Pregnancy Talks: हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी के दौरान माँ और बच्चे की सुरक्षा के लिए जरूरी देखभाल और सावधानियाँ क्या हैं?

हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी के दौरान माँ और बच्चे की सुरक्षा के लिए विशेष देखभाल जरूरी होती है। जानिए महत्वपूर्ण सावधानियाँ और सही देखभाल के तरीके।

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Sakshi Rai
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Photograph: (kangaroocareindia)

Essential Care and Precautions for Mother and Baby During High Risk Pregnancy: प्रेग्नेंसी हर महिला के जीवन का एक अनमोल और संवेदनशील समय होता है, लेकिन जब यह हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी बन जाती है, तो माँ और बच्चे दोनों की सेहत को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है। हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी का मतलब है कि गर्भावस्था के दौरान कुछ स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएँ हो सकती हैं, जो माँ और शिशु के लिए जोखिम पैदा कर सकती हैं। इसमें हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, गर्भावस्था में अधिक उम्र, या पहले से मौजूद कोई स्वास्थ्य समस्या शामिल हो सकती है।

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इस स्थिति में माँ को विशेष देखभाल और डॉक्टर की नियमित निगरानी की जरूरत होती है, ताकि किसी भी संभावित समस्या को समय रहते रोका जा सके। सही खानपान, नियमित स्वास्थ्य जांच, मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाए रखना, और डॉक्टर की सलाह को प्राथमिकता देना इस दौरान बेहद जरूरी हो जाता है।

हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी के दौरान माँ और बच्चे की सुरक्षा के लिए जरूरी देखभाल और सावधानियाँ क्या हैं?

प्रेग्नेंसी हर महिला के लिए एक अनमोल अनुभव होता है, लेकिन जब डॉक्टर इसे "हाई-रिस्क" घोषित करते हैं, तो परिवार के लिए चिंता बढ़ जाती है। हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी का मतलब है कि गर्भावस्था के दौरान माँ या बच्चे को कुछ जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, जिससे अधिक देखभाल और सतर्कता की जरूरत होती है। यह स्थिति कई कारणों से हो सकती है, जैसे माँ की उम्र (35 से अधिक या 18 से कम), पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याएँ (डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर), या गर्भावस्था से जुड़ी जटिलताएँ (जुड़वाँ बच्चे, समय से पहले प्रसव का खतरा)। हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी चुनौतीपूर्ण हो सकती है, लेकिन सही देखभाल और समय पर उपचार से इसे सुरक्षित और स्वस्थ बनाया जा सकता है। परिवार के सहयोग और डॉक्टर की सही गाइडेंस से माँ और बच्चे दोनों स्वस्थ रह सकते हैं।

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डॉक्टर की नियमित जाँच क्यों जरूरी है?

हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी के दौरान सबसे जरूरी चीज़ है समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श लेना। नियमित चेकअप से डॉक्टर माँ और बच्चे के स्वास्थ्य पर नजर रख सकते हैं और किसी भी संभावित खतरे को समय रहते पहचान सकते हैं। कई बार छोटी-सी लापरवाही भी बड़ी समस्या बन सकती है, इसलिए हर अपॉइंटमेंट पर जाना जरूरी होता है।

संतुलित आहार और पोषण

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माँ का खानपान बच्चे के विकास में अहम भूमिका निभाता है। हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी के दौरान संतुलित आहार बहुत जरूरी है। प्रोटीन, आयरन, फोलिक एसिड और कैल्शियम से भरपूर भोजन माँ और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद होता है। जंक फूड से बचें और घर का पौष्टिक खाना खाएँ। डॉक्टर से सप्लीमेंट्स के बारे में सलाह लें, क्योंकि कुछ पोषक तत्वों की अतिरिक्त जरूरत हो सकती है।

आराम और मानसिक शांति

हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी के दौरान माँ को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। भरपूर नींद लें और ज्यादा तनाव न लें। मेडिटेशन और हल्की एक्सरसाइज सेहतमंद रहने में मदद कर सकती हैं, लेकिन कोई भी व्यायाम डॉक्टर की सलाह के बिना न करें।

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संक्रमण से बचाव और सफाई

प्रेग्नेंसी के दौरान इंफेक्शन का खतरा अधिक रहता है, इसलिए सफाई का विशेष ध्यान रखें। हाथ धोना, साफ-सुथरा भोजन करना और भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना संक्रमण से बचने में मदद कर सकता है।

परिवार और पार्टनर का सहयोग

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हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी में माँ को भावनात्मक समर्थन की बहुत जरूरत होती है। परिवार और पति का सहयोग माँ को तनावमुक्त रखने में मदद करता है, जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास भी सही तरह से होता है।

क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?

1.कोई भी दवाई डॉक्टर से पूछे बिना न लें।

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2.ज्यादा थकावट से बचें और काम के बीच में आराम करें।

3.अचानक ब्लीडिंग, तेज सिरदर्द, पेट में ज्यादा दर्द या बच्चे की हरकत कम महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

4.डॉक्टर द्वारा बताए गए सभी टेस्ट और स्कैन सही समय पर कराएँ।

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Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।

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