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Parenting Tips: बड़ी हो रही बेटी को ऐसे करें मां शारीरिक बदलाव के लिए तैयार

पेरेंटिंग: जब एक बच्ची किशोरावस्था में पांव रखती है, तब एक मां को अपनी बेटी को शारीरिक रूप से हो रहे बदलाव के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी होती है। इस दौरान एक मां अपनी बेटी को कुछ इस तरीके से शारीरिक बदलाव के लिए तैयार कर सकती है।

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Ruma Singh
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Parenting Tips

( Credit Image- File Image)

Mothers Should Prepare Their Daughters For Physical Changes In These Ways: यौवन अवस्था हर बच्चे के जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है, क्योंकि वो बचपन की दहलीज को लांघकर इस अवस्था में कदम रखते हैं। यह उम्र का ऐसा पड़ाव होता है, जब बच्चे शारीरिक रूप से धीरे-धीरे बड़े होने लगते हैं। इस दौरान उनको भावनात्मक साथ की काफी ज़रूरत होती है, क्योंकि किशोरावस्था में कई तरह के शारीरिक बदलाव के साथ-साथ हारमोंस में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं। खासतौर पर लड़कियों में। ऐसे में ज़रूरी है की लड़कियों को शारीरिक बदलाव के लिए मानसिक रूप से तैयार किया जाएं ताकि वो उस बदलाव को स्वीकार कर पाए।

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बेटी को शारीरिक बदलाव के लिए ऐसे करें मां तैयार

बेटी की सबसे करीब मां ही होती है, जो उनके जीवन में एक मां के साथ-साथ सहेली की भी भूमिका निभाती है। लड़कियां अपने जीवन से जुड़ी हर बातें अपनी मां को बताती है। ऐसे में जब एक बच्ची किशोरावस्था में पांव रखती है, तो तब एक मां को अपनी बेटी को शारीरिक रूप से हो रहे बदलाव के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी होती है। इस दौरान एक मां अपनी बेटी को कुछ इस तरीके से शारीरिक बदलाव के लिए तैयार कर सकती है।

1. खुलकर करें बातचीत 

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कोशिश करें कि आप अपने बेटी के साथ खुलकर संवाद करें और उनको विश्वास दिलाए की जो भी शारीरिक बदलाव हो रहा है, वह सामान्य है। उनको इस बारे में पूरी जानकारी दें, ताकि वो इस दौरान सहज महसूस कर सकें।

2. संतुलित आहार दें

इस अवस्था में पौष्टिक आहार की बहुत जरूरत होती है। ताकि उनके विकास में किसी भी प्रकार की बाधा न आ पाए। इस दौरान आप उन्हें ताजी हरी सब्जियां, पनीर, फल, दूध सहित ऐसे तमाम चीजें खिलाए जो पौष्टिक से भरपूर हो।

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3. भावनात्मक साथ दें

यह उम्र ही ऐसी होती है, जब हार्मोनल बदलाव के कारण चिड़चिड़ापन आ जाता है। ऐसे में उनमें अकेले रहना, बात-बात पर चिल्लाना जैसे लक्षण दिखते हैं। इस दौरान उन्हें एक ऐसे इंसान की ज़रूरत होती है, जो भावनात्मक रूप से उनके साथ रहें, उन्हें समझें। ऐसे में आप उनके साथ सख्ती के बजाय प्यार से पेश आए।

4. प्रदान करें संसाधन 

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प्यूबर्टी के शुरू होते ही मासिक धर्म शुरू हो जाता है। वैसे तो स्कूलों में भी आजकल इसके बारे में बच्चों को जानकारी दी जाती हैं, लेकिन घर में आप भी उनकी उम्र के हिसाब से ऐसी संसाधन उनके साथ साझा करें जिससे वो हो रहे बदलाओं को बेहतर समझ सकें।

5. हाइजीन रहना सिखाएं 

बड़ी होने पर उन्हें सबसे पहले हाइजीन का पाठ सिखाएं, क्योंकि इस दौरान से ही उन्हें अपने हाइजीन को सुधार कर अपने स्वास्थ्य के बारे में सोचने की पहल कर देनी चाहिए। उन्हें इस दौरान सैनिटरी पैड से जुड़ी हर बातें, प्राइवेट पार्ट्स को साफ करना सहित तमाम चीजें बताएं जो उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में अहम रोल निभाते हो।

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