Don't trust these myths while caring for newborn babies:नवजात शिशुओं की देखभाल में कई मिथक और गलत धारणाएं प्रचलित हैं। ये मिथक अक्सर पीढ़ियों से चली आ रही परंपराओं पर आधारित होते हैं। इन मिथकों पर भरोसा करना नुकसानदेह हो सकता है। शिशु की सेहत और सुरक्षा के लिए वैज्ञानिक तथ्यों और पेडियाट्रिशन के सुझावों का पालन करना अधिक महत्वपूर्ण है। । यहां पांच प्रमुख मिथकों पर चर्चा की गई है जिन्हें नजरअंदाज करना चाहिए।
नवजात शिशुओं के देखभाल में ना करें इन myths पर भरोसा
1. नवजात को पानी पिलाना जरूरी है
यह एक व्यापक मिथक है कि नवजात शिशुओं को पानी पिलाना चाहिए। वास्तव में, छह महीने तक के शिशुओं के लिए सिर्फ माँ का दूध या फॉर्मूला मिल्क ही पर्याप्त होता है। माँ का दूध शिशु को सभी आवश्यक पोषक तत्व और हाइड्रेशन प्रदान करता है। पानी पिलाने से शिशु के पेट में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है।
2. शिशु को हमेशा गर्म कपड़े पहनाएं
अक्सर यह माना जाता है कि नवजात शिशुओं को हमेशा गर्म कपड़े पहनाना चाहिए, चाहे मौसम कैसा भी हो। हालांकि, शिशुओं का तापमान संतुलित रखना जरूरी है। उन्हें जरूरत से ज्यादा गर्म कपड़े पहनाने से शरीर का तापमान बढ़ सकता है, जिससे वे असहज महसूस कर सकते हैं। इसलिए, मौसम और कमरे के तापमान के अनुसार शिशु को कपड़े पहनाना चाहिए।
3. शिशु को रोजाना तेल मालिश करना अनिवार्य है
कई परिवारों में यह धारणा है कि शिशु को रोजाना तेल मालिश करना उनकी सेहत के लिए आवश्यक है। हालांकि, तेल मालिश से शिशु की त्वचा में जलन या एलर्जी हो सकती है। शिशु की त्वचा बहुत नाजुक होती है, इसलिए किसी भी तेल या लोशन का उपयोग करने से पहले पेडियाट्रिशन से परामर्श लेना चाहिए।
4. शिशु को रोने देना उनके फेफड़े मजबूत करता है
यह एक मिथक है कि शिशु को रोने देना उनके फेफड़ों को मजबूत बनाता है। वास्तव में, रोना शिशु की जरूरत या परेशानी का संकेत हो सकता है। उन्हें रोने देना उन्हें असुरक्षित और उपेक्षित महसूस करा सकता है। शिशु के रोने पर तुरंत प्रतिक्रिया देना और उसकी जरूरतों का ख्याल रखना आवश्यक है, ताकि वह सुरक्षित और संरक्षित महसूस करे।
5. नवजात को बाहर ले जाने से बीमार पड़ने का खतरा होता है"
कई माता-पिता को डर होता है कि नवजात को बाहर ले जाने से वह बीमार पड़ सकता है। हालांकि, शिशु को ताजगी हवा और धूप की जरूरत होती है, जो उनकी सेहत के लिए फायदेमंद है। बाहर ले जाते समय शिशु को उचित कपड़े पहनाना और भीड़-भाड़ वाले स्थानों से बचना चाहिए। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि शिशु को सीधे सूर्य की रोशनी में न रखें और उसकी त्वचा को सुरक्षा प्रदान करें।