Women's Health: क्यों पुरुषों के मुकाबले महिलाएं अधिकतर होती हैं डिप्रेशन का शिकार?

स्टडीज कहती हैं कि एक स्त्री, पुरुषों के मुकाबले मानसिक बिमारियों से अधिक ग्रसित होती हैं। आकड़े हमे सोचने पर मजबूर कर देते हैं लेकिन ऐसा क्या कारण है कि समाज में आज एक महिला को इतना मानसिक तनाव सहना पड़ रहा है?

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Khushi Jaiswal
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(Image credit : Bhaskar)

Women's Health: स्टडीज कहती हैं कि एक स्त्री, पुरुषों के मुकाबले मानसिक बिमारियों से अधिक ग्रसित होती हैं। आकड़े हमे सोचने पर मजबूर कर देते हैं लेकिन ऐसा क्या कारण है कि समाज में आज एक महिला को इतना मानसिक तनाव सहना पड़ रहा है? जिससे वो मानसिक तौर पर बीमार होती जा रहीं हैं। शहर में रहने वाली जागरूक महिला डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसे मानसिक तनाव से डील करने के लिए थेरेपी की सहायता ले सकती हैं पर वही गांव की महिला को तो ज्ञात भी नहीं की उसे असल में डिप्रेशन या एंग्जायटी है। स्टडीज की माने तो हार्मोनल बदलाव, जीवन में घटी घटना, कई बायोलॉजिकल फैक्टर के कारण एक महिला डिप्रेशन में जा सकती है चलिए इसे गहराई से समझते हैं। 

इन वजहों से एक महिला हो सकती है डिप्रेशन का शिकार   

1. पुबर्टी 

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कई बार शरीर में हुए हार्मोनल बदलाव से भी कई लड़कियों में डिप्रेशन का रिस्क बढ़ जाता है। जब बच्चों को स्कूल में या पेरेंट्स द्वारा बॉडी में आने वाले बदलाव के बारे में जागरूक नहीं किया जाता तो वो यह सब चीजें खुद से डिस्कवर करते हैं। कई बार स्कूल में भी बच्चें को उनके बॉडी पार्ट्स के लिए बुली किया जाता है जिसके कारण वो डिप्रेशन का शिकार हो जाती है। जैसे कई बार लड़कियों को उनके ब्रैस्ट साइज के लिए स्कूल में बुली किया जाता है जोकि उन्हें काफी डिप्रेस्ड करता है ऐसे वक्त पर उन्हें काफी प्रेशर से भी डील करना पड़ता है। 

2. जिंदगी में हुई कोई घटना 

जब एक महिला घर से बाहर निकलती है उसे कई लोग बुरी नजरों से देखते हैं कोई उसपर कमेंट पास करता है, कोई जान बूझकर उसके प्राइवेट पार्ट्स को छूने की कोशिश करता है जिसके कारण ये सदमा उनके साथ हमेशा रह जाता है। कई बार छोटी बच्चियों के साथ हुए सेक्सुअल हरासमेंट उनके लिए जिंदगी भर का ट्रॉमा बन सकता है। सेक्सुअल हरासमेंट के कारण कई महिलाओं ने अपनी जान तक गवा दी और रोज अख़बार में आप रेप केसेस तो पढ़ते होंगे जिससे आपको इसका अंदाजा तो लग ही गया होगा की सेक्सुअल हरासमेंट से एक महिला कितनी बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।

 3. प्रीमेनोपॉज एंड मेनोपॉज़ 

जब महिलाओं का मेनोपॉज़ आने का समय होता है तभी उनके शरीर में कई सारे हार्मोनल बदलाव होते है जिससे वो डिप्रेशन का शिकार हो जाती है। मेनोपॉज़ शुरू होने से पहले और मेनोपॉज़ के बाद डिप्रेशन का रिस्क काफी बढ़ जाता है। डिप्रेशन से जूझती महिला को सोने में भी दिक्कत होती है साथ ही उनकी बॉडी वेट पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। जिन महिलाओं का मेनोपॉज़, ओवरीज़ को सर्जरी द्वारा निकालने के कारण आता है उन्हें भी डिप्रेशन होने के चांसेस बढ़ जाते है।

 4. सामाजिक कारण

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समाज में महिलाओं के प्रति होने वाले व्यवहार भी उन्हे डिप्रेशन की ओर ढकेल सकता है। समाज के कई पहलू जैसे महिला होने के कारण भेद भाव फेस करना, घरेलू वायलेंस, गरीबी आदि कारण भी महिला स्ट्रेस और डिप्रेशन का शिकार हो सकती है। वर्क प्लेस में कई बार एक महिला को पुरुषों के मुकाबले उतना ही काम करने के लिए कम पैसे मिलते हैं साथ ही उन्हें काबिल होने के बावजूद मौके भी कम दिये जाते हैं। जिसके कारण भी उन्हें काफी स्ट्रेस का सामना करना पड़ता है और इससे वो एंग्जायटी और डिप्रेशन से प्रभावित हो सकती है।

 5. प्रेगनेंसी 

प्रेगनेंसी के कारण एक महिला के शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं जिससे उनका मूड भी काफी अफेक्ट होता है। ऐसे वक्त में डिप्रेशन का रिस्क भी काफी बढ़ जाता है। प्रेगनेंसी में  डिप्रेशन से ग्रसित होने के कई कारण हो सकते है उसमें से लाइफस्टाइल, रिलेशनशिप की समस्या, लोगों का सपोर्ट ना मिलना, इनफर्टिलिटी आदि भी शामिल है।

Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।

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