Teach Your Boys These 7 Things: हमारे समाज में कई बार लड़कों को कुछ विशेष गुण और आदतें अपनाने के लिए दबाव डाला जाता है, जो उनकी भावनात्मक और मानसिक विकास को प्रभावित कर सकते हैं। यह जरूरी है कि हम अपने बेटों को सिखाएं कि संवेदनशीलता, सम्मान और सच्ची भावना का महत्व क्या है। इससे न केवल वे बेहतर इंसान बनेंगे, बल्कि समाज में भी सकारात्मक योगदान दे सकेंगे।
Parenting Tips: अपने बेटों को सिखाएं ये 7 महत्वपूर्ण बातें
1. भावनाएँ आपको कमजोर नहीं बनाती
बच्चों को यह सिखाना बहुत जरूरी है कि भावनाएँ महसूस करना और व्यक्त करना कमजोरी का प्रतीक नहीं है। उन्हें यह समझाएं कि खुशी, दुख, गुस्सा, और प्यार सभी सामान्य भावनाएँ हैं और इनको महसूस करना स्वाभाविक है। जब वे अपनी भावनाओं को खुले में व्यक्त करेंगे, तो वे मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बनेंगे।
2. सेंसिटिव होना “लड़कियों” का काम नहीं है
समाज में यह धारणा आम है कि केवल लड़कियाँ ही संवेदनशील हो सकती हैं। इस सोच को बदलना जरूरी है। अपने बेटे को बताएं कि संवेदनशील होना एक मानवीय गुण है, न कि किसी एक लिंग का। यह गुण उन्हें दूसरों की भावनाओं को समझने और उनकी मदद करने में सक्षम बनाएगा।
3. आक्रामकता समस्या का समाधान नहीं है
लड़कों को यह सिखाना जरूरी है कि आक्रामकता से कोई समस्या हल नहीं होती। उन्हें यह समझाएं कि समस्याओं का समाधान शांति और बातचीत से होता है। जब वे समझदारी और धैर्य के साथ समस्याओं का सामना करेंगे, तो वे एक बेहतर इंसान बनेंगे।
4. सभी के साथ आदर से पेश आएं
अपने बेटों को सिखाएं कि सभी इंसानों के साथ सम्मान और आदर से पेश आना चाहिए। चाहे वह दोस्त हो, परिवार हो, या अनजान व्यक्ति, सबके साथ समान व्यवहार करें। यह आदत उन्हें एक अच्छा और जिम्मेदार नागरिक बनाएगी।
5. गुलाबी रंग पसंद करना भी सामान्य है
समाज में यह धारणा है कि गुलाबी रंग सिर्फ लड़कियों का होता है। अपने बेटे को यह सिखाएं कि रंगों का कोई लिंग नहीं होता। उन्हें यह समझाएं कि किसी भी रंग को पसंद करना एक व्यक्तिगत पसंद है और इसमें कोई शर्म की बात नहीं है।
6. अपनों के साथ कोमलता से पेश आएं
अपने बेटों को सिखाएं कि प्यार और कोमलता दिखाना कमजोरी नहीं है। जब वे अपने परिवार और दोस्तों के साथ कोमलता और प्रेम से पेश आएंगे, तो उनके रिश्ते मजबूत और गहरे होंगे। यह गुण उन्हें एक संवेदनशील और समझदार इंसान बनाएगा।
7. रोना कमजोरी नहीं
बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि रोना कमजोरी का प्रतीक नहीं है। जब वे दुखी या परेशान हों, तो अपने आँसू बहाने में संकोच न करें। यह उन्हें मानसिक रूप से स्वस्थ बनाएगा और वे अपने भावनाओं को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे।