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Photograph: (pinterest )
Know what are the changes in the new school curriculum regarding sex education: भारत में यौन स्वास्थ्य और सेक्स एजुकेशन को लेकर लंबे समय से चुप्पी और झिझक का माहौल रहा है। लेकिन अब शिक्षा नीति में हो रहे बदलावों के साथ, स्कूली पाठ्यक्रम में यौन शिक्षा (Sex Education) को लेकर नए और प्रगतिशील दृष्टिकोण शामिल किए जा रहे हैं। यह बदलाव किशोरों को सुरक्षित, जागरूक और स्वस्थ यौन जीवन के लिए तैयार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। आइए जानते हैं कि नए स्कूल करिकुलम में सेक्स एजुकेशन को कैसे पेश किया जा रहा है और इसके क्या फायदे हैं।
जानिए सेक्स एजुकेशन को लेकर नए स्कूल करिकुलम में क्या है बदलाव
सेक्स एजुकेशन में नए बदलाव: क्या अब अलग तरीके से पढ़ाया जाएगा?
पहले जहां यौन शिक्षा को केवल "प्रजनन स्वास्थ्य" तक सीमित रखा जाता था, वहीं अब इसे "कॉम्प्रिहेंसिव सेक्सुअलिटी एजुकेशन (CSE)" के रूप में पढ़ाया जाने लगा है। नए पाठ्यक्रम में न सिर्फ शारीरिक बदलावों, बल्कि सहमति (Consent), सुरक्षित यौन संबंध (Safe Sex), LGBTQ+ अवेयरनेस और इंटरनेट सुरक्षा (Cyber Safety) जैसे विषयों को भी शामिल किया गया है।
बॉडी पॉजिटिविटी और सेल्फ-अवेयरनेस पर फोकस
नए करिकुलम में बच्चों को उनके शरीर में होने वाले बदलावों के बारे में सही और वैज्ञानिक जानकारी दी जा रही है। इसके साथ ही, गलत सामाजिक मान्यताओं (जैसे पीरियड्स को लेकर झिझक) को दूर करने पर जोर दिया जा रहा है।
सहमति (Consent) और हेल्दी रिलेशनशिप्स की शिक्षा
अब स्कूलों में बच्चों को यह सिखाया जा रहा है कि किसी भी शारीरिक संबंध के लिए स्पष्ट सहमति जरूरी है। साथ ही, हेल्दी रिलेशनशिप्स, गुड टच-बैड टच और यौन उत्पीड़न से बचाव के बारे में भी जागरूक किया जा रहा है।
LGBTQ+ इनक्लूसिविटी
नए शिक्षा मॉड्यूल में अब समलैंगिकता, ट्रांसजेंडर और नॉन-बाइनरी पहचान के बारे में भी बताया जा रहा है, ताकि बच्चे विविधता को समझें और भेदभाव से बचें।
सुरक्षित इंटरनेट और सोशल मीडिया यूज़
डिजिटल युग में यौन शोषण और साइबर बुलिंग के मामले बढ़ रहे हैं। इसलिए, अब स्कूलों में बच्चों को ऑनलाइन प्राइवेसी और सेफ्टी के बारे में भी शिक्षित किया जा रहा है।
क्या ये बदलाव वाकई फायदेमंद हैं?
इन नए बदलावों का मकसद बच्चों को यौन स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाना है, ताकि वे गलत जानकारियों (जैसे पोर्नोग्राफी या मिथकों) पर निर्भर न रहें। इससे किशोर गर्भावस्था, यौन रोगों (STDs) और मानसिक तनाव जैसी समस्याओं से बच सकते हैं।
सेक्स एजुकेशन में ये नए बदलाव भारत जैसे रूढ़िवादी समाज में एक बड़ा कदम हैं। अगर इसे सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह न सिर्फ यौन स्वास्थ्य, बल्कि समाज में समानता और सुरक्षा को भी बढ़ावा देगा।