Managing Changes In Mensuration Cycle With Age: उम्र बढ़ाने के साथ महिलाओं के शारीरिक स्वास्थ्य में भी बहुत सारे बदलाव होते हैं। उनमें से पीरियड्स में भी विभिन्न प्रकार के बदलाव देखने को मिलते हैं। यह बदलाव शारीरिक, हार्मोनल और भावनात्मक प्रभावों के कारण होते हैं। अक्सर महिलाओं में 40 के अंत और 50 की शुरुआत में मेनोपॉज की प्रक्रिया शुरू हो जाती है जो पीरियड्स में एक बदलाव होता है। मेनोपॉज महिलाओं के जीवन का एक ऐसा पड़ाव है जिसमें पीरियड आने बंद हो जाते हैं और महिलाओं में गर्भधारण की क्षमता खत्म हो जाती है। मेनोपॉज की शुरुआती दौर में महिलाओं को अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं। तो आइये जानते हैं उम्र बढ़ाने के साथ पीरियड्स में होने वाले बदलाव को कैसे मैनेज करें?
उम्र बढ़ाने के साथ पीरियड में होने वाले बदलाव को मैनेज करने के 5 तरीके
1. हार्मोनल चेंज को समझें
उम्र बढ़ाने के साथ महिलाओं में हॉरमोन इंबैलेंस की समस्या हो सकती है जो खासकर 40 के अंत में देखने को मिल जाती है। इस उम्र की महिलाओं में मेनोपॉज की प्रक्रिया शुरू होने लगती है। मेनोपॉज की प्रक्रिया के दौरान ऐस्ट्रोजन का स्तर घटने लगता है जिसके कारण से पीरियड्स इरेगुलर हो जाता है। इसकी कुछ समय बाद पीरियड्स आना बिल्कुल ही बंद हो जाते हैं। हमें हार्माेनरल चेंज को समझना बहुत महत्वपूर्ण है तभी हम खुद के स्वास्थ्य का प्रबंध कर पाएंगे।
2. हेल्दी लाइफ़स्टाइल
एक हेल्थी लाइफस्टाइल को बरकरार रखने के लिए संतुलित आहार लेना बहुत जरूरी है। इस स्थिति में महिलाओं को विटामिन और मिनरल से भरपूर भोजन करने चाहिए जैसे कि फल, सब्जियां और पूर्ण अनाज। उनके लिए कैल्शियम और विटामिन डी भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ उनकी हड्डियां भी कमजोर होने लग जाती हैं। अपनी लाइफस्टाइल को हेल्दी बनाकर रखने के लिए रोजाना व्यायाम करना जरूरी है व्यायाम के साथ हमें पर्याप्त नींद लेना भी बहुत आवश्यक है।
3. वजन
हॉरमोन इंबैलेंस के कारण हमारे शरीर में वजन के बढ़ाने की समस्या देखने को मिलती है। मानसिक धर्म बंद होने के कारण वजन बढ़ाने की संभावना और भी बढ़ जाती है। एक स्वस्थ जीवन के लिए वजन को कंट्रोल में रखना बहुत जरूरी है इसके लिए हमें नियमित आहार और व्यायाम पर ध्यान देना चाहिए। वजन हमारे शरीर में फैट बढ़ता है जो बहुत सारी बीमारियों का कारण बन सकता है जैसे थायराइड और यह कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी बढ़ने का काम करता है। वजन बढ़ाने के कारण से डायबिटीज की भी समस्या हो सकती है।
4. तनाव
जब हमारे शरीर में उच्च स्तर पर हार्मोनल इंबैलेंस होता है तो हमें तनाव का सामना करना पड़ता है और यह पीरियड्स में बदलाव का कारण बन सकता है। हमें अपने स्ट्रेस को मैनेज करना आवश्यक है इसके प्रबंधन के लिए हमें मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइ और योग करना चाहिए। इन सब उपाय को करने से हमारा मासिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है और हम तनाव मुक्त महसूस करते हैं। तनाव को दूर करने के लिए हम अपने हैबिट को भी फॉलो कर सकते हैं जिससे हमें खुशी मिलती है।
5. सपोर्ट
बड़ती उम्र के साथ पीरियड्स में बहुत सारे बदलवा आते है जिससे महिलाएं अत्याधिक चिंतित रहती है। उससे लड़ने के लिए उन्हें परिवार और दोस्तो का समर्थन चाहिए रहता है जो उनके मानसिक स्वास्थ के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है। अगर उन्हें सपोर्ट मिलेगा तो वह खुल कर पीरियड्स और मेनोपॉज के बारे में बात कर पाएंगी। उन्हे सपोर्ट देने से तनाव भी कम होता है।