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जानें मासिक धर्म की नियमितता पर Anxiety के प्रभाव

साथ ही, चिंता डिम्बोत्सर्जन में बाधा डालकर गर्भधारण की संभावना को भी कम कर सकती है। इतना ही नहीं, चिंता मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द और ऐंठन को भी ज्यादा गंभीर बना सकती है।

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Anusha Ghosh
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(Credit : Linked in)

Anxiety: चिंता मासिक धर्म को कई तरह से प्रभावित कर सकती है। यह हार्मोनल असंतुलन पैदा कर मासिक धर्म को अनियमित कर सकता है, पीरियड्स लेट कर सकता है या पीएमएस (Premenstrual Syndrome) के लक्षणों को बढ़ा सकता है। साथ ही, चिंता डिम्बोत्सर्जन में बाधा डालकर गर्भधारण की संभावना को भी कम कर सकती है। इतना ही नहीं, चिंता मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द और ऐंठन को भी ज्यादा गंभीर बना सकती है।

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आइए जानते हैं कि चिंता मासिक धर्म को कैसे प्रभावित करती है

1. हार्मोनल असंतुलन

चिंता शरीर में  हार्मोन्स के नाजुक संतुलन को बिगाड़ सकती है। तनाव की स्थिति में शरीर तनाव दूर करने वाले हार्मोन्स जैसे कोर्टिसोल का उत्पादन बढ़ा देता है। यह कोर्टिसोल मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करने वाले हार्मोन्स, खासकर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के उत्पादन में बाधा डालता है। इससे मासिक धर्म अनियमित हो सकता है या पीरियड्स लेट हो सकते हैं।

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2. अनियमित मासिक धर्म चक्र

चिंता की वजह से  मासिक धर्म चक्र अनियमित हो सकता है। इसमें पीरियड्स लेट होना, जल्दी आ जाना, मासिक धर्म का रुक जाना (अमेनोरेआ) या खून का बहाव बहुत कम या ज्यादा होना शामिल है। दरअसल, चिंता हाइपोथैलेमस-पिट्यूटरी-अड्रेनल (HPA) अक्ष को प्रभावित करती है, जो मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करने वाले हार्मोन्स को संकेत भेजने का काम करता है। चिंता के कारण HPA अक्ष ठीक से काम नहीं कर पाता, जिससे मासिक धर्म चक्र गड़बड़ा जाता है।

3. पीएमएस (Premenstrual Syndrome) के लक्षण बढ़ना

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चिंता मासिक धर्म से पहले होने वाले पीएमएस के लक्षणों को और भी बढ़ा सकती है। चिंता की वजह से मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन, थकान, नींद न आना जैसे लक्षण ज्यादा गंभीर हो सकते हैं। कुछ शोध बताते हैं कि चिंता से ग्रस्त महिलाओं में पीएमएस के ज्यादा गंभीर रूप, प्रीमेन्स्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (PMDD) होने का खतरा भी बढ़ जाता है। PMDD में पीएमएस के लक्षण इतने गंभीर होते हैं कि रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो सकती है।

4. डिम्बोत्सर्जन (Ovulation) में बाधा

चिंता डिम्बोत्सर्जन की प्रक्रिया को भी प्रभावित कर सकती है। मासिक धर्म चक्र के दौरान डिम्बोत्सर्जन होना जरूरी है, तभी गर्भधारण की संभावना बनती है। अध्ययनों से पता चलता है कि अत्यधिक चिंता से शरीर में गोनॉट्रोपिन-रिलीज़िंग हार्मोन का उत्पादन कम हो सकता है। यह वही हार्मोन है जो शरीर को ओवुलेशन के लिए जरूरी अन्य हार्मोन्स, जैसे कि ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन और फॉलिकल-उत्तेजक हार्मोन के उत्पादन का संकेत देता है। गोनॉट्रोपिन-रिलीज़िंग हार्मोन के कम उत्पादन के कारण ओवुलेशन नहीं हो पाता या अनियमित हो जाता है।

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5. पीठ दर्द और ऐंठन

चिंता मासिक धर्म के दौरान होने वाले पीठ दर्द और ऐंठन को भी बढ़ा सकती है। दरअसल, चिंता शरीर की मांसपेशियों को तनावग्रस्त कर देती है, जिससे पीठ दर्द और ऐंठन की समस्या ज्यादा गंभीर हो सकती है। साथ ही, चिंता के कारण दर्द सहने की क्षमता भी कम हो सकती है, जिससे मासिक धर्म का दर्द ज्यादा असहनीय लग सकता है।

Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।

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