कौन हैं हिमांशी टो़कस? पहली भारतीय जुडोका जिन्होंने हासिल किया जूनियर वर्ल्ड नंबर 1 रैंक

नई दिल्ली की युवा खिलाड़ी हिमांशी टो़कस ने इतिहास रच दिया है। वह इंटरनेशनल जुडो फेडरेशन (IJF) रैंकिंग में गोल्ड मेडल जीतकर वर्ल्ड नंबर 1 स्थान पाने वाली पहली भारतीय बनी हैं।

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Rajveer Kaur
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Himanshi Tokas

Photograph: (Himanshi Tokas)

दिल्ली की 20 वर्षीय जुडोका हिमांशी टो़कस ने इतिहास रच दिया है। वह इंटरनेशनल जुडो फेडरेशन (IJF) जूनियर रैंकिंग में महिलाओं के 63 किलोग्राम वर्ग में वर्ल्ड नंबर 1 स्थान हासिल करने वाली पहली भारतीय बनी हैं। उनकी यह उपलब्धि 2025 में लगातार गोल्ड मेडल जीतने से संभव हुई, जिनमें जनवरी में कासाब्लांका अफ्रीकन ओपन, जुलाई में ताइपे जूनियर एशियन कप और सितंबर में एशियन जूनियर चैंपियनशिप शामिल हैं।

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कौन हैं हिमांशी टो़कस? पहली भारतीय जुडोका जिन्होंने हासिल किया जूनियर वर्ल्ड नंबर 1 रैंक

हिमांशी की जुडोका बनने की यात्रा

दक्षिण दिल्ली के मुनिरका की रहने वाली हिमांशी टो़कस ने 18 साल की उम्र में अपना करियर शुरू किया। शुरुआती दौर में परिवार ने उनके खेल को लेकर संकोच जताया, लेकिन उनकी मां ने हमेशा उनका साथ दिया और समाज की रूढ़िवादिता से लड़ने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया।

हिमांशी ने जुडो की बुनियादी ट्रेनिंग स्थानीय अखाड़ों से शुरू की और जल्द ही सब-जूनियर नेशनल्स और खेलो इंडिया यूथ गेम्स में बेहतरीन प्रदर्शन कर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। इसके बाद उन्होंने खेल प्राधिकरण (SAI) के भोपाल स्थित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में कोच यशपाल सोलंकी के साथ पेशेवर ट्रेनिंग शुरू की।

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जकार्ता में हुए एशियन जूनियर चैंपियनशिप में हिमांशी का प्रदर्शन यादगार रहा। सेमीफाइनल में उन्होंने भारतीय खिलाड़ी लिन्थोई चानंबम को हराया और फाइनल में उज्बेकिस्तान की निगीना सपारबोवा को मात देकर गोल्ड मेडल जीता।

इन जीतों से हिमांशी टो़कस को 610 रैंकिंग अंक मिले, जिससे उन्होंने इटली और ब्राज़ील जैसे मजबूत जुडो परंपरा वाले देशों की खिलाड़ियों को पीछे छोड़ दिया। उनकी तकनीकी महारत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी नौ जीतें इप्पोन (जुडो का नॉकआउट) से आई हैं।

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वह जूनियर डिवीजन में निर्विवाद वर्ल्ड नंबर 1 हैं और सीनियर वर्ल्ड रैंकिंग में 611 अंकों के साथ 61वें स्थान पर हैं। भले ही पेरिस और त्बिलिसी ग्रैंड स्लैम जैसे टूर्नामेंटों में उन्हें शुरुआती हार का सामना करना पड़ा, लेकिन इन प्रतियोगिताओं में उनका हिस्सा लेना उनके लंबे सफर के लिए अहम है।

आगे का सफर

हिमांशी टो़कस अब 5 अक्टूबर को होने वाले लीमा वर्ल्ड चैंपियनशिप्स जूनियर इंडिविजुअल्स में उतरेंगी, जहां उनका लक्ष्य वैश्विक जुडो ताकत के रूप में अपनी पहचान और मजबूत करना है। परिवार के विरोध और गंभीर आंख की चोट से उबरकर वर्ल्ड रैंकिंग तक पहुँचना उनकी प्रेरणादायक यात्रा है, जो भारतीय जुडो के भविष्य की अपार संभावनाओं को दर्शाती है।