Biological Pressure: क्यों औरतों को अपने सपनों को बायोलॉजिकल क्लॉक से तौलना पड़ता है?

Biological Pressure: आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं, विज्ञान से लेकर व्यापार तक। लेकिन जैसे ही वे अपने करियर या सपनों की ओर बढ़ती हैं, एक सवाल उठता है, "बायोलॉजिकल क्लॉक का क्या?"

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Tamnna Vats
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Pregnancy

Photograph: (Freepik)

Why do women have to measure their dreams against the 'biological clock'?: आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं, विज्ञान से लेकर व्यापार तक। लेकिन जैसे ही वे अपने करियर या सपनों की ओर बढ़ती हैं, एक सवाल उठता है, "बायोलॉजिकल क्लॉक का क्या?" समाज अब भी उन्हें शादी करने और मां बनने की समय-सीमा में बांधकर देखता है, जिससे महिलाएं अपने सपनों और शरीर की घड़ी के बीच उलझ जाती हैं।

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Biological Pressure: क्यों औरतों को अपने सपनों को ‘बायोलॉजिकल क्लॉक’ से तौलना पड़ता है?

बायोलॉजिकल क्लॉक आखिर क्या है ?

बायोलॉजिकल क्लॉक यानी जैविक घड़ी का मतलब महिलाओं की प्रजनन क्षमता से होता है। माना जाता है कि उम्र बढ़ने के साथ यह क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है और कुछ समय बाद इसमें तेजी से गिरावट आती है। यह एक वैज्ञानिक सच्चाई है, लेकिन जब समाज का दबाव और भावनात्मक तनाव इसके साथ जुड़ जाता है, तो यह महिलाओं के लिए काफी मानसिक तनाव का कारण बन जाता है।

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महिलाओं के फैसलों पर सवाल क्यों?

जब पुरुष करियर बनाते हैं, तो उन्हें सराहा जाता है। लेकिन महिलाएं आगे बढ़ें तो उनसे शादी और बच्चों को लेकर सवाल किए जाते हैं। ये सवाल उनकी पसंद और काबिलियत पर शक करते हैं और उन्हें करियर या मातृत्व में से एक चुनने के लिए मजबूर करते हैं। समाज को चाहिए कि महिलाओं के फैसलों का सम्मान करे, ना कि उन्हें सीमित करे।

विकल्प होते हुए भी महिलाएं मजबूर क्यों है?

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आज के समय में मेडिकल साइंस में अंडाणु को सुरक्षित रखने के लिए एग फ्रीजिंग और IVF जैसी कई तकनीकें उपलब्ध हैं। लेकिन इन तरीकों की जानकारी और सुविधाएं बहुत कम महिलाओं तक पहुंच पाती हैं। समाज भी कई बार इन्हें सही नहीं मानता और महिलाओं को ऐसे फैसलों पर शर्मिंदा या गलत महसूस कराता है। इसी वजह से कई महिलाएं करियर और निजी जिंदगी के बीच उलझ जाती हैं। उन्हें लगता है जैसे सपनों और मां बनने में से किसी एक को ही चुनना होगा।

मां बनना है, या नहीं ये सिर्फ एक महिला तय कर सकती है?

ये ऐसा समय है जब, बायोलॉजिकल क्लॉक को महिलाओं के सपनों के बीच रुकावट नहीं बनना चाहिए। हर महिला को ये आज़ादी होनी चाहिए कि वह कब, कैसे और किन हालात में मां बने, या मां बने भी या नहीं, ये भी उसका फैसला हो। उसके करियर, पढ़ाई और खुद पर निर्भर होने को मां बनने के फैसले से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

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