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Photograph: (Freepik)
पेरिमेनोपॉज़ एक ऐसा दौर होता है जब महिला का शरीर धीरे-धीरे मेनोपॉज़ की ओर बढ़ता है। यह आमतौर पर 40 की उम्र के बाद शुरू होता है और इस दौरान हार्मोनल इम्बैलेंस के कारण कई तरह के फिजिकल और इमोशनल बदलाव देखने को मिलते हैं। अनियमित पीरियड्स, थकान, हॉट फ्लैशेज़, मूड स्विंग्स और नींद की दिक्कतें ये सभी पेरिमेनोपॉज़ के लक्षण हो सकते हैं।
हालांकि ये बदलाव थोड़े परेशान कर सकते हैं, लेकिन सही जीवनशैली और कुछ प्राकृतिक उपायों की मदद से इन लक्षणों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। Perimenopause in hindi
जानिए Perimenopause Signs से निपटने के 6 असरदार तरीके
हेल्दी डाइट से करें शुरुआत
पेरिमेनोपॉज़ के दौरान Hormonal Balance बनाए रखने के लिए पोषण से भरपूर डाइट जरूरी है। कैल्शियम, विटामिन D, आयरन और फाइबर से भरपूर खाना हड्डियों को मजबूत रखने के साथ-साथ एनर्जी भी देता है। प्रोसेस्ड फूड्स और शुगर की जगह आप घर का बना हेल्दी खाना जैसे दालें, हरी सब्जियां, फ्रूट्स और नट्स लें।
एक्टिव रहें, रोज करें वर्कआउट
इस समय वज़न बढ़ने की संभावना ज़्यादा रहती है, इसलिए एक्टिव रहना बेहद जरूरी है। वॉकिंग, योगा या स्वीमिंग जैसी हल्की लेकिन रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी से न सिर्फ वज़न कंट्रोल में रहता है बल्कि मूड भी बेहतर होता है।
स्ट्रेस मैनेजमेंट है जरूरी
हार्मोनल बदलाव स्ट्रेस को बढ़ा सकते हैं, और स्ट्रेस खुद पेरिमेनोपॉज़ के लक्षणों को और भी खराब करता है। ऐसे में मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग और माइंडफुलनेस जैसी तकनीकें बहुत काम आती हैं। चाहें तो आप जर्नलिंग या किसी क्रिएटिव एक्टिविटी में भी खुद को शामिल कर सकती हैं।
हॉट फ्लैशेज़ को ऐसे करें कंट्रोल
हॉट फ्लैशेज़ यानी अचानक शरीर का गर्म हो जाना और पसीना आना, पेरिमेनोपॉज़ का बहुत आम लक्षण है। इसे कंट्रोल करने के लिए कैफीन और अल्कोहल का सेवन कम करें। ढीले और कॉटन कपड़े पहनें और सोते समय कमरे का तापमान ठंडा रखें।
नींद की गुणवत्ता सुधारें
नींद न आना या बार-बार नींद खुलना भी पेरिमेनोपॉज़ में आम है। सोने से पहले स्क्रीन से दूरी, हल्की किताब पढ़ना, और कैमोमाइल टी जैसी आदतें नींद को बेहतर बना सकती हैं।
डॉक्टर से लें सलाह, HRT हो सकता है ऑप्शन
अगर लक्षण बहुत गंभीर हैं और आपकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी को प्रभावित कर रहे हैं, तो hormone replacement therapy (HRT) पर विचार किया जा सकता है। यह थेरेपी शरीर में घटते एस्ट्रोजन की भरपाई करती है। हालांकि, इसके फायदे और साइड इफेक्ट्स के बारे में जानना जरूरी है, इसलिए किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श ज़रूर करें।