किरण राव की 'लापता लेडीज़' ऑस्कर की दौड़ से बाहर: कौन-कौन पहुंचा शॉर्टलिस्ट में?

किरण राव की फिल्म 'लापता लेडीज' को 2025 ऑस्कर के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टि चुना गया। नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ यह फिल्म अब जापान में भी थियेट्रिकल रिलीज के लिए तैयार है।

author-image
Vaishali Garg
एडिट
New Update
“I wish to leave everything” - Kiran Rao on filmmaking, marriage, divorce & more | Rulebreaker Ep 7

किरण राव द्वारा निर्देशित फ़िल्म 'लापता लेडीज़', जो 97वें अकादमी अवार्ड्स (ऑस्कर) में भारत की आधिकारिक प्रविष्टि थी, अब ऑस्कर की दौड़ से बाहर हो गई है।

Advertisment

ऑस्कर 2025 शॉर्टलिस्ट का ऐलान

अकादमी ऑफ़ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज़ (AMPAS) ने बुधवार, 18 दिसंबर को उन प्रोजेक्ट्स के नामों की सूची जारी की, जो ऑस्कर 2025 की दौड़ में शामिल हैं। दुनिया भर के 85 देशों से इस श्रेणी में फ़िल्में भेजी गई थीं, लेकिन इनमें से केवल 15 फ़िल्में शॉर्टलिस्ट में जगह बना पाईं। दुर्भाग्यवश, 'लापता लेडीज़' इस सूची में जगह नहीं बना सकी।

'लापता लेडीज़': एक अनोखी फिल्म

Advertisment

'लापता लेडीज़' एक हल्की-फुल्की व्यंग्यात्मक फ़िल्म है, जो पितृसत्ता पर कटाक्ष करती है। इसे 29 फ़िल्मों के प्रतिस्पर्धी समूह से चुना गया था। असम के निर्देशक जह्नु बरुआ की अध्यक्षता वाली 13 सदस्यीय समिति ने इसे सर्वसम्मति से बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फ़िल्म श्रेणी के लिए चुना था।

फ़िल्म की कहानी और निर्देशन किरण राव ने संभाला है, जबकि इसे आमिर खान, ज्योति देशपांडे और राव ने प्रोड्यूस किया है। फ़िल्म में नितांशी गोयल, प्रतिभा रांटा, स्पर्श श्रीवास्तव, छाया कदम और रवि किशन जैसे कलाकारों ने काम किया है।

अन्य फ़िल्में जो इस दौड़ में शामिल थीं:

Advertisment
  • तमिल फ़िल्म 'महाराजा'
  • तेलुगु फ़िल्में 'कल्कि 2898 एडी' और 'हनु-मैन'
  • हिंदी फ़िल्में 'स्वतंत्र्य वीर सावरकर', 'आर्टिकल 370'
  • कान्स विजेता 'ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट'

ऑस्कर कैंपेन और न्यूयॉर्क में प्रमोशन

किरण राव और आमिर खान इस महीने न्यूयॉर्क में फ़िल्म के ऑस्कर कैंपेन के लिए मौजूद थे। अमेरिकी दर्शकों के लिए इसे 'लॉस्ट लेडीज़' के नाम से प्रमोट किया गया। न्यूयॉर्क के 'द बंगला' रेस्टोरेंट में शेफ और फ़िल्ममेकर विकास खन्ना के साथ आयोजित एक डिनर इवेंट में किरण और आमिर शामिल हुए थे।

Advertisment

किरण राव की प्रतिक्रिया

घोषणा के बाद किरण राव ने अपनी टीम के प्रयासों और मेहनत को सराहा। उन्होंने कहा, "हमारी फ़िल्म को चुने जाने का सम्मान और खुशी है। यह हमारी टीम के जुनून का प्रतिबिंब है, और मैं उम्मीद करती हूँ कि यह फ़िल्म वैश्विक दर्शकों के बीच भी उसी तरह जुड़ाव बनाएगी, जैसा यह भारत में कर चुकी है।"

