What is the appropriate level of parental involvement in a teenagers relationship: किसी भी टीन एज की जिंदगी में पहली बार किसी रिलेशनशिप में आना या फिर अन्य प्रकार का संबंध बनाना महत्वपूर्ण होता है। यह उनके व्यक्तित्व विकास का अहम हिस्सा है और उन्हें सामाजिक और आत्मिक रूप से मजबूत बनाता है। किशोरावस्था एक ऐसी उम्र है जिसमे बच्चे अपने आप को समझने की कोशिश कर रहे होते हैं, अपनी फीलिंग्स को एक्सप्लोर कर रहे होते हैं। इस उम्र में माता पिता की गाइडेंस और सपोर्ट बेहद जरूरी होता है, जो बच्चों को गलत और सही का ज्ञान देता है।
क्या माता पिता को बच्चों के रिलेशनशिप में दखलंदाजी देनी चहिए?
कुछ लोग मानते हैं कि माता-पिता को अपने बच्चे के संबंधों में पूरी तरह से हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उनके अनुसार किशोरावस्था का समय बच्चों के लिए अपने व्यक्तित्व को खोजने का समय है, और उन्हें अपने संबंधों को स्वतंत्रता के साथ अनुभव करने का हक है। माता-पिता की यह जिम्मेदारी होती है कि वे अपने बच्चों को सही सलाह दें, और किसी भी तरह के नुकसान से बचाने की कोशिश करें। अपनी किशोरावस्था की उम्र में बच्चे बेहद एग्रेसिव हो जाते हैं, इसलिए अगर माता पिता अपने बच्चों पर कोई दबाव डालते हैं तो बच्चे गलत तरीके से रिएक्ट करते हैं, और गलत राह पर चलने लगते हैं।
दूसरी ओर, कुछ लोग समझते हैं कि किशोरावस्था के रिश्तों में माता-पिता का अधिक सहयोग आवश्यक है। वे यह सोचते हैं कि टीनएजर्स अक्सर अपनी भावनाओं को समझने में संघर्ष करते हैं, और उन्हें समझने में माता-पिता का सहयोग उपयोगी हो सकता है। इस दृष्टिकोण से, माता-पिता को अपने बच्चे के संबंधों के बारे में जानकारी होनी चाहिए, उन्हें समर्थन देना और सहायता करना चाहिए।
5 टिप्स जिनसे आप अपने बच्चों के रिलेशनशिप्स को समझ सकते हैं
1. सुने और समझें (Listen and Understand)
अपने बच्चे के संबंधों को समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आप उनकी बातें सुनें। उनकी भावनाओं को समझें और उनकी समस्याओं को समझने का प्रयास करें। यह आपके बच्चे के विश्वास को बढ़ाएगा और बच्चा आप के साथ अपनी सारी बातें शेयर करना शुरू करेगा।
2. संरक्षण और सहायता (Protection and Help)
अपने बच्चे को संरक्षित और सुरक्षित महसूस कराना महत्वपूर्ण है। वे जानना चाहते हैं कि आप उनके साथ हैं, और उन्हें सहायता करने के लिए तैयार हैं। अपने बच्चों को यह अहसास दिलाए कि आप उनकी केयर करते हैं, उनकी मदद और प्रोटेक्शन के लिए जीवन के हर मोड़ में उनके साथ खड़े हैं।
3. निजी जीवन का सम्मान करें (Respect their personal life)
अपने बच्चे की पर्सनल लाइफ का सम्मान करें और उन्हें पर्सनल स्पेस दें, जिससे वे अपनी भावनाओं को समझने में सक्षम हों। ऐसा करने से आपके बच्चों का आप पर विश्वास बढ़ेगा की आप उन्हें उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए स्वतंत्रता देता है। परिणामस्वरूप बच्चे आपको हर एक बात आकार शेयर करेंगे और किसी भी गलत राह को नहीं चुनेंगे।
4. सीमाओं की समझ (Teach them about limits)
माता-पिता को अपने बच्चों के साथ किसी भी रिश्ते की लिमिट्स और बाउंड्रीज के बारे में बात करनी चहिए। उन्हें समझाना चाहिए कि हर प्रकार के रिश्तों में कुछ रूल्स और लिमिट्स होती हैं जिनके कारण आपका रिश्ता हेल्थी रहता है।
5. साक्षात्कार और सलाह (Counselling and Support)
जब आपका बच्चा आपकी सहायता के लिए आता है, तो उन्हें काउंसिलिंग और सलाह दें। ध्यान दें कि आपकी सलाह उनके लिए संबंधों को संभालने में कैसे मददगार हो सकती है।