Women Health: जब महिलाएं 40 साल की उम्र पार करती हैं, तो कई तरह की शारीरिक समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। इसकी एक वजह मेनोपॉज की शुरुआत मानी जा सकती है, जो आमतौर पर इसी उम्र में होती है। मेनोपॉज के कारण महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है, जिससे उन्हें कई शारीरिक परिवर्तनों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, इस दौरान महिलाओं के बीमार होने का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसी स्थितियों से बचने के लिए, महिलाओं को समय-समय पर हेल्थ चेकअप करवाना चाहिए और आवश्यक टेस्ट करवाने चाहिए। इसके लिए 40 साल की उम्र के बाद महिलाओं को कौन-कौन से टेस्ट करवाने चाहिए, आइए जानें।
40 की उम्र के बाद महिलाएं जरूर करवाएं ये टेस्ट
बोन डेंसिटी टेस्ट
ऑस्टियोपोरोसिस, एक जानलेवा बीमारी है जिसके लिए बोन डेंसिटी टेस्ट महत्वपूर्ण है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हड्डियों से जुड़ी समस्याओं का खतरा भी बढ़ता है। खासकर, महिलाओं में मेनोपॉज के बाद ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा अधिक होता है। इस टेस्ट की सहायता से बोन डेंसिटी का पता लगाया जा सकता है। इसके बाद, जरूरत पड़ने पर महिलाएं अपने लाइफस्टाइल में परिवर्तन करके अपने आप को स्वस्थ रख सकती हैं।
पैप स्मीयर और एचपीवी टेस्ट
पैप स्मीयर और ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) टेस्ट भी महिलाओं को 40 साल की उम्र में अवश्य करवाने चाहिए। इन टेस्टों की मदद से सर्वाइकल कैंसर का पता लगाया जा सकता है। हालांकि, मेनोपॉज के बाद कुछ बीमारियों के रिस्क कम होते हैं, लेकिन पैप स्मीयर टेस्ट की आवश्यकता कम नहीं होती। इसके बावजूद, एचपीवी टेस्ट करवाना आवश्यक होता है। इस टेस्ट से सर्वाइकल कैंसर के प्रारंभिक चरण का पता लगाया जा सकता है।
मैमोग्राम
महिलाओं में बढ़ती उम्र के साथ स्तन कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए, 40 साल की उम्र के बाद महिलाओं को मैमोग्राम करवाना आवश्यक है। यह एक इमेजिंग टेस्ट है जो स्तन के टिश्यू में हो रही असामान्यता का पता लगा सकता है। इस टेस्ट के माध्यम से स्तन कैंसर या स्तन से संबंधित किसी भी समस्या को पहले से ही पहचाना जा सकता है।
ब्लड प्रेशर और लिपिड प्रोफाइल टेस्ट
रजोनिवृत्ति के बाद, महिलाओं में हार्ट संबंधी बीमारियों का रिस्क बहुत अधिक बढ़ जाता है। इसलिए, हार्ट हेल्थ की जांच के लिए ब्लड प्रेशर और लिपिड प्रोफाइल टेस्ट करवाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। ब्लड प्रेशर और लिपिड प्रोफाइल की जांच से यह पता चलता है कि क्या बीपी का स्तर सामान्य है या नहीं। अगर बीपी का स्तर असामान्य है, तो हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, और अन्य हार्ट संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है
थायराइड फंक्शन टेस्ट
वृद्धि के साथ साथ हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म जैसी बीमारियों के खतरे को ध्यान में रखते हुए। थायराइड के लक्षण कई मामलों में गहन हो सकते हैं, इसलिए इसे पहले ही पहचान लेना आवश्यक है। यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो थायराइड समस्याओं के कारण आपको अन्य शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें वजन बढ़ना भी शामिल है। थायराइड फंक्शन टेस्ट के माध्यम से आप आगामी समस्याओं के संकेतों को पहचान सकते हैं और समय पर इसका इलाज करवा सकते हैं।
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