Pre Menstrual Syndrome: प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम महिलाओं में देखी जाने वाली एक आम समस्या है। जरूरी नहीं की हर महिला इस समस्या से गुजरे, लेकिन पांच में से तीन महिला को प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम की शिकायत कभी ना कभी किसी ना किसी मोड़ पर अपने जीवन पर जरूर होती है। आइए आज के इस ब्लॉग में जानते हैं इससे जुड़े कुछ कॉमन सवालों के जवाब-
जानिए PMS से जुड़े कुछ सवालों के जवाब
पीएमएस क्या है?
प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम शारीरिक और भावनात्मक लक्षणों का एक संयोजन है जो कई महिलाओं को ओव्यूलेशन के बाद और मासिक धर्म शुरू होने से पहले होता है। जरूरी नहीं है की इसका सामना हर महिला अपने जीवन में करे।
PMS के लक्षण क्या हैं?
प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षण हर महिला में अलग-अलग होते हैं। आपको शारीरिक लक्षण मिल सकते हैं, जैसे कि सूजन या गैस बनना, या भावनात्मक लक्षण, जैसे उदासी, या दोनों। आपके लक्षण आपके पूरे जीवन में भी बदल सकते हैं। आप भी इनमें से किसी लक्षणों का सामना कर रहे हो तो एक बार जरूर अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें क्योंकि इसका इलाज यदि समय पर हो जाएगा तो यह अधिक बड़ी बीमारी नहीं बनेगी।
PMS कौन को हो सकता है?
चार में से तीन महिलाओं का कहना है कि उन्हें अपने जीवनकाल में कभी न कभी पीएमएस के लक्षण मिलते हैं। ज्यादातर महिलाओं में पीएमएस के लक्षण हल्के होते हैं। प्रसव उम्र की 5% से कम महिलाओं को पीएमएस का अधिक गंभीर रूप मिलता है, जिसे प्रीमेंस्ट्रुअल कहा जाता है।
क्या PMS उम्र के साथ बदलता है?
हाँ। पीएमएस के लक्षण आपके 30 या 40 के दशक के अंत तक पहुंचने और menopause तक पहुंचने और मेनोपॉज के संक्रमण में आने पर खराब हो सकते हैं, जिसे पेरिमेनोपॉज कहा जाता है।
PMS के लक्षणों का प्रबंधन कैसे करें?
यह पुष्टि करने में आपकी मदद करने के लिए अपने लक्षणों को ट्रैक करें की आपका मिजाज वास्तव में आपके चक्र से जुड़ा हुआ है। प्राकृतिक उपचार जैसे अच्छा कैल्शियम के स्रोत होना। जीवनशैली में बदलाव जैसे नियमित व्यायाम, स्वस्थ पोषण और उचित नींद।
जानें अन्य महत्वपूर्ण बातें PMS से बचने के लिए-
- कैफीन और शराब से बचें
- पर्याप्त नींद लें
- तनाव कम लें
- नियमित रूप से व्यायाम करें
- अच्छी तरह से संतुलित आहार लें
चेतावनी : प्रदान की जा रही जानकारी केवल सूचनात्मक उद्देश्य से है। कुछ भी प्रयोग में लेने से पूर्व चिकित्सा विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श लें।