How Does Depression Affect Your Heart: डिप्रेशन और हृदय रोग (Heart Disease) के बीच का संबंध बेहद गहरा और जटिल है। हाल के वर्षों में कई शोधों से यह साबित हुआ है कि मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। डिप्रेशन, जिसे सामान्यतः मानसिक अवसाद के रूप में जाना जाता है, केवल हमारे मानसिक और भावनात्मक जीवन को प्रभावित नहीं करता, बल्कि यह हमारे हृदय की सेहत पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। डिप्रेशन से पीड़ित लोग अक्सर शारीरिक समस्याओं का भी सामना करते हैं, जैसे कि हृदय की गति में वृद्धि, उच्च रक्तचाप, और तनाव हार्मोन के स्तर में बढ़ोतरी। इसके अलावा, डिप्रेशन के कारण जीवनशैली में होने वाले नकारात्मक बदलाव, जैसे कि शारीरिक गतिविधियों में कमी, अस्वास्थ्यकर खानपान, और धूम्रपान या शराब का अत्यधिक सेवन, हृदय रोगों के जोखिम को और भी बढ़ा सकते हैं।
डिप्रेशन का हृदय पर असर
डिप्रेशन एक मानसिक विकार है, जिसमें व्यक्ति लंबे समय तक उदासी, निराशा, और थकान महसूस करता है। इससे न केवल मानसिक स्थिति पर प्रभाव पड़ता है, बल्कि शरीर के विभिन्न अंगों पर भी इसका असर देखने को मिलता है, खासकर हृदय पर। डिप्रेशन के कारण शरीर में तनाव हार्मोन (जैसे कि कोर्टिसोल) का स्तर बढ़ जाता है, जिससे रक्तचाप (Blood Pressure) और हृदय गति (Heart Rate) में असामान्य वृद्धि हो सकती है। यह स्थिति हृदय की धमनियों पर अधिक दबाव डालती है, जिससे दिल के दौरे या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
इसके अलावा, डिप्रेशन के दौरान व्यक्ति अपने स्वास्थ्य का ठीक से ख्याल नहीं रख पाता। डिप्रेशन से पीड़ित लोग अक्सर अनहेल्दी जीवनशैली अपनाते हैं, जैसे कि ज्यादा धूम्रपान करना, अधिक शराब का सेवन, असंतुलित आहार लेना, और शारीरिक रूप से निष्क्रिय रहना। ये सभी आदतें हृदय की सेहत के लिए हानिकारक साबित होती हैं और हृदय रोग का खतरा बढ़ा सकती हैं।
हृदय रोग से डिप्रेशन का संबंध
जैसे डिप्रेशन हृदय को प्रभावित करता है, वैसे ही हृदय रोग भी मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। जब किसी व्यक्ति को हृदय संबंधी समस्याएं होती हैं, जैसे दिल का दौरा या एंजाइना, तो उसके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। हृदय रोग से पीड़ित लोग अक्सर तनाव, चिंता और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। यह स्थिति उनके इलाज और रिकवरी को भी प्रभावित कर सकती है, क्योंकि डिप्रेशन के कारण लोग अपनी दवाइयां समय पर नहीं लेते या डॉक्टर के निर्देशों का पालन नहीं करते।
शोध और अध्ययन
कई अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि डिप्रेशन और हृदय रोग के बीच का संबंध सीधा और परस्पर है। एक शोध में यह पाया गया कि जिन लोगों को पहले से हृदय रोग है, उनमें डिप्रेशन होने का खतरा अधिक होता है। वहीं, डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों में हृदय रोग विकसित होने का जोखिम सामान्य लोगों की तुलना में दोगुना हो सकता है। डिप्रेशन के कारण शरीर में सूजन बढ़ जाती है, जिससे हृदय की धमनियों में प्लाक (चर्बी और अन्य पदार्थ) जमा हो सकता है, जो हृदय रोग का प्रमुख कारण है।