Law And Her: भारत का संविधान 73 साल पहले फाॅर्स में आया गया था यानि की उसमे लिखे नियम और कानून को 1950 से मानना शुरू किया गया। संविधान में कई सारे नियम और कानून दियें गए हैं जीवित एवं मृत मनुष्य के लिए भी जो की उनके अधिकारों की सुरक्षा करने में मदद करता है। हमारे समाज में महिलाओं को आज भी बहुत दबाव में रखा जाता है फिर चाहे वो किसी की बेटी हो या किसी की बहु। शादी के बाद तो महिलाओं को अक्सर और भी सामाजिक दबाव में रहना परता है, अपने परिवार और ससुराल दोनों के इज़्ज़त बचाने के खातिर। देश का कानून इन्ही महिलाओं को मज़बूत बनाने के लिए लिखा गया है ताकि सबको अपने अधिकार मालूम हों। आइये इस ब्लॉग में पढ़े 5 अधिकार जो हर भारतीय विवाहित महिला को पता होनी चाहिए।
5 अधिकार जो हर भारतीय विवाहित महिला को पता होनी चाहिए
5 Rights Every Indian Married Woman Should Know
1. अपने अधिकारों को जानने का अधिकार
शादीशुदा महिलाओं के लिए भी अधिकार होतें हैं इस बात का ज्ञात उन्हें होना बहुत ही आवश्यक है। जबतक उन्हें इस बात का पता ही नहीं होगा तो कैसे आगे चलके किसी मुसीबत में खुदकी मदद कर पाएंगी। इसलिए उनका पूरा अधिकार होता है अपने अधिकारों के बारे में ज्ञान होना।
2. घर पाने का अधिकार
महिला यदि शादीशुदा है तो भी उसका अधिकार अपने माता पिता का घर यानि की मायका एवं ससुराल दोनों के घरों पर होता है। उसे न ही उसके ससुराल से निकाला जा सकता है, नाहिं उसके माता-पिता उसे वापिस अपने घर आने से रोक सकतें हैं।
3. किसी भी प्रकार के हिंसा के खिलाफ आवाज़ उठाने का अधिकार
महिलाओं के खिलाफ किसी भी तरह का हिंसा जैसे की शारीरिक, मानसिक या मौखिक और यौन रूप से को अपराध माना जाता है और महिलाओं के गवाही पर अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलती है।
4. भरण-पोषण पाने का अधिकार
महिला को घर खर्च और आर्थिक स्तिथि से अकेला नहीं छोरा जा सकता है। हर पति का यह दाईत्व होगा अपने पत्नी और बच्चे के लिए प्रोवाइड करना।
5. आपके शरीर पर अधिकार
आपके शरीर पर सिर्फ आपका अधिकार होगा। आपके शरीर से जुड़े निर्णय जैसे के सेक्स के लिए कंसेंट, मानसिक और शारीरिक हेल्थ और एबॉर्शन सिर्फ आपके ही बात और विचार पर निर्भर होगा।