Parenting: भारतीय समाज में अक्सर देखा जाता है कि माता-पिता अपने बच्चों का ख़्याल बहुत रखते हैं लेकिन कभी-कभी यही ज्यादा ख़्याल रखते-रखते वे अपने बच्चों के साथ कुछ ऐसा कर जाते हैं जो उनके बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालने लगता है। पेरेंट्स अपने बच्चों पर प्रेसर बनाने लगते हैं या फिर उन्हे लेकर छोटी-छोटी बातों पर डरने लगते हैं या फिर ओवर प्रोटेक्टिव हो जाते हैं। ऐसे में बच्चों पर ज्यादा प्रेसर आता है और उनका कांफिडेंस गिरने लगता है। कभी-कभी तो ऐसा होता है कि बच्चे माता-पिता के काम से मानसिक तनाव भी महसूस करने करने लगते हैं। कुछ पैरेंट्स अपने बच्चों से जरूरत से ज्यादा एक्सपेक्टेशन रखने लगते हैं जो कि बच्चों की ग्रोथ में बाधा भी बनता है।
जानिए पैरेंट्स के कौन से काम बच्चों के कांफिडेंस को करते हैं कम
1. जिम्मेदारियों से भागने देना
अगर आप अपने बच्चों को सारी जिम्मेदारियां ख़ुद उठा रहे हैं और उन्हें ख़ुद पर डिपेंड नहीं होने देते तो वह आगे चलकर गैर जिम्मेदार भी बन सकते हैं। इसलिए उन्हें घर के आसपास बिना किसी रोक टोक के खेलने और काम करने देना चाहिए।
2. गलतियां करने से रोकना
बच्चों को गलतियां करने का हक़ होता है उन्हें फेल होने और गड़बड़ी करने से पहले ही बचाने के लिए दौड़ना नहीं चाहिए बल्कि उन्हें गिरना और फिर ख़ुद से उठकर चलना सीखने देना चाहिए।
3. उनके इमोशंस से उन्हें प्रोटेक्ट करना
जब आपके बच्चे खुश हो या जब वे दुःखी या नाराज़ हों तब आप उनके साथ कैसे रिएक्ट करते हैं इसका उनकी इमोशनल इंटेलिजेंस और सेल्फ-कॉन्फिडेंस की ग्रोथ पर बहुत इफेक्ट पड़ता है। इसलिए जब वे दुःखी या नाराज़ हों तो उन्हें इग्नोर ना करें बल्कि उन्हें थोड़ा सा ज्यादा स्पेशल फील कराएं।
4. जरूरत से ज्यादा प्रोटेक्टिव होना
अपने बच्चों के साथ ओवर प्रोटेक्टिव होना उन्हें हर वक्त अपनी नज़रों में रखने से आपकी टेंशन तो कम हो जाती है लेकिन आपकी यह आदत आपके बच्चों की चैलेंजेस को फेस करने की ग्रोथ में रुकावट बन सकती है।
5. ओवर एक्सपेक्टेशन रखना
अपने बच्चों से एक्सपेक्टेशन रखना अच्छी बात है लेकिन यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि आप उनपर अपनी एक्सपेक्टेशंस का एक्स्ट्रा बर्डन तो नहीं डाल रहे हैं जिनके कुछ बुरे साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं आपके बच्चे आपकी उम्मीदों को पूरा करना चाहते हैं और अगर वे असफल होते हैं या फिर एक्सपेक्टेशन के अनुसार रिजल्ट्स नहीं आते तो उनको ऐसा लगने लगता है कि वो आपकी एक्सपेक्टेशंस पर कभी खरे नहीं उतर पाएंगे और इससे उनका सेल्फ कॉन्फिडेंस लेवल डाउन होता है।
6. अनुशासित करने की जगह सज़ा देना
बच्चों को उनकी गलतियों पर सीधे सज़ा न देकर उन्हें समझाने और अनुशासन में रखने की कोशिश करें।अनुशासन और पनिशमेंट में एक बहुत बड़ा अंतर होता है। उन्हें इस बात को सीखने दें कि कुछ कामों को करने से उनके रिजल्ट्स गंभीर भी हो सकते हैं।