Wrong Parenting: इस फ़ास्ट फॉरवर्ड दुनिया में पीछे छूट जाने के डर से, जिस तरह लोग बदलते समय के साथ अपनी पसंद, नापसंद को बदल लेते है, ठीक वैसे ही आज के इस बदलते ज़माने में माता-पिता को भी बच्चो की परवरिश के लिए अपने पुराने तौर तरीकों को बदल कर कुछ नयापन लाना होगा। जिससे आपके बच्चे मॉडर्न होने के साथ-साथ योग्य, तेजस्वी, वेल मैनर्ड और बुद्धिमान भी बन सके। ऐसा करने के लिए माता पिता के पास मॉडर्न पेरेंटिंग के कॉन्सेप्ट से अच्छा कोई तरीका हो ही नहीं सकता।
पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ या तो बहुत कठोर होते थे या फिर बहुत नरम। ऐसा करने के पीछे का कारण प्रेम की कमी हरगिज नहीं है अगर कमी है तो वो है जागरूकता की।
फिजिकली या वर्बली अब्यूस करना
अपने बच्चे को फिजिकली अब्यूस (Physically Abuse) करने के लिए उसे मारना या छोटी-छोटी बातों पर उस पर चिल्लाना आपको एक टॉक्सिक पैरेंट बनाता है।इसके अलावा कई और भी सूक्ष्म प्रकार के अब्यूस होते हैं जैसे की गैसलिट करना, साइलेंट ट्रीटमेंट देना या फिर ब्लेम-गेम खेलना। अगर आप ऐसी चीज़ें करते हैं तो इन्हें सुधारने की कोशिश करें।
अपने सपने बच्चों पर ना थोंपें
हमने अधिकतर यही देखा है कि बहुत से मां-बाप ऐसे होते हैं जो अपनी जिंदगी में अपने सपने पूरे नहीं कर पाते। तो उन सपनों को वह अपने बच्चों के जरिए पूरा करना चाहता हैं। आपकी सोच गलत नहीं है। लेकिन यह सही भी नहीं है। यदि आपका बच्चा आपके सपनों के साथ जीना चाहता है, आपके सपने पूरे करना चाहता है। तो यह उसकी मर्जी है। लेकिन यदि वह कुछ और करना चाहता है, या अपनी लाइफ में कुछ और बनना चाहता है। तो आप उसे आजादी (freedom) दें। आप अपने सपनों के कारण उसे ज्यादा फोर्स ना करें।
बॉउंडरीज़ की रेस्पेक्ट ना करना
टॉक्सिक पेरेंट्स अपने बच्चे की लिमिट को अपने फायदे के लिए बार-बार पुश करते हैं। ऐसे पेरेंट्स आम तौर पर अपने बच्चे की लिमिट्स को बहुत अच्छे से समझते हैं और उसे हमेशा अपनी बात मनवाने के लिए यूज़ करते हैं। कई बार ऐसे सिचुएशन में बच्चे फ़्रस्ट्रेशन में आ कर अपने पेरेंट्स की बात मान लेते हैं।
फाइनेंशली इंडिपेंडेंट ना बनाना (Financial Independence)
बच्चों को अक्सर बिल्कुल छोटा समझ कर उन्हें फाइनेंशियल डिसीजंस (Financial Decision) और फाइनेंस की चीजों से दूर रखा जाता है। परंतु जब वे रियल वर्ल्ड में जाते हैं तब उन्हें ऐसी न जाने कितनी ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
बच्चे को ज्यादा जज ना करें (Don't judge your child)
हर बच्चा अपने हिसाब से ही अपनी जिंदगी जीना चाहता है। यह सही भी है यदि वह खेलना चाहता है। तो आप उसे ज्यादा जच ना करें। उसे वहीं कर ने दें जो वह असल में चाहता है। दरअसल बच्चे को बार बार उसके कपड़ों के लिए, उसके बालों के लिए, उसके बिहेवियर (behavior) के लिए या उससे जुड़ी चीजों के कारण बार बार जज करने से वह मानसिक रूप से प्रताड़ित होने लगता है।