Deepfakes Threaten Women: Madhumita Murgia on Dangers and Solutions: आभासी दुनिया लगातार वास्तविकता का रूप ले रही है, इसी के साथ ऑनलाइन सुरक्षा के लिए एक नया खतरा भी सामने आया है - डीपफेक की बढ़ती लोकप्रियता। पहचान बनाने और उसमें हेरफेर करने वाली यह तकनीक महिलाओं को निशाना बनाती है, जिससे वो शोषण और यौन उत्पीड़न का शिकार हो सकती हैं। डीपफेक न सिर्फ व्यक्तिगत पहचान की सत्यता को खत्म करती है बल्कि मीडिया के साथ समाज के रिश्ते पर भी गंभीर असर डालती है।
Deepfakes महिलाओं के लिए खतरा क्यों हैं? (How Deepfakes Target Women)
"The Rulebreaker Show" के लेटेस्ट एपिसोड में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) की जानकार और लेखिका मधुमिता मुर्गिया ने इस बात पर चर्चा की कि कैसे डीपफेक टेक्नॉलॉजी खासकर महिलाओं के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा, "महिलाओं को डीपफेक टेक्नॉलॉजी से सबसे ज्यादा खतरा है। अगर हम इसे वैश्विक स्तर पर नियंत्रित नहीं करते हैं तो ये समस्या और विकराल रूप ले लेगी।"
AI में लैंगिक भेदभाव?
जब उनसे पूछा गया कि क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) लैंगिक भेदभाव करता है, तो मुर्गिया ने इस बात का पुरजोर से खंडन किया। उन्होंने कहा, "कोई भी सिंथेटिक मीडिया मूल रूप से लैंगिक पूर्वाग्रह से ग्रस्त होता है। इंजीनियर और वैज्ञानिक जो ये सिस्टम बनाते हैं वो नैतिक फैसले लेते हैं और सिस्टम के आउटपुट के लिए सीमाएं तय करते हैं। इसलिए असल में ये सिस्टम बनाने वाले लोग ही AI टेक्नॉलॉजी में झलकते हैं।"
AI में महिलाओं की भागीदारी जरूरी
मधुमिता मुर्गिया के अनुसार, आज हमारे वैज्ञानिक विकास ज्यादातर मानवीय पूर्वाग्रहों पर आधारित होते हैं। उदाहरण के लिए, सऊदी अरब ने हाल ही में एक 'महिला' ह्यूमनॉइड का अनावरण किया था जो सख्त कानूनों के चलते राजनीति या सेक्स के बारे में बात करने से इनकार करती है। रोबोट बनाने वाले इंजीनियरों ने उसे उनके संस्कृति के लैंगिक भूमिकाओं के अनुसार प्रोग्राम किया था।
समाधान क्या है?
सोशल मीडिया पर लाइक्स और फॉलोअर्स की दौड़ में हम अनजाने में अपनी निजता खो देते हैं। इस डिजिटल दुनिया में महिलाओं को साइबरस्टॉकिंग, साइबरबुलिंग, ऑनलाइन यौन उत्पीड़न या रिवेंज पॉर्न जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
तो फिर महिलाएं डीपफेक से कैसे सुरक्षित रह सकती हैं?
मुर्गिया का कहना है, "हजारों आम महिलाएं हैं - जो न तो सेलिब्रिटी हैं और न ही किसी तरह का ध्यान चाहती हैं - जिनकी तस्वीरों के साथ डीपफेक किया जाता है। ये उनकी गलती नहीं है। महिलाओं को सुरक्षित रखने का तरीका सोशल मीडिया छोड़ देना या दुनिया से छुपना नहीं है, बल्कि सरकारों को कुछ सुरक्षा उपाय करने चाहिए ताकि जो लोग टेक्नॉलॉजी का गलत इस्तेमाल कर महिलाओं के खिलाफ हथियार बना रहे हैं उन्हें जवाबदेह ठहराया जा सके।"
डीपफेक टेक्नॉलॉजी का तेजी से विकास महिलाओं की सुरक्षा (Women Safety) के लिए खतरा है। मधुमिता मुर्गिया के अनुसार, इस समस्या से निपटने के लिए न सिर्फ सरकारों को सख्त कदम उठाने चाहिए बल्कि टेक्नॉलॉजी क्षेत्र में महिलाओं की ज्यादा भागीदारी भी जरूरी है। ताकि महिलाएं अपने अनुभवों और विशेषज्ञता के आधार पर इस समस्या का समाधान खोज सकें।