What Causes Premature Menopause? पीरियड शुरू और खत्म होने का एक निश्चित समय होता है। हालांकि यह समय हर महिला में अलग-अलग होता है, लेकिन डॉक्टर के मुताबिक हर महिला में 45 से 55 साल के उम्र में पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं। जिसे मेनोपॉज कहा जाता है। मेनोपॉज के दौर से हर महिला गुजरती है, लेकिन आजकल गलत खानपान, खराब लाइफस्टाइल जैसे तमाम समस्या के कारण समय से पहले कई महिलाओं में मेनोपॉज शुरू हो जाते हैं। इस स्थिति को प्रीमेच्योर मेनोपॉज कहते हैं। आमतौर पर 14 या 15 साल से लेकर 40 से 50 वर्ष की आयु तक पीरियड्स होते हैं, लेकिन कुछ महिलाओं में समय से पहले ही यानी 40 वर्ष की आयु तक ओवेरियन फैलियर हो जाता है और पीरियड बंद हो जाते हैं।
उम्र से पहले मेनोपॉज के लक्षण
- अनियमित पीरियड्स
- ब्रेस्ट में सूजन
- वजाइना में खुजली
- यौन संबंध बनाने की इच्छा खत्म होना
- मूड स्विंग्स
- पसीना ज्यादा आना
- तनाव
- बेवजह थकान महसूस करना
समय से पहले मेनोपॉज होने का कारण
मेनोपॉज में महिला की गर्भधारण क्षमता खत्म हो जाती है। इसके होने के पीछे कई कारण होते हैं।
1. जेनेटिक्स
उम्र से पहले मेनोपॉज के पीछे जेनेटिक्स फैक्टर भी जिम्मेदार होते हैं। इसका रिस्क उन महिलाओं में ज्यादा होता है, जो टर्नर सिंड्रोम या फ्रेजाइल X सिंड्रोम होती है।
2. रेडिएशन थेरेपी
महिलाओं को कम उम्र में कैंसर होने से कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल करना पड़ता है, जो प्रीमेच्योर मेनोपॉज का कारण बनता है।
3. सर्जरी
कई महिलाओं के ओवरी में ट्यूमर होने के कारण इसे सर्जरी के माध्यम से बाहर निकाला जाता है। जिसकी वजह से जल्द मेनोपॉज हो सकता है।
4. ऑटोइम्यून डिसऑर्डर
इसके कारण इम्यून सिस्टम ओवरी पर अटैक करने लगता है। जिस कारण ओवेरियन फैलियर होता है, जो समय से पहले मेनोपॉज का कारण बनता है।
समय से पहले मेनोपॉज होने के नुकसान
1. हार्मोनल बदलाव
प्रीमेच्योर मेनोपॉज होने के कारण रिप्रोडक्टिव हार्मोन जैसे एस्ट्रोजन के स्तर में बदलाव आता है। जिसके कारण वजाइनल ड्राईनेस, मूड स्विंग्स और शारीरिक संबंध न बनाने की इच्छा जैसी समस्याएं शुरू होती हैं।
2. इनफर्टिलिटी
इस दौरान ओवरीज के फंक्शन्स का ठीक से काम ना कर पाने के कारण इनफर्टिलिटी की समस्या आती है। जिस कारण महिला को प्रेग्नेंसी कंसीव करने में परेशानी आती है।
3. हार्ट हेल्थ
समय से पहले मेनोपॉज के कारण एस्ट्रोजन हार्मोन में कमी आती है और यह हार्मोन ब्लड वेसल्स को हेल्दी रखने और कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में मदद करता है, जो कि इस दौरान इसका स्तर कम होने के कारण दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
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