़ जाते हैं जैसे कि वे ज़िंदगी पर ही फ़्रस्ट्रेट हों।
क्यों होता है बच्चों में चिड़चिड़ापन? कैसे करें इसे मैनेज?
बहुत सारे बच्चों में भी चिड़चिड़ापन आ जाता है। कई बार जब बच्चे कुछ लेने की ज़िद्द करते हैं और वे नहीं ले पाते तो वे चिड़ जाते हैं। जब यह चीज़ बार-बार हो तो इनकी आदत बन सकती है और आप हर दिन हर बात पर अपने बच्चे के 10 नख़रे देख सकते हैं। जितना आप इन्हें रोकेंगे उतना उनकी हालत ख़राब होती जाएगी।
क्यों होता है बच्चों में चिड़चिड़ापन?
- ज़िद्द को पूरा करना - जब आप एक बार ना बोलेंगे बच्चा ज़िद तो करेगा। अगर आप उसकी ज़िद्द एक दो या ज़्यादा बार पूरी करेंगे तो उसे यही तरीक़ा सही लगेगा। इससे वे हमेशा टैनट्रम कर अपनी बात मनवाने की कोशिश करेंगे।
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ज़्यादा सख़्ती बर्तना - अगर आप अपने बच्चे को हर छोटी-बड़ी बात पर मना ही कर रहे हैं क्योंकि आपको एक स्ट्रिक्ट पैरेंट बनाना है, तो भी आपका बच्चा रेबेल होने के चक्कर में चिड़चिड़ा हो जाएगा और जाने अनजाने आपके हाथों से भी निकल सकता है।
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बड़ों का व्यवहार - अगर घर में किसी को एंगर इशूज़ हैं तो बच्चे पर इसका बुरा असर पड़ेगा। घर के बड़े घर में कैसा बिहेव कर रहे हैं, ज़्यादातर चीज़ें बच्चा उसी से सीखता है।
कैसे करें इसे मैनेज?
आइये बात करते हैं कि कैसे करें बच्चों का चिड़चिड़ापन मैनेज।
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शुरू से ही ‘नो’ बोलना सिखायें - शुरू से बच्चे की ग़लत बात को ग़लत कहना शुरू कर दें। इससे उन्हें पहले से अंदाज़ा रहेगा कि आपना भी बोल सकते हैं और वे इस बात को आसानी से एक्सेप्ट भी कर पाएँगे।
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समझाएँ प्यार से - जब आपको लगे कि आपके बच्चे चिड़चिड़े हो रहे हैं तो उन्हें मारे या उनपर चिल्लाएँ नहीं, इससे बात बिगड़ सकती है। उनसे प्यार से बात करें और अपना पॉइंट उनके सामने रखें।
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उनके सामने झगड़ा करने से बचें - बच्चों के सामने आप झगड़ा करने से जितना हो सके बचें क्योंकि हम तो ग़ुस्से में कुछ भी कहेंगे और भूल जाएँगे लेकिन बच्चों के मन में वो बात रह जाएगी और वे जाने-अनजाने आपको कॉपी करेंगे।
कोशिश करें कि अपने के साथ हैल्थी रिलेशनशिप बनाएं। इसके बाद भी अगर आपको अपने बच्चे के व्यवहार में कोई फ़र्क़ ना दिखे तो आप किसी अच्छे मनोवैज्ञानिक के पास ज़रूर जायें और बच्चे के मन में क्या छुपा है उसे समझने की कोशिश करें।