These Changes Occur In The Vagina During Menopause: मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। जिसमें से सबसे मुख्य बदलाव वजाइना में आता है। इस दौरान हमेशा के लिए पीरियड बंद हो जाते हैं। वहीं, एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में लगातार कमी भी होने लगती है। जिस कारण वजाइना में कई समस्या आती हैं। हालांकि मेनोपॉज में महिलाओं को हॉट फ्लैश, नींद की समस्या, मूड स्विंग्स जैसी कई समस्याएं शुरू होती हैं, लेकिन इस दौरान वजाइनल समस्या ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि इस दौरान कई हार्मोनल उतार-चढाव होते हैं।
मेनोपॉज के दौरान योनि में होते हैं ये बदलाव
मेनोपॉज में महिलाओं के योनि में कई तरह के बदलाव होते हैं, जो है-
1. वॉल्वा का बदलना
वॉल्वा महिला जननांग के बाहरी हिस्से होते हैं। जिसमें मेनोपॉज के दौरान बदलाव आता है। इसके कारण वॉल्वा कई बार थिन और फ्लैर हो जाती है, लेकिन ऐसी स्थिति सारी महिलाओं में नहीं दिखती।
2. वजाइनल ड्राइनेस
आमतौर पर वजाइनल ड्राइनेस हर उम्र की महिलाओं में देखा जाता हैं, लेकिन मेनोपॉज में ये समस्याएं ज्यादा बढ़ जाती हैं। जिससे योनि के आसपास कई ऐसे बैक्टीरिया प्रभावित हो जाते हैं, जो शरीर के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होते हैं और जिस कारण इन्फेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है।
3. टाइट वजाइना
इस दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में कमी आने के कारण शरीर में कम चिकनाई आ जाती है। जिससे योनि की परत पतली और कम खिंचाव वाली हो जाती है, क्योंकि इस दौरान योनि खुलते समय सख्त और छोटी हो जाती है।
4. योनि में जलन
मेनोपॉज की प्रक्रिया काफी लंबे समय तक रहती है। ऐसे में पीरियड्स काफी ज्यादा प्रभावित हो जाते हैं। किसी की पीरियड साइकल 15 दिन तक, तो किसी को दो-ढ़ाई महीने तक पीरियड्स नहीं होते, वहीं किसी को कम तो किसी को ज्यादा। ऐसे में महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है। जिस कारण कई बार योनि में जलन महसूस शुरु हो जाती है।
5. लुब्रिकेशन में कमी
मेनोपॉज में एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में कमी आने से वजाइना का लुब्रिकेशन कम हो जाता है। यह लुब्रिकेशन संबंध बनाते दौरान घर्षण को कम करने में मदद करता है, लेकिन मेनोपॉज में एस्ट्रोजन में कमी से लुब्रिकेशन कम होता है और जिस कारण यौन संबंध बनाते वक़्त दर्द का अनुभव होने लगता है।
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