What Is Cryptic Pregnancy? प्रेग्नेंट होने पर महिलाओं को गर्भावस्था का लक्षण ज़्यादातर 4 से 12 सप्ताह के अंदर महसूस होने लगता है, लेकिन वहीं कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी का पता भी नहीं चल पाता। यह सुनने में थोड़ा अटपटा लगेगा लेकिन क्रिप्टिक प्रेगनेंसी में ऐसा होना स्वाभाविक है, क्योंकि इसमें महिलाएं प्रेग्नेंसी का कोई भी लक्षण महसूस नहीं कर पाती है। अन्य महिलाओं की तरह वह सामान्य जिंदगी जी रही होती है। उनको एहसास तक नहीं होता है कि उनके गर्भ में एक नन्हा शिशु पल रहा है।
क्या है क्रिप्टिक प्रेग्नेंसी?
क्रिटिक प्रेग्नेंसी वैसी प्रेग्नेंसी होती है, जिसमें प्रेग्नेंसी का कोई लक्षण नहीं दिखता है। कई महिलाओं को गर्भावस्था के तीसरी माह तक भी नहीं पता चल पाता है, क्योंकि इसमें कोई लक्षण नहीं दिखता कि जिससे प्रेग्नेंसी पता चल पाए। कई बार तो पीरियड्स मिस होने के बाद भी टेस्ट नेगेटिव आते हैं। इसे गुप्त गर्भावस्था या डिनाइड प्रेग्नेंसी भी कहा जाता है।
क्रिप्टिक प्रेग्नेंसी के लक्षण
जिन महिलाओं में क्रिप्टिक प्रेग्नेंसी देखने को मिलता है, उनमें दरअसल प्रेग्नेंसी के दौरान एचसीजी हार्मोन यानी ह्यूमन कोरिआनिक गोनाडोट्रोपिन का स्तर शरीर में कम हो जाता है। हालांकि इसके अलावा भी कई लक्षण देखने को मिलते हैं, जैसे- वजन बढ़ना, हल्का पेट में दर्द, थकान, मूड स्विंग्स, जी मिचलना, स्तन में दर्द या सूजन, गर्भाशय का आकार बढ़ना। कई बार तो यह महिलाएं में तिसारी तिमाही में पता चलता है, तो वहीं कुछ मामलों में यह अंतिम तिमाही में प्रेग्नेंसी सामने आता है।
क्रिप्टिक प्रेग्नेंसी के कारण
- यह समस्या पीसीओएस यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के कारण होता है।
- यदि किसी महिला को पहले गर्भपात हुआ है, तो उनमें भी यह समस्या देखने को मिलती है।
- हार्मोनल असंतुलन के कारण भी क्रिप्टिक प्रेग्नेंसी की समस्या होती है।
- जिन महिलाओं को अनियमित मासिक धर्म होता है, उनमें गर्भावस्था का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
- गर्भनिरोधक दवाईयों के अधिक सेवन के कारण भी ऐसी स्थिति बन सकती हैं।
क्या है इससे खतरा?
- इसके कारण होने वाले बच्चे का वजन काफी कम रहता है।
- समय से पहले ही बच्चे का जन्म होने का खतरा।
- प्रेग्नेंसी में संक्रमण होने का खतरा बढ़ता है।
- गुणसूत्री संबंधी विकारों के कारण भी यह समस्या देखने को मिलता है।
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