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महिलाओं को अपने जीवन में कई भूमिकाएं निभानी होती हैं जिससे तनाव और चिंता का स्तर बढ़ सकता है। समाज, करियर और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों का संतुलन बनाए रखना आसान नहीं होता और यही कारण है कि एंग्जायटी और डिप्रेशन जैसी समस्याएं महिलाओं में अधिक देखी जाती हैं। हालांकि, सही कदम उठाकर इसे नियंत्रित करना और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना संभव है।
महिलाएं इस तरह कर सकती हैं Anxiety & Depression का सामना
एंग्जायटी और डिप्रेशन मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी ऐसी स्थितियां हैं जो लंबे समय तक बनी रह सकती हैं। ये किसी की सोचने, महसूस करने और कार्य करने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं। इनमें लगातार उदासी, नकारात्मक विचार, डर और थकान जैसी समस्याएं शामिल होती हैं।
जीवनशैली में बदलाव
नियमित व्यायाम करें
व्यायाम से एंडोर्फिन का स्तर बढ़ता है, जो मूड को बेहतर बनाता है। योग और मेडिटेशन एंग्जायटी को कम करने और मानसिक शांति लाने में मदद करते हैं।
संतुलित आहार अपनाएं
विटामिन, मिनरल और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर आहार मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक होते हैं। जंक फूड और कैफीन से बचें क्योंकि ये एंग्जायटी के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं।
पर्याप्त नींद लें
नींद की कमी एंग्जायटी और डिप्रेशन को बढ़ा सकती है। दिनचर्या में सुधार करें और कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें।
सहायक उपाय
थैरेपी का सहारा लें
काउंसलिंग और थैरेपी एंग्जायटी और डिप्रेशन के इलाज में प्रभावी साबित होती हैं। एक प्रशिक्षित थेरेपिस्ट से बात करना आपकी समस्याओं को हल करने में मदद कर सकता है।
सामाजिक सहयोग प्राप्त करें
परिवार और दोस्तों से अपनी भावनाओं को साझा करें। सामाजिक समर्थन मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
हॉबीज को समय दें
अपनी पसंदीदा गतिविधियों जैसे पेंटिंग, गार्डनिंग या म्यूजिक को समय दें। यह न केवल तनाव को कम करता है बल्कि आपको खुश और ऊर्जावान महसूस कराता है।
ध्यान और मानसिक शांति
ध्यान और प्राणायाम जैसी तकनीकें तनाव को नियंत्रित करने और मानसिक शांति लाने में सहायक होती हैं। दिन में 10-15 मिनट का समय निकालकर इन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल करें। एंग्जायटी और डिप्रेशन का सामना करने के लिए महिलाएं अपनी जीवनशैली में छोटे-छोटे लेकिन महत्वपूर्ण बदलाव कर सकती हैं। आत्म-देखभाल, सही खानपान और मानसिक शांति को प्राथमिकता देकर यह संभव है। मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज न करें और आवश्यकता महसूस होने पर पेशेवर मदद लेने में संकोच न करें।