How To Differentiate Between Sadness And Depression: सैडनेस अर्थार्त उदासी एक स्वाभाविक मन:स्थिति है जिसका अनुभव हर कोई समय-समय पर करता है। यह आमतौर पर किसी विशेष घटना, हानि या निराशा का फल होता है, जैसे किसी प्रियजन की मृत्यु, रिश्ते का अंत, विफलता जिससे जन्मी उदासी एक टेंपरेरी फीलिंग है जो समय के साथ कम होती जाती है क्योंकि व्यक्ति स्थिति से निपटते है और आगे बढ़ने के रास्ते ढूंढते हैं। इसके साथ आँसू, कमज़ोरी और खालीपन की भावना हो सकती है लेकिन इससे हमारे रोजमर्रा के जीवन पर कोई बाधा नहीं पड़तीI दूसरी ओर, डिप्रेशन वह मानसिक स्थिति है जो उदासी से परे है। यह खराब मूड के कारण लंबे समय तक रहती है, यह कितने दिनों तक हमें प्रभावित करेगी इसका कुछ नहीं कहा जा सकताI यह किसी भी व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर सकता है, जिसमें कामकाज, रिश्ते और शारीरिक स्वास्थ्य भी शामिल है।
कैसे सैडनेस एवं डिप्रेशन के बीच अंतर करे?
1. सैडनेस एवं डिप्रेशन से उभरने में अपना-अपना वक्त है
अगर हमें किसी घटना या परिस्थिति से ठेस पहुंचती है तो उससे हुई हमारे मन की उदासी ज्यादा दिनों तक नहीं रहतीI यह वक्त के साथ कम होती जाती है लेकिन अगर हम डिप्रेशन की बात करे तो यह कहा नहीं जा सकता कि इसका किसी विशेष परिस्थिति से संबंध है कि नहींI कभी कबार हमारा बिना किसी बात से भी डिप्रेशन होना लाज़मी हैI लेकिन हमारी हालत कितने दिनों तक रहेगी इसका कुछ नहीं कहा जा सकता यह अपने आप चली भी जा सकती है या वक्त पर चेकअप ना करवाने के कारण यह हमें नुकसान भी पहुंचा सकती हैI
2. दोनों की अपनी-अपनी गंभीरता है
जैसा कि पहले कहा गया था कि दोनों के एक जैसे सिम्टम्स होने के बावजूद भी दोनों का असर अलग-अलग होता हैI जहां पर शायद किसी गहरे सदमे के कारण हमारा मन काफ़ी गंभीर रूप से उदास हो जाता है लेकिन यदि डिप्रेशन की बात करे तो जहां एक तरफ़ उदासी का हमें मालूम होता है कि वह एक ना एक दिन ठीक अवश्य हो जाएगी, वही डिप्रेशन हमारे मन को बहुत गहरी सोच में डुबो देती है और यह सिलसिला लगातार चलता रहता है परिणामस्वरूप हमारा मन निराशा एवं अन्य बेकार की चिंताओं में ग्रस्त हो जाता हैI
3. दोनों के शारीरिक लक्षण अलग होते है
उदासी और डिप्रेशन के कारण हमारी नींद में कमी और भूख में बदलाव आने आने की संभावना है लेकिन डिप्रेशन के कारण हमारे नींद का पैटर्न पूरी तरह से बिगड़ जाता है और इसका असर हमारे वज़न में भी होता हैI ऐसे में अच्छा यही होगा कि व्यक्ति अपने खाने-पीने और ठीक वक्त पर सोने की कोशिश करे अगर फिर भी कुछ ठीक नहीं होता तो अवश्य ही मानसिक चिकित्सक से अपनी जांच कराएंI
4. अपने-अपने तरीके से व्यक्ति के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाती है
जो व्यक्ति उदास होता है तो उसके मन में कई तरह के चिंता आती-जाति रहती है, वह एक प्रकार से निराश हो जाते है या फिर किसी चीज़ को खोने के गम में डूबे रहते है लेकिन फिर भी उनके नज़रों में खुद का आत्मसम्मान कहीं ना कहीं बनी रहती हैI डिप्रेशन के वक्त व्यक्ति अपने ही नजरों में गिर जाता है और खुद के प्रति नेगेटिव व्यू रखने लगता है जहां उसे खुद को अत्यंत बेकार, निराश एवं अंदर से खाली महसूस होने लगता हैI
5. डिप्रेशन में खुद को आघात पहुंचाने का विचार आता है जबकि सैडनेस में नहीं
अगर कोई बात मन की गहराई में जाकर चोट करे तो उस उदासी से उभरने में इंसान को थोड़ा वक्त तो लगता है और ऐसे में हो भी सकता है कि वह खुद को हानि पहुंचाने के बारे में सोचेI जिससे कि अक्सर उसके मन में मृत्यु और मरने के विचार आ सकते है परन्तु जब वह आत्महत्या के बारे में सोचें तो वह विचार डिप्रेशन से अधिक जुड़ा हुआ होता है और इस पर जल्द से जल्द गौर फरमाने में ही समझदारी हैI
चेतावनी : प्रदान की जा रही जानकारी केवल सूचनात्मक उद्देश्य से है। कुछ भी प्रयोग में लेने से पूर्व चिकित्सा विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श लें।