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Photograph: (Freepik)
आज के डिजीटल दौर में हर किसी के लिए स्क्रीन से दूर रह पाना लगभग नामुमकिन है। फिर चाहे वो ऑनलाइन जॉब हो, ऑफिस मिटींग्स हो, या एंटरटेनमेंट सब कुछ स्क्रीन के ज़रिए ही हम तक पहुंचता है। लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा स्क्रीन टाइम आपकी मेंटल हेल्थ को खराब कर सकता है। इसका सबसे ज़्यादा असर महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य, व्यवहार और productivity पर देखा गया है। इसका कारण है महिलाओं पर एक साथ कई जिम्मेदारियों का बोझ जैसे घर, नौकरी, बच्चे और सोशल लाइफ़ आदि। इस बीच कभी- कभी जाने अनजाने स्क्रीन इतना बढ़ जाता है कि उनकी दिनचर्या और मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो जाता है।
Digital Distance: बढ़ते स्क्रीन टाइम का महिलाओं की मेंटल हैल्थ, Productivity और बिहेवियर पर असर
1. चिड़चिड़ापन और ग़ुस्सा
हद से ज़्यादा स्क्रीन टाइम, आपके दिमाग को हर समय अलर्ट मोड पर रखता है। जिसके कारण महिलाओं में नींद की कमी, थकान जैसे बदलाव देखे जा सकते हैं। साथ ही इसका असर आपके बिहेवियर पर भी साफ दिखाई देता है। महिलाओं में छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ापन, ग़ुस्सा या मूड स्विंग जैसी समस्याएँ आम हो जाती हैं।
2. प्रॉडक्टिविटी में कमी
स्क्रीन पर ज़रूरत से ज़्यादा समय बिताने का असर सीधा आपकी productivity पर पड़ता है। लगातार notifications का बोझ और तुलना की आदत महिलाओं को मानसिक रूप से थका देती है और महिलाएँ चाहकर भी अपने ज़रूरी काम समय पर पूरा नहीं कर पातीं। उनके लिए परिवार के साथ quality time बिताना, घर की जिम्मेदारियों और करियर के बीच संतुलन रख पाना मुश्किल हो जाता है। कई बार वो इसके लिए गिल्ट फील करना शुरू कर देती हैं।
3. Attention और Concentration पर असर
यूट्यूब शॉर्ट्स और इंस्टा रील्स ने हमें quick content देखने को आदतन बना दिया है। जिसकी वजह से महिलाओं का attention span भी कम होता जा रहा है। वे लंबी बातें सुनने या गहराई से सोचने में धैर्य खो देती हैं। लगातार स्क्रीन पर समय बिताने से दिमाग थका हुआ महसूस करने लगता है और उनके लिए काम पर ध्यान देना मुश्किल हो जाता है।
4. मेंटल हैल्थ पर असर
ज्यादा स्क्रीन टाइम केवल प्रोडक्टिविटी को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि महिलाओं में चिंता, तनाव और अकेलेपन जैसी मानसिक चुनौतियाँ भी बढ़ा देता है। लगातार सोशल मीडिया पर दूसरों की “perfect life” देखने की आदत उनके self-esteem और आत्मविश्वास पर नकारात्मक असर डाल सकती है।
5. नींद की गुणवत्ता पर असर
ज़्यादा स्क्रीन टाइम का सबसे सीधा असर महिलाओं की नींद पर पड़ता है। खासकर रात में मोबाइल स्क्रॉल करने से ब्लू लाइट दिमाग को रिलैक्स होने नहीं देती, जिससे नींद देर से आती है या बार-बार टूटती है। नींद पूरी न होने की वजह से महिलाएँ दिनभर थकान, सुस्ती और mind fog महसूस करती हैं। इसका असर उनके मूड, हेल्थ और पूरे दिन की productivity पर भी पड़ता है।
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