How Can Parents Establish Open Communication With Daughters: भारतीय परिवारों में आज भी लड़कियों के साथ ज्यादा बात नहीं की जाती है। उनके फैसले भी खुद लिए जाते हैं जिसमें उनके भागीदारी भी कम होती है। बहुत कम ऐसे परिवार होते हैं जो बेटी से उसकी चॉइस पूछते हैं या फिर उन्हें इस बात से मतलब होता है कि वह क्या चाहती है। आमतौर पर लोगों की सोच यह होती है कि बेटी को पढ़ा-लिखा कर उसकी शादी करवानी चाहिए ताकि हम अपनी जिम्मेदारियां से मुक्त हो सके। इससे बहुत सारी महिलाएं कभी अपने दिल की बात कह नहीं पाती हैं। आज हम जानेंगे कि कैसे पेरेंट्स अपने घर पर बेटियों के लिए खुला और सहज माहौल पैदा कर सकते हैं ताकि वो भी बातचीत कर सकें-
बेटी के साथ बातचीत का खुला और सहज माहौल कैसे बनाएं पेरेंट्स
उनके साथ समय व्यतीत करें
अगर आप लोग चाहते हैं कि आपकी बेटी आपके साथ खुलकर बातचीत करें और उसे आपके साथ बात करने में कोई परेशानी ना हो तो सबसे पहले आपको उसे समय देना शुरू करना होगा। इससे उसे ऐसा लगने लगेगा कि आप उसकी परवाह करते हैं और आप उसे सुनना चाहते हैं। जब आप उसकी बातों को ध्यान से सुनेंगे और उसे उतना समय देंगे जितना एक बच्चे को चाहिए होता है तब आपके बीच में बैरियर खत्म हो जाएंगे और आप एक दूसरे के साथ खुलकर और सहज तरीके से बातचीत कर सकते हैं।
उनकी भावनाओं को वैलिडेट करें
जब हम दूसरे की भावनाओं को वैलिडेट करने लग जाते हैं और यह मानते हैं कि वह जो महसूस कर रहा है उसकी वैल्यू करनी चाहिए तब आपके बीच में एक रुकावट नहीं आती है और मां-बाप को भी अपनी बेटी की भावनाओं की वैल्यू करनी चाहिए और उसे स्वीकार करना चाहिए। जिस भी तरह से वह अपने इमोशंस को रिलीज कर रही हैं, उनके इमोशंस को बेकार मत माने या फिर उन्हें नकारे मत।
जज मत करें
जब आप बेटी के साथ बातचीत कर रहे हैं तब आपको उन्हें जज नहीं करना चाहिए। आपको बिना किसी जजमेंट के उनकी बातों को ध्यान से सुनना चाहिए। अगर आप उनकी किसी भी बात पर सहमत नहीं है तो आप असहमति हो सकते हैं लेकिन उनकी चॉइस या डिसीजन के लिए उन्हें जज करना या फिर गलत ठहराना बिल्कुल भी सही नहीं है, इससे बच्चा आपके साथ बात करना छोड़ देगा और आपसे दूर भागेगा। उसे लगेगा कि आप उसकी हर बात को गलत ही मानेंगे या फिर उसे स्वीकार नहीं करेंगे। इससे वह आपके साथ बिल्कुल ही बातचीत करना बंद कर देगा जिससे आपका उनके साथ कनेक्शन टूट सकता है।
बाउंड्रीज का ध्यान रखें
पेरेंट्स बहुत बार ऐसी गलती कर देते हैं कि वह अपने बच्चों की प्राइवेसी में घुसने लग जाते हैं, उन्हें लगता है कि वह उनकी हर चीज के बारे में जानने के हकदार हैं और वह बाउंड्रीज को क्रॉस करने लग जाते हैं जिससे बच्चा असुरक्षित महसूस करने लग जाता है। खासकर जब बात बेटियों की आती हैं तो उन्हें इसकी बात को लेकर बहुत ज्यादा बुरा महसूस होता है लेकिन वह इसके बारे में कह नहीं पाती है। इसलिए आपको बच्चे की बाउंड्रीज का ध्यान जरूर चाहिए।
उन्हें सुरक्षित महसूस करवाएं
आपको बेटियों को सुरक्षित महसूस करवाना चाहिए कि आप जो भी बात उनके साथ कर रहे हैं जो भी बात वह आपको बता रही है, वो आप किसी के साथ नहीं करेंगे या फिर उनका मजाक नहीं बनाएंगे। जब उन्हें आपके साथ बात करके सुरक्षित महसूस होगा तब आप दोनों के बातचीत में कोई बैरियर नहीं आएगा। आप एक दूसरे के साथ कंफर्टेबल होकर बात कर सकते हैं और वो भी आपसे कोई बात छुपाएगा नहीं क्योंकि उसे कोई डर नहीं है। जब आप बच्चों के साथ डर का माहौल बनाकर रखते हैं तो बच्चा आपसे बात करने के दौरान घबराता है।