जानिए 11 साल बाद करियर की नई शुरुआत पर क्या बोलीं किरण राव

Advertisment

उम्र सिर्फ एक संख्या है

किरण राव ने तीस साल की उम्र के बाद अपने कलात्मक करियर को फिर से शुरू करने में आने वाली अनोखी चुनौतियों और अवसरों के बारे में खुलकर बात की। राव ने समाज के उस दबाव पर चिंता जताई जो कम उम्र में सफलता हासिल करने पर जोर देता है। उन्होंने कहा, "आजकल कम उम्र में चीजें हासिल करने पर बहुत जोर दिया जाता है। हमेशा युवाओं को मौका देने और युवा प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने की बात होती है।" राव का ये कहना उम्रदराज के खिलाफ एक मजबूत बयान है। 

हालांकि, राव का सफर इस बात का एक प्रेरक उदाहरण है कि रचनात्मकता और महत्वाकांक्षा का कोई समय नहीं होता। अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा, "ज्यादातर लोगों के लिए, खासकर महिलाओं के लिए, इस तरह से करियर को फिर से शुरू करना असामान्य है।" उनका ये कहना फिल्म इंडस्ट्री की उस प्रवृत्ति की ओर इशारा करता है जहां उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं को किनारे कर दिया जाता है।

Advertisment

काम पर लौटने की जद्दोजहद

फिल्म निर्माण में वापसी पर चर्चा करते हुए राव ने उन कठिनाइयों को साझा किया जो कई महिलाओं को मातृत्व अवकाश या बच्चों की परवरिश के लिए करियर ब्रेक लेने के बाद फिर से कार्यक्षेत्र में लौटने पर आती हैं। उन्होंने कहा, "ज्यादातर महिलाओं का काम पर स्वागत नहीं किया जाता है, खासकर मातृत्व अवकाश लेने या बच्चों की परवरिश करने के बाद जब वे वापस काम करना चाहती हैं।" राव की ये सच बयां करती टिप्पणी कई पेशेवर क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण मुद्दे को रेखांकित करती है, जहां महिलाओं को पारिवारिक जिम्मेदारियों के लिए समय निकालने के बाद फिर से काम पर आने में अक्सर बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

Advertisment

राव के लिए, फिल्म निर्माण में वापसी की राह आसान नहीं थी। "मैंने ब्रेक नहीं लिया था। मैं हर समय काम कर रही थी, लेकिन एक कलाकार के रूप में 12 या 13 साल बाद फिर से शुरुआत करना... यह असामान्य है।" उनका अनुभव इस बात पर प्रकाश डालता है कि लंबे समय बाद अपने करियर को फिर से स्थापित करने के लिए कितनी दृढ़ता और संकल्प की आवश्यकता होती है।

फिल्म इंडस्ट्री में सफल वापसी के लिए भाग्य की भूमिका को स्वीकार करते हुए राव ने कहा, "ईमानदारी से कहूं तो, मुझे इसे करने के लिए जगह मिलना मेरी किस्मत थी।" राव की ये बात उन कई महिलाओं की भावनाओं को दर्शाती है जो करियर ब्रेक के बाद फिर से काम शुरू करने के लिए संघर्ष करती हैं। उनका किस्सा समावेशी कार्यस्थल बनाने के महत्व को रेखांकित करता है, जहां महिलाओं का हर उम्र में स्वागत किया जाता है और उनका समर्थन किया जाता है।

फिल्मों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व

अपने निजी अनुभव से आगे बढ़ते हुए, राव और चोपड़ा फिल्मों में महिला प्रतिनिधित्व के व्यापक मुद्दे पर बात करती हैं। राव का विश्लेषण मीडिया में महिलाओं के गलत और कम प्रतिनिधित्व की ओर ध्यान दिलाता है। अपने काम के माध्यम से इस धारणा को बदलने की उनकी प्रतिबद्धता इस बात का एक शक्तिशाली उदाहरण है कि कैसे फिल्म इंडस्ट्री के लोग बदलाव ला सकते हैं।

Laapataa Ladies The Rulebreaker Show Rulebreaker Kiran Rao