How to Navigate Menopause Challenges and Prepare for the Journey? कर्टनी कॉक्स ने एक बार कहा था, "मेनोपॉज आपको जिंदा निगल सकता है।" क्या इससे पहले से तैयार रहना फायदेमंद होगा? हम बात कर रहे हैं मेनोपॉज की, और अब महिलाएं भी इस बारे में खुलकर चर्चा कर रही हैं।
मेनोपॉज आपको कमजोर कर देगा, क्या आप इसके लिए तैयार हैं?
मेनोपॉज का सफर 40 और 50 की उम्र के बीच जटिल हो सकता है, लेकिन सही दृष्टिकोण से यह सशक्तिकरण और नए जीवन की शुरुआत का समय भी हो सकता है। आइए जानते हैं कि मेनोपॉज के दौरान होने वाले हार्मोनल बदलावों को कैसे समझा जा सकता है और इस दौरान स्किन केयर रूटीन को कैसे अनुकूलित किया जा सकता है।
मेनोपॉज क्या है?
मेनोपॉज वह समय होता है जब महिलाओं की प्रजनन क्षमता खत्म हो जाती है, आमतौर पर 45 से 55 वर्ष की उम्र के बीच। इस दौरान एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन का स्तर घटने लगता है, जिससे मासिक धर्म समाप्त हो जाता है।
डॉ. सुदेशना रे, मेडिकल डायरेक्टर, गाईट्री और वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ कहती हैं, "हार्मोनल उतार-चढ़ाव मेनोपॉज के दौरान कई समस्याएं जैसे हॉट फ्लैशेज, नाइट स्वेट्स, मूड स्विंग्स और वेजाइनल ड्रायनेस का कारण बनते हैं। इन्हें समझना ही पहला कदम है।"
एस्ट्रोजेन का महत्त्व
मेनोपॉज के दौरान सबसे बड़ा बदलाव एस्ट्रोजेन के स्तर में होता है। एस्ट्रोजेन न केवल हड्डियों और हृदय के लिए बल्कि त्वचा की लचक के लिए भी आवश्यक होता है। जैसे-जैसे इसका स्तर घटता है, त्वचा शुष्क और पतली होने लगती है।
डॉ. एमिली डेविस, डर्मेटोलॉजिस्ट कहती हैं, "एस्ट्रोजेन की कमी से कोलेजन उत्पादन में गिरावट आती है, जिससे त्वचा की लचक कम होती है। ऐसे में सही स्किनकेयर रूटीन अपनाना महत्वपूर्ण हो जाता है।"
स्किन केयर रूटीन
राधिका मेहता, जो अपनी स्किनकेयर पर विशेष ध्यान देती हैं, सलाह देती हैं कि 40 और 50 की उम्र की महिलाओं को हल्के क्लेंजर, हयालूरोनिक एसिड वाला सीरम, रेटिनॉइड-आधारित उत्पाद और पेप्टाइड्स से भरपूर मॉइस्चराइज़र का उपयोग करना चाहिए।
साथ ही, सनस्क्रीन का नियमित उपयोग भी जरूरी है क्योंकि मेनोपॉज के दौरान त्वचा सूरज की क्षति के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती है।
लाइफस्टाइल में बदलाव
स्किनकेयर के अलावा, जीवनशैली में बदलाव भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और पर्याप्त नींद मेनोपॉज के लक्षणों को प्रबंधित करने में सहायक होते हैं।
चाहत वासुदेव, न्यूट्रिशनिस्ट कहती हैं, "एक संतुलित आहार, जिसमें कैल्शियम, विटामिन डी और फाइटोएस्ट्रोजेन शामिल हो, मेनोपॉज के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करता है।" फाइटोएस्ट्रोजेन सोया, अलसी और फलियों में पाया जाता है, जो शरीर में एस्ट्रोजेन की तरह काम करता है।
तनाव प्रबंधन
तनाव का प्रबंधन भी महत्वपूर्ण है। योग, ध्यान और माइंडफुलनेस जैसी तकनीकें तनाव को कम करने और भावनात्मक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकती हैं। योग विशेषज्ञ शिल्पा मंगल कहती हैं, "क्रोनिक तनाव मेनोपॉज के लक्षणों को बढ़ा सकता है, इसलिए इसे प्रबंधित करने के तरीके खोजना आवश्यक है।"
मेनोपॉज जीवन का एक स्वाभाविक चरण है और इसे समझदारी से अपनाकर इस बदलाव को आसान बनाया जा सकता है। हार्मोनल बदलावों को समझना, स्किनकेयर रूटीन को अनुकूलित करना, स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखना और तनाव प्रबंधन के उपाय अपनाकर मेनोपॉज के इस सफर को सशक्त और आत्मविश्वास से भरा बनाया जा सकता है।
जैसा कि डॉ. रे कहती हैं, "मेनोपॉज सिर्फ एक अंत नहीं है, बल्कि एक नई शुरुआत है, जो खुद की देखभाल और जीवन के अगले अध्याय को अपनाने का अवसर देती है।"