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आज का युग बहुत आगे बढ़ चुका है लेकिन इन संस्थानों में बच्चों को दूसरे जेंडर से दूर रखकर उनके अंदर उनसे बात करने के लिए आत्मविश्वास की कमी आ जाती है। टीचर्स भी ऐसे शब्दों का प्रयोग करती है जो बच्चों को ट्रामा देकर जाते है।
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