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Stereotypes Thinking: लोग क्या कहेंगे, इसके बारे में केवल लड़कियाँ ही क्यों सोचे?

समाज में महिलाओं की स्थिति हमेशा से जटिल रही है। एक ओर, उन्हें स्वतंत्रता और समानता का अधिकार है, जबकि दूसरी ओर, उन्हें अनगिनत मानकों और धारणाओं के आधार पर जज किया जाता है।

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kukshita kukshita
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Dark Reality of Indian Society: समाज में महिलाओं की स्थिति हमेशा से जटिल रही है। एक ओर, उन्हें स्वतंत्रता और समानता का अधिकार है, जबकि दूसरी ओर, उन्हें अनगिनत मानकों और धारणाओं के आधार पर जज किया जाता है। "लोग क्या कहेंगे" की सोच एक ऐसी मानसिकता है जो न केवल लड़कियों के वर्तमान जीवन को, बल्कि उनके जीवन के हर पहलू को प्रभावित करती है। इन धारणाओं के चलते अक्सर लड़कियों को अपनी पसंद और इच्छाओं को छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। 

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4 बातें जो लड़कियों को मानसिक रूप से प्रभावित करती है 

शादी कब कर रही हो 

यह सवाल हर लड़की के जीवन का हिस्सा बन जाता है। सामाजिक समूहों में चाचियाँ और पड़ोसी अक्सर पूछते हैं, "शादी कब कर रही हैं?" और 28 की उम्र के बाद तो यह दबाव बढ़ जाता है मानो विवाह न करके कोई गुनाह कर दिया हो। समाज में यह धारणा है कि एक लड़की की पहचान शादी से होती है, जो उनकी स्वतंत्रता और आत्म-सम्मान को सीमित करती है। 

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लेट नाइट पार्टियाँ या ट्रैवल 

 "लेट नाइट पार्टियां शादी के बाद ही करना।" यह सोच लड़कियों को यह महसूस कराती है कि उनकी स्वतंत्रता केवल उनके विवाह के बाद ही संभव है। क्यों न वे अपने जीवन का आनंद पहले से ही लें? और यह भी की बाहर घूमने जाना है  “शादी के बाद पति के साथ जाना" जैसी बातें भी लड़कियों के लिए मानसिक बोझ बन जाती हैं। हर महिला को अपने सपनों को पूरा करने का हक हैं। 

शारीरिक रूप और लुक्स

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सामान्य से अधिक मोटा या पतला होना, बाल छोटे होना, टैटू और बॉडी डिजाइन या  समाज की बनी बनाई छवि के रूप में न रहना लड़कियों पर एक प्रश्न बन जाता है। ये बातें  न केवल उनके आत्म-सम्मान को प्रभावित करती हैं, बल्कि उन्हें यह महसूस कराती हैं कि उनकी पहचान केवल उनके लुक्स से ही निर्धारित होती है।  

भाषा और व्यवहार

"लड़की होकर गाली देती हो" या "आवाज धीरे रखो" जैसी टिप्पणियाँ भी लड़कियों को प्रभावित करती हैं। ये बातें उन्हें यह सिखाती हैं कि वे अपने विचारों को व्यक्त करने से बचें। जबकि हर व्यक्ति को अपनी बात कहने का हक है।

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यह जरूरी है कि हम इस सोच को चुनौती दें और एक ऐसा समाज बनाएँ, जहां महिलाएं बिना किसी डर या पूर्वाग्रह के अपने जीवन को जी सकें। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि हर व्यक्ति को अपनी पसंद और इच्छाओं को प्राथमिकता देने का अधिकार है। "Live your life as you wish" का सिद्धांत सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक वास्तविकता बननी चाहिए। 

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