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Self-study: बचपन से ही बच्चों को प्रेरित करें सेल्फ-स्टडी के प्रति

करिअर-कौशल | पेरेंटिंग: सेल्फ-स्टडी से न केवल सोचने और विचारने की क्षमता में बढ़ोतरी होती है बल्कि सेल्फ-स्टडी बच्चों में ज्ञान को भी बढ़ाती है। जो बच्चे सेल्फ स्टडी करते हैं, पढ़ने में ज्यादा तेज होते हैं।

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Prabha Joshi
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गर्मियों में बच्चे

बच्चों को बचपन से ही सिखाएं सेल्फ-स्टडी

Self-study: छोटे-छोटे बच्चों को सेल्फ-स्टडी के प्रति प्रेरित करना बहुत जरूरी है। आज के समय में माता-पिता बच्चों को बचपन से ही ट्यूशन में लगवा देते हैं या उन्हें कोचिंग संस्थान भेज देते हैं। ऐसा करने से थोड़ा बहुत तो बच्चों को फायदा पहुंच सकता है लेकिन आगे जाकर जब पढ़ाई बहुत कठिन हो जाती है तो ऐसे बच्चों को सेल्फ-स्टडी में थोड़ी दिक्कत आ जाती है। ऐसे में जरूरी है बच्चों को बचपन से ही सेल्फ-स्टडी के बारे में बताएं और उन्हें सेल्फ-स्टडी सिखाएं।

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सेल्फ-स्टडी से न केवल सोचने और विचारने की क्षमता में बढ़ोतरी होती है बल्कि सेल्फ-स्टडी बच्चों में ज्ञान को भी बढ़ाती है। जो बच्चे सेल्फ स्टडी करते हैं, पढ़ने में ज्यादा तेज होते हैं उनकी अपेक्षा जो बच्चे पढ़ाई के लिए किसी दूसरे पर निर्भर होते हैं।

stubborn children

सेल्फ स्टडी कैसे कराएं

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बच्चों को सेल्फ-स्टडी सिखाने के लिए निम्नलिखित बातों को फॉलो करें। आइए जानें :-

टाइम टेबल बनवाएं

यह कतई जरूरी नहीं है की बच्चे के लिए एक टाइम टेबल बनाएं बल्कि यह तय कराएं कि इस सब्जेक्ट को उसको इतने घंटे देने हैं। वह बच्चे के ऊपर निर्भर है कि वो सब्जेक्ट दिन में किस समय पढ़ रहा है। इससे बच्चे को पढ़ाई के लिए टाइम मैनेजमेंट करना आएगा और साथ ही अन्य चीजों को भी करना आएगा।

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उंगली रख कर पढ़ना सिखाएं

बच्चों को कहें कि वह पेंसिल की टिप या उंगली से पढ़ना सीखें। ऐसा इसलिए कि उंगली से पढ़ने से जल्दी याद होता है और दिमाग में शब्द अच्छे से बैठते हैं। उंगली लगाकर पढ़ने से बच्चा शब्दों से भागता नहीं बल्कि समझ-समझ कर पढ़ता है।

ऑनलाइन पढ़ने की आदत हटवाएं

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बच्चों को बचपन में ऑनलाइन नहीं किताबों से पढ़ना सिखाएं। ऐसा इसलिए कि बचपन से ही अगर बच्चे ऑनलाइन पढ़ेंगे तो ऑनलाइन में बहुत सारा ऐसा कंटेंट है जो गलत है, ट्रस्टेड नहीं है। ऐसे में ऑनलाइन कंटेंट पढ़ने से बच्चों के दिमाग में गलत फैक्ट्ज बैठ जाएंगे और उनकी लाइफ बर्बाद हो सकती है। ऐसे में जरूरी है बच्चों को अच्छी-अच्छी किताबें लाकर दिलाएं और उन्हें ऑफलाइन पढ़ने की आदत पड़़वाएं।

नोट्स बनवाएं और अंडरलाइन करवाएं

बच्चे को सेल्फ-स्टडी के दौरान पेरेंट्स बताएं कि किस तरह जो जरूरी प्वाइंट्स है उनको वह अंडरलाइन करे और अंत में उसको एक जगह नोट करे। ऐसा करने से बच्चे की पढ़ने के साथ-साथ लिखने की आदत भी पड़ेगी। लिखने की आदत पड़ने से बच्चा जल्दी लिख सकेगा और साथ ही नोट्स भी साथ में तैयार होते जाएंगे। वही अंडरलाइन करने का यह फायदा होगा कि एक नजर में कभी जल्दी में वह पॉइंट्स देखे जा सकते हैं।

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रिवीजन करवाएं

सेल्फ स्टडी के दौरान बच्चे को बताएं कि डिवीजन भी बहुत जरूरी होता है। इसके लिए उन्हें कहें कि वह कुछ समय बाद उन लेसन को दोबारा से पढ़ें या दोहराए। लेसन या पाठ को दोबारा दोहराने से चीजें और अच्छे से दिमाग में बैठती या याद होती हैं। ऐसा करने से एग्जाम टाइम या यूनिट टेस्ट के दौरान बच्चों को किसी तरह की समस्या नहीं होगी।

इस तरह आप बच्चे को सेल्फ-स्टडी के लिए प्रेरित कर सकते हैं। बच्चे को सेल्फ-स्टडी सिखा सकते हैं। एक बार जब बच्चे को सेल्फ-स्टडी आ जाएगी तो वह खुद से पढ़ना शुरू कर देगा। फिर बच्चे की तरफ से आपकी भी टेंशन दूर होगी और आगे जाकर बच्चे की लाइफ में यह काम भी आएगा।

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