How Prenatal Care is Key to a Healthy Pregnancy? प्रेगनेंसी महिलाओं के जीवन में एक नई शुरूआत होती है। ऐसे समय में महिलाओं को ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है क्योंकि उन्हें बहुत सारे उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ता है। प्रेगनेंसी के तीन पड़ाव होते हैं जिन्हें ट्राइमेस्टर बोला जाता है। इन दिनों में महिलाओं को जी मिचलाना, उल्टी आना, थकावट और सुस्ती महसूस होती है। ऐसे में बच्चे और माँ की ओवरऑल वेलबींइग के लिए प्रीनेटल केयर का महत्व बहुत बढ़ जाता है। चलिए आज जानते हैं कि प्रीनेटल केयर का प्रेगनेंसी में क्या भूमिका क्या है और इसके लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए-
कैसे Prenatal Care गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ रहने का रास्ता है?
प्रीनेटल केयर की शुरुआत प्रेगनेंसी होने के बाद शुरू हो जाती है। इसमें माँ और शिशु की वेल्बीइंग की निगरानी करना शामिल है ताकि महिला की डिलेवरी स्वस्थ तरीके से हो सकें। चलिए इसके बारे अधिक जानते हैं-
रेगुलर चेकअप
आपको कितनी बार डॉक्टर के पास जाना चाहिए यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितने हफ्तों से प्रेग्नेंट है और जटिलताओं का जोखिम कितना अधिक है। Planned Parenthood के अनुसार, "18-35 वर्ष की आयु की स्वस्थ महिला के लिए सामान्य प्रीनेटल देखभाल प्रोग्राम इस प्रकार है:
- पहले 32 सप्ताह तक हर 4 या 6 सप्ताह
- 32वें-37वें सप्ताह तक हर 2 या 3 सप्ताह
- 37वें सप्ताह से लेकर बच्चे के जन्म तक हर सप्ताह
प्रेगनेंसी होने के बाद आप जितना जल्दी हो सकें, उतनी जल्दी ही प्रीनेटल विजिट को बुक करवा लेना चाहिए क्योंकि ऐसे हेल्थ केयर प्रोवाइडर आपके और बच्चे की सेहत को चेक कर सकता है और उसके हिसाब से आपका इलाज शुरू कर सकता है। यह सब कुछ इसलिए किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सकें कि शरीर प्रेगनेंसी के लिए अच्छी तरह से अनुकूल हो रहा है और कोई अंतर्निहित स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ नहीं हैं।
जेस्टेशनल डायबिटीज या एनीमिया जैसी किसी भी जटिलता को जानने के लिए ब्लड टेस्ट और स्क्रीनिंग आवश्यक है, ताकि जल्दी से कार्रवाई की जा सके। अल्ट्रासाउंड जैसे उन्नत इमेजिंग परीक्षण भ्रूण के विकास की निगरानी करते हैं। इसलिए आपको भ्रूण को मॉनिटर करने के लिए रूटीन अल्ट्रासाउंड पर जरूर जाना चाहिए।
अपनी आदतों में करें बदलाव
बैलेंस्ड डाइट: अगर आप स्वस्थ प्रेगनेंसी चाहते हैं तो आपको अपनी आदतों में बदलाव लाना होगा और हेल्दी आदतों को अपनाना होगा जैसे आप प्रोसेस्ड फूड और जंक फूड को अवॉइड करें। इसके साथ ही फल, सब्जियों और अनाज को खाना शुरू करें। आपकी डाइट बैलेंस होनी चाहिए ताकि आपको सभी पौष्टिक तत्व मिल सके। आपको अपनी डाइट में प्रोटीन को भी शामिल करना चाहिए जैसे बीन्स और मटर, अंडे, लीन मीट और कम पारे वाले समुद्री भोजन। इसके साथ ही अगर आपको एलर्जी नहीं है तो बिना नमक वाले मेवे और बीज खा सकते हैं। शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए ढेर सारा पानी पिए।
प्रीनेटल विटामिन: प्रीनेटल विटामिन का सेवन भी आपको प्रेगनेंसी के होते ही शुरू कर देना चाहिए। इस समय में बच्चे की न्यूरल ट्यूब डेवलप होती है जिस वजह से आपको जरूरी पौष्टिक तत्व जैसे फोलेट, कैल्शियम और आयरन का सेवन शुरुआत से ही कर देनी चाहिए।
फिजिकल एक्टिविटी: प्रेगनेंसी में एक्टिव रहना बहुत जरूरी है आप हल्की-फुल्की फिजिकल एक्टिविटी कर सकते हैं जैसे योग, वॉकिंग या फिर एक्सरसाइज। इससे आपकी बॉडी में स्ट्रेस रिलीज होगा। आपकी सरकुलेशन में सुधार होगा और आपका मूड बेहतर हो सकता है। प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले खतरों में भी सुधार आता है। इसके लिए आपको हेल्थ केयर प्रोवाइडर से एक बार जरूर संपर्क कर लेना चाहिए और रोजाना 15 से 20 मिनट फिजिकल एक्टिविटी के लिए जरुर निकालना चाहिए।
चाइल्डबर्थ क्लास: सही जानकारी के साथ आप स्वस्थ प्रेगनेंसी को बढ़ावा दे सकते हैं। इसलिए आपको खुद को एजुकेट करने की तरफ लगाना चाहिए। आप चाइल्डबर्थ क्लास ज्वाइन कर सकते हैं। इसके साथ ही आप प्रेगनेंसी से जुड़ी किताबें पढ़ सकते हैं और दूसरों के अनुभवों से खुद को तैयार कर सकते हैं। आप वर्कशॉप जॉइन कर सकते हैं। आप काउंसलिंग ले सकते हैं जिससे आपको बहुत सारे सवालों के जवाब मिल सकते हैं।
Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।