Premenopause Ovary Pain: प्रीमेनोपॉज के समय ओवेरी में दर्द एक सामान्य समस्या है जो ज्यादातर महिलाओं में देखी जाती है। यह एक संकेत हो सकता है कि महिला के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन हो रहे हैं और उनके इंट्रासिस्टम का स्वाभाविक कार्य पर प्रभाव पड़ रहा है। ओवेरी में दर्द की वजह से महिलाएं अस्वस्थ महसूस कर सकती हैं और इससे उनका दैनिक जीवन प्रभावित हो सकता है। इससे महिलाओं को तकलीफ होती है। यह दर्द पेट के निचले हिस्से में महसूस हो सकता है, और कभी-कभी इसका दर्द बहुत ही तेज होता है। आइए इस लेख से, प्रीमेनोपॉज के समय ओवरी में दर्द के कारण जानें।
प्रीमेनोपॉज के समय ओवरी में दर्द होने के कारण
एंडोमेट्रियल टिश्यू
एंडोमेट्रियल टिश्यू यूट्रस के अंदर विकसित होता है और मेंस्ट्रुअल साइकिल के दौरान निकल जाता है। जब यह टिश्यू यूट्रस के बाहर बढ़ता है, तो इसे एंडोमेट्रियोसिस कहा जाता है। इस समय पेट में दर्द, असामान्य ब्लीडिंग और क्रैंपिंग भी होती है ये समस्या यूट्रस से जुड़ी हुई है और इसी क्रम में महिलाओं की ओवरी में भी दर्द हो सकता है।
ओवेरियन सिस्ट
ओवेरियन सिस्ट छोटी-छोटी गांठें होती हैं जो एक या दोनों ओवरीज में तरल पदार्थ से भरी होती हैं। यह समस्या प्रीमेनोपॉज के दौरान भी हो सकती है। इसके लक्षण अक्सर प्रारंभिक अवस्था में डायरेक्ट नहीं होते, लेकिन कुछ महिलाओं को दर्द का अनुभव होता है। इसे अक्सर पीरियड्स का दर्द समझा जाता है, लेकिन यह समस्या अलग होती है।
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी
प्रीमेनोपॉज के समय महिलाएं सोचती है की वे कंसीव नहीं कर सकती लेकिन इस बात क्या ध्यान रखे की जब तक आपको पीरियड्स हो रहे है तब तक आप ओव्यूलेशन के फेस से गुजरती हैं। ये समय कंसीव करने के लिए सबसे बेहतर माना जाता है एक्टोपिक प्रेग्नेंसी एक स्थिति है जब गर्भाशय के बाहर यानी यूट्रस के बाहर, भ्रूण का ठहरना होता है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी अवश्यकता से ज्यादा खतरनाक हो सकती है।
मेंस्ट्रुअल पेन
मेंस्ट्रुअल पेन एक सामान्य समस्या है जो महिलाओं को पेरियड्स के दौरान होती है। प्रीमेनोपॉज के दौरान, महिलाओं के शारीरिक हार्मोन्स में बदलाव होते हैं जो पीरियड्स के साथ दर्द और क्रैंपिंग को व्यक्त कर सकते हैं। कुछ महिलाओं को इस दर्द की बढ़ती हुई रूचि होती है, जबकि कुछ को पेन-लेस पीरियड्स भी हो सकते हैं।
यूटरिन फाइब्रॉयड
यूटरिन फाइब्रॉयड के लक्षणों में गंभीर ऐंठन और हैवी ब्लीडिंग शामिल हो सकती है। महिलाओं को इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा, यह लक्षणों में महीने में दो बार पीरियड्स, हैवी ब्लीडिंग, पेल्विक क्रैंपिंग, और बार-बार पेशाब आना भी शामिल हो सकते हैं।
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