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'महिलाओं द्वारा लिखे पुरुष' का phenomenon क्या है?

टॉप-विडियोज़: एक साहित्यिक और सांस्कृतिक परिघटना है जिसमें पुरुष पात्रों को महिलाओं द्वारा लिखा जाता है। इसका मुख्य आकर्षण यह है कि जब महिलाएँ पुरुष पात्रों को लिखती हैं।

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Trishala Singh
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The Men Written by Women Phenomenon Explained: बॉलीवुड में पुरुष किरदारों में आए बदलाव ने एक नई दिशा दी है। अब पुरुष केवल माचो हीरो नहीं रह गए हैं जो महिलाओं को बचाते हैं, बल्कि वे संवेदनशील, करुणामय और सहानुभूतिपूर्ण भी होते हैं। यह नया दौर पुरुषों को रोने, मदद मांगने और अपने जीवन में महिलाओं की अहमियत को स्वीकार करने की अनुमति देता है। आइए, हम कुछ ऐसे पात्रों पर नजर डालते हैं जो इस बदलाव का प्रतीक हैं।

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'महिलाओं द्वारा लिखे पुरुष' का phenomenon क्या है?

रॉकी रंधावा

रॉकी रंधावा फिल्म "रॉकी और रानी की प्रेम कहानी" का मुख्य किरदार है। रॉकी का किरदार एक ऐसा पुरुष है जो केवल अपनी बाहुबल पर निर्भर नहीं करता, बल्कि अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में भी सक्षम है। वह करुणामय है और अपने परिवार और रानी के प्रति अपने कर्तव्यों को भली-भांति समझता है। रॉकी का किरदार इस बात का प्रमाण है कि एक सशक्त पुरुष वही है जो अपनी कमजोरियों को स्वीकार कर सके और उन्हें गले लगा सके।

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रॉकी का किरदार इस बात को भी दर्शाता है कि आज के समय में पुरुषों को अपने भावनाओं को दबाने की आवश्यकता नहीं है। वह रानी के प्रति अपने प्रेम और समर्पण को खुले दिल से व्यक्त करता है और यह दिखाता है कि सच्चा प्रेम केवल शारीरिक ताकत में नहीं, बल्कि भावनात्मक ताकत में निहित होता है।

सत्तू

सत्तू फिल्म "सत्यप्रेम की कथा" का मुख्य किरदार है। सत्तू एक ऐसा पात्र है जो अपने नाम के अनुसार सत्य और प्रेम का प्रतीक है। वह न केवल अपनी प्रेमिका के लिए समर्पित है, बल्कि उसके जीवन के कठिन पलों में उसके साथ खड़ा भी रहता है। सत्तू का किरदार इस बात का प्रतीक है कि सच्चा प्रेम वही होता है जो निस्वार्थ और सहानुभूतिपूर्ण हो।

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सत्तू का किरदार यह भी दिखाता है कि एक सच्चा पुरुष वही है जो अपने प्रेमिका के सपनों और आकांक्षाओं को समझता और सम्मान करता है। वह अपने प्रेमिका के संघर्षों को समझने की कोशिश करता है और उसे हर स्थिति में सहयोग देता है। सत्तू का किरदार यह साबित करता है कि सच्चा प्रेम केवल खुशियों में ही नहीं, बल्कि कठिनाइयों में भी साथी बनकर खड़ा रहने में है।

पंकज त्रिपाठी

पंकज त्रिपाठी एक ऐसे अभिनेता हैं जिन्होंने बॉलीवुड में अपने विभिन्न किरदारों के माध्यम से संवेदनशील और करुणामय पुरुषों की नई परिभाषा गढ़ी है। चाहे वह "गुंजन सक्सेना" में एक सहायक पिता का किरदार हो, "मिमी" में एक संवेदनशील और सहयोगी व्यक्ति का किरदार हो या "बरेली की बर्फी" में एक समझदार और सहानुभूतिपूर्ण पिता का किरदार हो, पंकज त्रिपाठी ने हमेशा अपने किरदारों को वास्तविकता और मानवीयता के साथ निभाया है।

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पंकज त्रिपाठी के किरदार हमेशा यह दर्शाते हैं कि सच्ची मर्दानगी केवल बाहुबल में नहीं, बल्कि दिल की गहराई में होती है। वे अपने किरदारों के माध्यम से यह संदेश देते हैं कि एक सशक्त पुरुष वही होता है जो अपने प्रियजनों के लिए अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त कर सके और हर स्थिति में उनके साथ खड़ा रह सके। पंकज त्रिपाठी न केवल अपने रील जीवन में, बल्कि वास्तविक जीवन में भी एक आदर्श व्यक्ति हैं। 

बॉलीवुड में आए इस बदलाव ने यह साबित कर दिया है कि मर्दानगी केवल शारीरिक शक्ति में नहीं, बल्कि भावनात्मक और मानसिक मजबूती में है। रॉकी रंधावा, सत्तू और पंकज त्रिपाठी जैसे किरदार इस नए दौर के प्रतीक हैं। वे दिखाते हैं कि सच्चा पुरुष वही है जो अपने जीवन में महिलाओं की अहमियत को समझे और उनकी सम्मान करे। यह नया दौर न केवल फिल्मों में, बल्कि वास्तविक जीवन में भी पुरुषों के लिए एक नया मानक स्थापित कर रहा है। अब समय आ गया है कि हम भी इन किरदारों से प्रेरणा लें और अपने समाज में इस सकारात्मक बदलाव को अपनाएं।

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