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जानिए क्या है Period poverty? जिसका सामना करती हैं बेघर महिलाएं

आप कभी भी और कहीं भी घर से बाहर निकल जाएं आपको रोड पर कई लोग भीख मांगते दिख जाएंगे, उनमें से कई महिलाएं भी होती हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि ये महिलाएं जो दो वक्त पेट नहीं भर पाती वो इससे कैसे निपटती होगी?

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Khushi Jaiswal
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(Image credit : pinterest)

Period poverty: आप कभी भी और कहीं भी घर से बाहर निकल जाएं आपको रोड पर कई लोग भीख मांगते दिख जाएंगे, उनमें से कई महिलाएं भी होती हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि ये महिलाएं जो दो वक्त पेट नहीं भर पाती वो अपने मासिक धर्म या पीरियड्स में इस गरीबी के साथ कैसे निपटती होंगी? एक महिला को पीरियड्स के वक्त पीरियड्स प्रोडक्ट्स जैसे पैड्स, टैम्पोन, मेंसुरेशनल कप की सबसे ज्यादा जरुरत पड़ती है और अगर हम पैड्स बाजार से लेने जाएं तो एक पैकेट करीबन आपको 40 - 100 और उससे भी ज्यादा महंगे में मिलते हैं। जिसे खरीद पाना हर किसी के वश में नहीं, अगर किसी परिवार में एक से ज्यादा महिला है तो ये खर्चा और ज्यादा बढ़ जाता है। 

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क्या है पीरियड पॉवर्टी और उससे निपटने के तरीकें?

एक मजदूर का परिवार मुश्किल से महीने में कुछ 5 हजार से 10 हजार कमाता है या उससे भी कम और कुछ मजदूर तो दिहाड़ी पर जिंदगी काटते हैं, उनके लिए इतने मंहगे प्रोडक्ट्स खरीदना और इस्तेमाल करना मुमकिन नहीं। इस समस्या को पीरियड्स पॉवर्टी कहते हैं। यूनाइटेड किंगडम की एक संस्था टॉयबॉक्स ये दावा करता है कि भारत में 36% महिलाएं पीरियड्स के वक्त कपड़े का इस्तेमाल करती हैं, उनका कहना है कि 70 % प्रजनन स्वास्थ संबंधित समस्या महिलाओं को मासिक धर्म में सफाई न बनाए रखने के वजह से होती है और भारत में 21 साल की 10 में से 1 लड़की पैड्स या कोई भी पीरियड्स प्रोडक्ट अफ्फोर्ड नहीं कर सकती, इसलिए कपड़े का इस्तमाल करती हैं। पीरियड्स के वक्त सुविधा न मिल पाने के कारण कई लड़कियां शिक्षा नहीं ले पाती और उनकी पढ़ाई बीच में ही छूट जाती है। ये समस्या काफी बुरी तरह से एक लड़की के जीवन पर प्रभाव डालती है। 

कोविड -19 और पीरियड पॉवर्टी

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जब कोविड आया तब गरीबों और दिहाड़ी पर घर चलाने वाले मजदूरों में बस किसी तरह पेट पालने की जरुरत थी। तब पीरियड्स के वक्त कई महिलाओं ने बहुत समस्या झेली। सरकार के रिलीफ पैकेज में भी पीरियड्स प्रोडक्ट प्रायोरिटी लिस्ट में शामिल नहीं था, बल्कि कई महिलाओं ने ऐसे वक्त पुराने कपड़े और अखबार का इस्तेमाल किया था। जिससे उनको कई गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं। डेक्कन हेराल्ड की एक पब्लिकेशन में ये भी बताया गया कि, दिल्ली के स्मेंल में रहने वाली 18 साल की लड़की जानवी ने जब उसके पीरियड्स पर लीकेज के लिए ब्लाउज का कपड़ा इस्तेमाल किया तो उसमें लगे हुक के कारण उसके यूरिनरी ट्रैक और गर्भाशय में गंभीर इन्फेक्शन हो गया। वही एक महिला का जंग लगे हुक से टिटनेस के कारण मौत की खबर भी सामने आयी है। 

यह मामला काफी गंभीर है जिसके बारें में ज्यादा बातें नहीं होती। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार को पीरियड्स प्रोडक्ट के टैक्स को कम करना होगा ताकि इसे गरीबी रेखा से नीचे शामिल महिलाएं भी इस्तेमाल कर सकें और कई मासूम जाने बच सके।

Period Poverty
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