मेनोपॉज़ कभी एक बार दरवाज़ा खटकाकर शांतिपूर्वक अंदर नहीं आता। कई महिलाओं के लिए यह बहुत धीरे आता है, ऐसे छोटे संकेतों के साथ जिन्हें शुरुआत में पहचानना मुश्किल होता है। आप खुद को थोड़ा अलग महसूस कर सकती हैं और समझ नहीं पातीं कि ऐसा क्यों हो रहा है।
कभी पीरियड अनियमित हो जाते हैं। कभी रात में अचानक पसीना आ जाता है। कुछ दिनों में बिना किसी कारण भावनाएँ बहुत भारी लगती हैं। ये लक्षण आपके पीरियड बंद होने से कई महीने या कई साल पहले भी शुरू हो सकते हैं। इन्हें जल्द पहचानने से यह पूरा सफर काफी आसान हो जाता है।
Menopause Symptoms: आपका शरीर आपको क्या बताने की कोशिश कर रहा है
प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. सुदेशना रे मेनोपॉज़ के लक्षणों के बारे में बताती हैं जैसे पीरियड में बदलाव, हॉट फ्लशेस, नाइट स्वेट्स, थकान और मूड स्विंग्स।
पीरियड में बदलाव और हॉट फ्लशेस
डॉ. रे के अनुसार सबसे पहला और आम लक्षण है पीरियड में बदलाव। आपका मासिक चक्र अनियमित हो सकता है। कभी एक महीना छूट सकता है, कभी बहुत जल्दी पीरियड आ सकते हैं, और कभी रक्तस्राव बहुत ज़्यादा या लंबे समय तक हो सकता है।
कुछ महिलाओं को पीरियड से पहले या बाद में स्पॉटिंग भी होती है। यह परिमेनोपॉज़ में आम है, लेकिन किसी भी तरह का असामान्य ब्लीडिंग नज़रअंदाज़ नहीं करनी चाहिए।
डॉ. रे बताती हैं कि कई बार ऐसा ब्लीडिंग किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या का संकेत भी हो सकता है। इसलिए किसी भी असामान्य बदलाव पर तुरंत अपने डॉक्टर से बात करना ज़रूरी है।
इसके बाद आते हैं हॉट फ्लशेस, जो मेनोपॉज़ का सबसे पहचाना जाने वाला लक्षण है। हॉट फ्लश में अचानक शरीर में गर्मी की एक लहर उठती है, खासकर छाती से चेहरे तक। इसके साथ पसीना, दिल की धड़कन तेज होना और बेचैनी महसूस होना आम है।
ये एपिसोड कुछ सेकंड से लेकर कई मिनट तक रह सकते हैं। यह दिन में भी हो सकते हैं और रात की नींद भी खराब कर सकते हैं। कई महिलाओं को नाइट स्वेट्स भी होते हैं, जिससे थकान और नींद की कमी महसूस होती है।
भावनात्मक और शारीरिक बदलाव
डॉ. रे बताती हैं कि मेनोपॉज़ का एक और आम असर है भावनात्मक बदलाव। आप चिड़चिड़ापन महसूस कर सकती हैं, चिंता बढ़ सकती है, मूड अचानक नीचे आ सकता है या आप सामान्य से ज़्यादा संवेदनशील हो सकती हैं। छोटी बातें भी पहले से ज़्यादा परेशान करने लगती हैं।
इसके साथ नींद की दिक्कतें भी बहुत आम हैं। नींद आने में समय लगना, रात में बार-बार जागना या पूरी नींद लेने के बाद भी थकान महसूस होना इसमें शामिल है।
कुछ महिलाओं को शारीरिक बदलाव भी महसूस होते हैं, जैसे योनि में सूखापन, जिससे अंतरंग पलों में असहजता हो सकती है, और कई महिलाओं में यौन इच्छा में कमी भी देखी जाती है।
वज़न बढ़ना भी एक बड़ा चिंता का कारण है, खासकर पेट, कमर और कूल्हों के आसपास। शरीर का मेटाबॉलिज्म धीरे होने लगता है, इसलिए वही खाना खाने पर भी वज़न आसानी से बढ़ सकता है।
अन्य लक्षणों में जोड़ो का दर्द, बदन दर्द, सिरदर्द, स्तनों में संवेदनशीलता, बालों का पतला होना, त्वचा का सूखना, और याददाश्त में कमी या दिमाग का धुंधला महसूस होना शामिल है। इसमें आपको चीज़ें भूलने या ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल हो सकती है।
हर महिला का मेनोपॉज़ सफर अलग होता है। कुछ महिलाओं को हल्के लक्षण होते हैं और कुछ को ज़्यादा परेशानी होती है। सबसे ज़रूरी बात है कि इन लक्षणों को चुपचाप सहन न करें।
डॉ. रे बताती हैं कि ये बदलाव बिल्कुल स्वाभाविक हैं, लेकिन सही समर्थन, जागरूकता और मार्गदर्शन के साथ यह चरण कहीं अधिक सहज और सशक्त महसूस हो सकता है।
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