World Sexual Health Day: बिना सेक्स की शादी में महिलाएँ कैसे प्रभावित होती हैं?

हम ऐसे समाज में रहते हैं जहां महिलाओं की भावनात्मक ज़रूरतों पर तो थोड़ी बहुत बात होती है, लेकिन उनकी शारीरिक ज़रूरतों को अब भी नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। उन्हें सिखाया जाता है कि इस पर बात करना शर्म की बात है।

author-image
Rajveer Kaur
एडिट
New Update
Tips to make your sex romantic and intimate

Photograph: (File Image )

हम ऐसे समाज में रहते हैं जहां महिलाओं की भावनात्मक ज़रूरतों पर तो थोड़ी बहुत बात होती है, लेकिन उनकी शारीरिकज़रूरतों को अब भी नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। उन्हें सिखाया जाता है कि इस पर बात करना शर्म की बात है जैसे उनके अंदर कोई चाहत होना ही गलत हो। खासकर शादी के बाद, जब रिश्ते में शारीरिक जुड़ाव कम होने लगे, तब भी महिलाएं चुप रह जाती हैं। लेकिन क्या चुप रहना ही हर जवाब का हल है? अब समय आ गया है कि हम इस खामोशी को तोड़ें और महिलाओं की सेक्सुअलवेल-बीइंग पर भी खुलकर बात करें।

Sexless Marriage में महिलाएँ कैसे प्रभावित होती हैं?

सेक्सलेस मैरिज क्या होती है?

Advertisment

सेक्सलेस मैरिज का मतलब है वो शादी जहां फिज़िकल इंटिमेसी धीरे-धीरे गायब हो जाती है। एक ऐसा रिश्ता, जिसमें दो लोग साथ रहते हैं, लेकिन जुड़ते नहीं। यह सिर्फ शारीरिक दूरी नहीं होती, दिल भी धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं। और जब इस रिश्ते में महिला होती है, तो तकलीफ़ और भी गहरी हो जाती है।

क्यों महिलाओं को हमेशा दूसरों को खुश रखना सिखाया गया?

हमेशा यही कहा गया पहले पति, फिर बच्चे, फिर घर… और खुद का नंबर शायद कभी नहीं आता। एक महिला कब खुद के बारे में सोचे, ये सवाल ही नहीं उठता। अगर वो अपनी ज़रूरत की बात करे तो उसे बेशर्म कह दिया जाता है। क्या कोई भी इंसान इतना दबकर खुश रह सकता है?

जब रिश्ते में प्यार से ज़्यादा खामोशी रह जाए

जब किसी रिश्ते में फिज़िकल और इमोशनल कनेक्शन ना के बराबर रह जाए, तो वो सिर्फ एक जिम्मेदारी बनकर रह जाता है। आप अपने ही घर में अकेलेपन से घिरने लगते हैं। मन बेचैन रहता है, पर समझ नहीं आता कि आखिर दिक्कत क्या है। प्यार की कमी धीरे-धीरे आपको तोड़ने लगती है।

अपनी ज़रूरतों के लिए बोलना क्यों ज़रूरी है?

Advertisment

महिलाओं को ये जानना जरूरी है कि उनकी भी इच्छाएं वैलिड हैं। सेक्स एक नेचुरल ज़रूरत है और इसकी चाहत रखना बिल्कुल नॉर्मल बात है। इसमें कोई शर्म नहीं होनी चाहिए। अपने मन की बात कहना बेशर्मी नहीं, बल्कि खुद से प्यार करने का तरीका है।

क्या करें जब रिश्ता सिर्फ नाम का रह जाए?

अगर आप सेक्सलेस मैरिज में हैं और लगातार खुद को खोया हुआ महसूस कर रही हैं, तो यह बात नजरअंदाज़ नहीं करनी चाहिए। थेरेपी लेना एक हेल्दी स्टेप हो सकता है चाहे अकेले जाएं या पार्टनर के साथ। आप चाहें तो सोलो इंटिमेसी यानी मास्टरबेशन या सेक्स टॉयज़ की मदद से खुद से जुड़ने की कोशिश भी कर सकती हैं।

आपको भी हक है खुश रहने का

एक महिला को सिर्फ देने के लिए नहीं, महसूस करने और जीने के लिए भी बनाया गया है। सेक्स, प्यार, और अपने लिए सोचने की चाह ये सब आपकी इंसान होने की निशानी है। खुद को सुनना शुरू कीजिए। क्योंकि आपकी खुशी भी मायने रखती है और आप पूरी तरह से उसे डिज़र्व करती हैं।

sexless marriage