35 के बाद महिलाओं को किन स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा? जानें जरूरी बातें

35 की उम्र के बाद महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन, हृदय रोग, डायबिटीज़, ऑस्टियोपोरोसिस और मेनोपॉज जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। जानें इनसे बचाव के ज़रूरी उपाय और सही देखभाल के तरीके।

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Vaishali Garg
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Indian village women

Health Risks for Women After 35: 35 की उम्र के बाद महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव आने लगते हैं, जिससे कुछ स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। यह उम्र हार्मोनल असंतुलन, मेटाबॉलिज्म की धीमी गति और जीवनशैली से जुड़ी चुनौतियों को लेकर अहम मानी जाती है। अगर इस दौरान सही देखभाल न की जाए, तो गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि 35 के बाद महिलाओं को किन स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और उनसे बचाव के लिए क्या कदम उठाने चाहिए।

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35 के बाद महिलाओं को किन स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा? जानें जरूरी बातें

हार्मोनल असंतुलन और उसकी वजह से होने वाली परेशानियां

35 की उम्र के बाद महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में बदलाव आने लगता है। इस बदलाव का असर मासिक धर्म पर पड़ सकता है, जिससे पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं। इसके अलावा, मूड स्विंग्स, वज़न बढ़ना, थकान और चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं भी आम हो जाती हैं। हार्मोनल असंतुलन का सबसे बड़ा कारण तनाव, असंतुलित आहार और अनियमित दिनचर्या होती है। इससे बचने के लिए पोषण युक्त भोजन, नियमित व्यायाम और ध्यान (Meditation) को अपने जीवन का हिस्सा बनाना ज़रूरी है।

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हड्डियों की मजबूती पर असर

35 के बाद महिलाओं की हड्डियों की ताकत धीरे-धीरे कम होने लगती है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) होने का खतरा बढ़ जाता है। इस दौरान बोन डेंसिटी कम होने लगती है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और फ्रैक्चर की संभावना बढ़ जाती है। शरीर में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी इस समस्या को और बढ़ा सकती है। हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए डेयरी उत्पाद, हरी पत्तेदार सब्जियां और सूखे मेवे अपने आहार में शामिल करने चाहिए। इसके अलावा, वजन उठाने वाले व्यायाम (Strength Training) और सूरज की रोशनी में समय बिताना भी फायदेमंद हो सकता है।

हृदय रोग का बढ़ता खतरा

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35 की उम्र के बाद महिलाओं में हृदय रोग (Heart Disease) का खतरा भी बढ़ने लगता है। इस उम्र में कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, जिससे हृदय संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। एस्ट्रोजन का स्तर कम होने से धमनियों में ब्लॉकेज की संभावना बढ़ जाती है, जिससे दिल का दौरा (Heart Attack) पड़ने का खतरा भी बढ़ सकता है। हृदय को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित आहार, नियमित एक्सरसाइज़ और तनाव प्रबंधन बेहद ज़रूरी है। धूम्रपान और शराब के सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि ये हृदय रोगों के जोखिम को और अधिक बढ़ा सकते हैं।

डायबिटीज़ का बढ़ता जोखिम

मेटाबॉलिज्म की गति 35 के बाद धीमी होने लगती है, जिससे शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resistance) बढ़ सकता है। यह डायबिटीज़ (Diabetes) होने का एक प्रमुख कारण है। इस उम्र में यदि खानपान पर ध्यान न दिया जाए और व्यायाम की कमी हो, तो टाइप 2 डायबिटीज़ होने की संभावना अधिक हो जाती है। शुगर और प्रोसेस्ड फूड्स का अधिक सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है, जिससे अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। इसे नियंत्रित रखने के लिए साबुत अनाज, ताज़े फल और सब्जियों को आहार में शामिल करना चाहिए।

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प्रजनन क्षमता में कमी

35 के बाद महिलाओं की फर्टिलिटी (Fertility) में गिरावट आनी शुरू हो जाती है। इस उम्र में ओवेरियन रिजर्व (Ovarian Reserve) घटने लगता है, जिससे गर्भधारण में मुश्किल हो सकती है। जिन महिलाओं को भविष्य में मां बनने की योजना बनानी है, उन्हें अपनी प्रजनन क्षमता की जांच करानी चाहिए और फर्टिलिटी विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। स्वस्थ जीवनशैली, पोषण युक्त आहार और सही समय पर डॉक्टर की सलाह लेना इस समस्या को कम करने में मदद कर सकता है।

मेनोपॉज के लक्षण और उनसे जुड़ी दिक्कतें

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मेनोपॉज (Menopause) की शुरुआत आमतौर पर 45-50 की उम्र में होती है, लेकिन कई महिलाओं को 35-40 की उम्र में ही इसके लक्षण दिखने लगते हैं। इस अवस्था को पेरिमेनोपॉज (Perimenopause) कहा जाता है, जिसमें महिलाओं को हॉट फ्लैशेज़ (Hot Flashes), रात को पसीना आना (Night Sweats), चिंता (Anxiety) और चिड़चिड़ापन (Irritability) जैसी परेशानियां हो सकती हैं। इस दौरान हार्मोनल बदलाव के कारण नींद की समस्या भी हो सकती है। सही खानपान, व्यायाम और स्ट्रेस मैनेजमेंट से इन लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।

त्वचा और बालों से जुड़ी समस्याएं

35 की उम्र के बाद महिलाओं की त्वचा में कोलेजन (Collagen) का उत्पादन कम होने लगता है, जिससे झुर्रियां (Wrinkles), फाइन लाइंस (Fine Lines) और ड्रायनेस (Dryness) बढ़ सकती है। इसके अलावा, बालों का झड़ना (Hair Fall) और समय से पहले सफेद होना (Premature Greying) भी आम समस्याएं हैं। इनसे बचने के लिए विटामिन सी, बायोटिन और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर आहार लेना चाहिए। साथ ही, हाइड्रेटेड रहना और त्वचा की देखभाल करना भी जरूरी है।

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35 की उम्र महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए एक अहम मोड़ होती है, जहां सही देखभाल न करने पर कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। हार्मोनल असंतुलन, हड्डियों की कमजोरी, हृदय रोग, डायबिटीज़ और मेनोपॉज से जुड़ी समस्याएं इस उम्र में महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तनाव मुक्त जीवनशैली अपनाना बेहद ज़रूरी है। समय-समय पर हेल्थ चेकअप कराना भी आवश्यक है, ताकि किसी भी समस्या को समय रहते पहचाना जा सके और सही इलाज किया जा सके।

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