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Why Conversation Around Reproductive Health Is Not Normal? हमारे देश में रिप्रोडक्टिव हेल्थ के बारे में महिलाएं खुलकर बात नहीं करती हैं जो कि गलत बात है। हमारे आसपास बहुत सारी महिलाएं हैं जो किसी न किसी सेहत समस्या से जूझ रही हैं लेकिन वो इसके बारे में किसी को बताती नहीं है जो की गलत बात है। इसमें उनका भी कसूर नहीं है क्योंकि हमारे समाज में इसको लेकर बहुत सारा स्टिग्मा है। अब आप पीरियड्स को ही देख लीजिए, लड़की को पहली बार पीरियड आने तक पता नहीं होता है कि यह क्या होते हैं तो वहां पर हम कैसे यह उम्मीद कर सकते हैं कि महिलाएं अपनी रिप्रोडक्टिव हेल्थ के बारे में खुलकर बात करें। आज हम जानेंगे के कि किन कारणों की वजह से ऐसा होता है-
क्यों आज भी भारतीय महिलाएं अपनी Reproductive Health को छुपाती हैं?
स्टिग्मा
ऐसे माहौल के लिए सबसे बड़ा कारण स्टिग्मा है जिसके कारण महिलाएं अपनी सेहत के बारे में बात नहीं करती हैं। ऐसा समझा जाता है कि इन टॉपिक के बारे में खुलकर बात नहीं करनी चाहिए। उन्हें इन चीजों के बारे में बुरा फील करवाया जाता है लेकिन हम लोगों को यह बात समझनी होगी कि ऐसे हम प्रॉब्लम को ज्यादा बढ़ावा दे रहे हैं क्योंकि जब तक आप इसके बारे में किसी को बताएंगे नहीं या फिर आप इस समस्या को एड्रेस नहीं करेंगे तब तक आपके लिए ही इलाज तक पहुंचना मुश्किल होता रहेगा।
प्राइवेट मुद्दा
महिलाएं अपनी रिप्रोडक्टिव हेल्थ को ज्यादातर छुपाकर इसलिए भी रखती हैं क्योंकि इसे बहुत ही प्राइवेट मुद्दा समझा जाता है। हम इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं- महिलाएं अपने पीरियड्स के बारे में खुलकर बात नहीं करती हैं और सेक्स के बारे में बात करना अच्छा नहीं समझा जाता हैं लेकिन ये सभी हमारे जीवन का एक हिस्सा हैं। अगर हम इन समस्याओं को प्राइवेट और इंटिमेट रखेंगे तो इनमें आने वाले चैलेंज को कैसे डील करेंगे। इसके साथ ही अगर लोगों को इनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होगी तो इससे वे दूसरे की प्रॉब्लम को भी समझ नहीं पाएंगे।
अवेयरनेस और जानकारी की कमी
बहुत सारे लोगों को इस बारे में पता ही नहीं होता है कि उन्हें कोई प्रॉब्लम है क्योंकि इसके बारे में हमारे समाज में अवेयरनेस ही नहीं होती है। अगर हम सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इनफेक्शन की बात करें तो शुरुआत में इसके लक्षण दिखाई ही नहीं देते हैं और अगर आप डॉक्टर के पास नहीं जाएंगे या फिर आपको इस चीजों के बारे में जानकारी नहीं होगी तो आप समझ ही नहीं पाएंगे कि आप बीमार हैं या फिर आपको कोई प्रॉब्लम है। इससे यह भी हो सकता है कि आपके इलाज में देरी हो जाए।
सपोर्ट नहीं मिलता
महिलाओं को बहुत कम सपोर्ट मिलता है। उनकी हेल्थ के ऊपर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है और ना ही महिलाएं अपनी बॉडी के बारे में ज्यादा अवेयर होती हैं। उन्हें इसके लिए जज भी किया जाता है और शर्मिंदगी भी पैदा की जाती है जिसके कारण महिलाएं अपनी सेहत के बारे में बताने से डर जाती हैं। बहुत सारी महिलाएं आज भी पीरियड्स के दिनों में काम करती हैं और दर्द में रहती हैं लेकिन इसे किसी के साथ शेयर नहीं करती क्योंकि उन्हें लगता हैं कि इसके लिए उन्हें जज किया जाएगा या फिर उनकी प्रॉब्लम को समझा नहीं जाएगा।
अगर हम अपने जीवन में स्वस्थ महिलाएं चाहते हैं तो हमें उनकी सेहत के बारे में बातचीत को नॉर्मलाइज करना होगा और रिप्रोडक्टिव हेल्थ को लेकर जो स्टिग्मा है उसे कम करना होगा। औरतों को अपनी हेल्थ के लिए अवेयर करना होगा। हमें उनके साथ बैठकर इन मुद्दों पर बात करनी होगी ताकि वे भी कंफर्टेबल हो सके और अपनी सेहत के बारे में खुलकर बात कर सके।