Mood Swings During Periods: मूड स्विंग्स का अर्थ है अचानक और बार-बार भावनाओं में बदलाव आना, जो कई बार सामान्य से अधिक तीव्र हो सकते हैं। पीरियड्स के समय मूड स्विंग्स कई कारकों के संयोजन के परिणामस्वरूप होते हैं। हार्मोनल असंतुलन, मानसिक तनाव, थकान और शरीर में होने वाले बदलावों के कारण महिलाएं अलग-अलग भावनाओं का अनुभव करती हैं। यह स्थिति न केवल उनके दैनिक जीवन में कठिनाई पैदा कर सकती है, बल्कि यह उनके रिश्तों, कामकाजी जीवन और समग्र मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती है।
इस दौरान, महिलाओं में चिड़चिड़ापन, गुस्सा, उदासी और अत्यधिक संवेदनशीलता जैसे मूड स्विंग्स सामान्य होते हैं। यह मूड स्विंग्स बहुत ही आम हैं, लेकिन इनका प्रभाव उन महिलाओं के लिए अधिक गहरा हो सकता है, जो पहले से ही मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से गुजर रही हैं। समाज में अक्सर इस विषय पर खुलकर चर्चा नहीं की जाती, जिससे कई महिलाएं इस स्थिति को अकेले ही झेलने को मजबूर होती हैं। मूड स्विंग्स को समझना और इसके पीछे के कारणों को जानना न केवल महिलाओं के लिए, बल्कि उनके परिवार और मित्रों के लिए भी महत्वपूर्ण है। इससे न केवल सहानुभूति बढ़ती है, बल्कि वे बेहतर समर्थन भी प्रदान कर सकते हैं।
पीरियड्स के समय होने वाले मूड स्विंग्स किस प्रकार के होते हैं
1. चिड़चिड़ापन और गुस्सा
इस समय छोटी-छोटी बातें भी गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ा सकती हैं। हार्मोनल असंतुलन के कारण को सामान्य से अधिक गुस्सा आ सकता है और उनका धैर्य कम हो सकता है।
2. उदासी और निराशा
पीरियड्स के दौरान कई महिलाओं को अचानक से उदासी महसूस होती है। कई बार किसी कारण के बिना भी उदासी महसूस होती है, जिससे वे खुद को अकेला और निराश महसूस कर सकती हैं।
3. अत्यधिक संवेदनशीलता
पीरियड्स के समय भावनाएं अधिक संवेदनशील हो जाती हैं, जिससे किसी की कही छोटी बात भी गहरे असर डाल सकती है। इस समय महिलाएं भावनाओं को तीव्रता से महसूस करती हैं और जल्दी भावुक हो सकती हैं।
4. अत्यधिक खुशी या उत्तेजना
मूड स्विंग्स में केवल नकारात्मक भावनाएं ही नहीं होतीं, बल्कि कुछ महिलाएं अचानक से बहुत खुश महसूस कर सकती हैं। यह खुशी भी हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण होती है।
5. अकेलापन और असुरक्षा का भाव
कुछ महिलाओं को पीरियड्स के दौरान अचानक से अकेलापन महसूस होने लगता है। उन्हें लगता है कि उनके साथ कोई नहीं है या उन्हें समझने वाला कोई नहीं है। इससे उनमें असुरक्षा और चिंता का भाव पैदा हो सकता है।
6. तनाव और चिंता
इस समय महिलाओं का मूड जल्दी-जल्दी बदलता है, जिससे उन्हें मानसिक तनाव और चिंता महसूस हो सकती है। हार्मोनल बदलाव उनके दिमाग पर असर डालते हैं, जिससे चिंता और बेचैनी का भाव उत्पन्न होता है।
7. थकान और सुस्ती
पीरियड्स के दौरान थकान भी मूड को प्रभावित करती है। शारीरिक कमजोरी और ऊर्जा की कमी के कारण उन्हें सुस्ती और थकावट महसूस होती है, जिससे उनका मूड उदासीन और नकारात्मक हो सकता है।