भारतीय परिवारों में आज भी लड़कियों के साथ ज्यादा बात नहीं की जाती है। उनके फैसले भी खुद लिए जाते हैं जिसमें उनके भागीदारी भी कम होती है। आज हम जानेंगे कि कैसे पेरेंट्स अपने घर पर बेटियों के लिए खुला और सहज माहौल पैदा कर सकते हैं-
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