Manage Gestational Diabetes During Pregnancy In These Ways: प्रेग्नेंसी हर महिला के जीवन का एक खास पल होता है। जिससे उन्हें मां बनने का सुख प्राप्त होता है, लेकिन यह समय खुशी के साथ-साथ कई चुनौतियों से भरा हुआ भी रहता हैं, जिससे कई महिलाओं को गुजरना होता हैं। इस दौरान कुछ महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज यानी शुगर लेवल बढ़ने की समस्या होती है, जो डिलीवरी के दौरान जोखिम को बढ़ा देता है, इसलिए प्रेग्नेंसी में जेस्टेशनल डायबिटीज का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि इसके जोखिम से डिलीवरी के दौरान शिशु की जान खतरे में पड़ सकती है।
क्या है जेस्टेशनल डायबिटीज?
जेस्टेशनल डायबिटीज एक प्रकार की डायबिटीज है, जो प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती महिलाओं को होती हैं। इसमें आमतौर पर महिलाएं मधुमेह से पीड़ित हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में प्लेसेंटा को ग्लूकोज और अन्य पोषक तत्व नहीं मिल पाता है और गर्भवती महिलाओं के शरीर में इंसुलिन हार्मोन पर्याप्त मात्रा में नहीं बन पाते हैं। आमतौर पर इसकी शिकायत उन महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती हैं, जो 27 साल के बाद गर्भवती होती है। यह परेशानी गर्भावस्था के किसी भी स्टेज में हो सकती है, लेकिन दूसरी या तीसरी तिमाही में यह ज्यादातर देखने को मिलती है।
जेस्टेशनल डायबिटीज के लक्षण
यदि किसी गर्भवती महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या है, तो ऐसे में उनमें यह कुछ लक्षण विकसित होते हैं।
- मुंह का सूखा हुआ रहना
- बार-बार टॉयलेट आना
- अधिक प्यास लगना
- थकान महसूस करना
- धुंधला दिखाई देना
- जननांग हिस्सा में खुजली की समस्या होना
गर्भावस्था पर जेस्टेशनल डायबिटीज का क्या असर पड़ता है?
- इससे पीड़ित गर्भवती महिलाओं में बच्चे की 9 महीने पूरे होने के पहले यानी प्रीटर्म बर्थ की संभावना बढ़ जाती है।
- इसके कारण शिशु का साइज अधिक बड़ा हो सकता है, जिससे प्रसव डिलीवरी के दौरान अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता हैं और ऐसी स्थिति में सिजेरियन डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है।
- जन्म लेने के बाद शिशु को सांस लेने में कुछ वक्त के लिए दिक्कत हो सकती है।
- जेस्टेशनल डायबिटीज के कारण जन्म के बाद बच्चों में लो ब्लड शुगर या पीलिया की शिकायत हो सकती है।
- इसके कारण बच्चों में मोटापा या डायबिटीज का भी अधिक खतरा बढ़ जाता है।
गर्भवती महिलाओं को क्यों होती है जेस्टेशनल डायबिटीज?
- शरीर में इंसुलिन हार्मोन का सही से ना बन पाने के कारण।
- यदि परिवार में पहले से किसी को इसकी समस्या रही हो, तो ऐसी स्थिति में यह समस्या हो सकता है।
- प्रेग्नेंसी के दौरान व्यायाम न कर पाने के कारण।
- अनहेल्दी आहार का सेवन करने से।
- गर्भावस्था में ज्यादा मीठा खाने से।
कैसे पाएं जेस्टेशनल डायबिटीज से राहत
- प्रेग्नेंसी के दौरान समय-समय पर शुगर की जांच करते रहें, खासतौर पर 24 से 28 हफ्ते में।
- इस दौरान ज्यादा मीठी चीजों का सेवन बिलकुल भी ना करें, क्योंकि ज्यादा मीठा खाने से शरीर में अनहेल्दी फैट जमा हो जाता है, जो कई बीमारियों के जोखिम को बढ़ाता हैं।
- इससे पीड़ित महिलाएं अपने आहार में फाइबर युक्त फल, हरी सब्जियों को ही शामिल करें।
- इसे कम करने के लिए शारीरिक गतिविधि भी आवश्यक होती है, इसलिए आप प्रेग्नेंसी में साइकलिंग, वॉक या स्ट्रेचिंग कर सकती हैं।
- जेस्टेशनल डायबिटीज़ से पीड़ित महिलाओं को रोजाना 30 मिनट व्यायाम करनी चाहिए, जिससे प्रेग्नेंसी हेल्दी बना रहें।
Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।