Why are breathing exercises important for pregnant women: गर्भावस्था के दौरान सही तरीके से सांस लेना न सिर्फ मां बल्कि बच्चे के लिए भी फायदेमंद होता है। इस समय शरीर में कई बदलाव होते हैं, जिससे सांस फूलना, तनाव और बेचैनी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ब्रीदिंग एक्सरसाइज न केवल फेफड़ों की क्षमता बढ़ाती है, बल्कि शरीर को अधिक ऑक्सीजन मिलती है, जिससे शिशु का विकास बेहतर होता है। यह एक्सरसाइज डिलीवरी के समय दर्द को सहने में भी मदद करती है और मानसिक शांति प्रदान करती है।
गर्भवती महिलाओं के लिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज क्यों जरूरी है?
गर्भावस्था एक खूबसूरत लेकिन चुनौतियों से भरा समय होता है। हर परिवार में यह देखा जाता है कि जब कोई महिला गर्भवती होती है, तो घर के लोग उसकी देखभाल को लेकर बहुत सतर्क हो जाते हैं। मां के खानपान से लेकर उसकी दिनचर्या तक सब कुछ ध्यान में रखा जाता है, लेकिन बहुत बार एक जरूरी चीज को नजरअंदाज कर दिया जाता है – सही तरीके से सांस लेना। गर्भावस्था में सांस फूलना, घबराहट होना या हल्का-फुल्का तनाव महसूस करना आम बात होती है। यह समस्या तब और बढ़ जाती है जब गर्भ का आकार बढ़ने लगता है और फेफड़ों पर दबाव पड़ता है।
हर घर में गर्भवती महिलाओं को यह महसूस होता है कि वे जल्दी थक जाती हैं, थोड़ा चलने पर सांस फूलने लगती है और कभी-कभी चक्कर जैसा भी लगता है। यह सिर्फ कमजोरी की वजह से नहीं बल्कि शरीर में ऑक्सीजन की कमी के कारण भी हो सकता है। इस समय शरीर को सामान्य से ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत होती है, क्योंकि मां को खुद के साथ-साथ बच्चे को भी ऑक्सीजन पहुंचानी होती है। जब सांस लेने का तरीका सही नहीं होता, तो शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती, जिससे थकान और कमजोरी महसूस होती है।
ब्रीदिंग एक्सरसाइज यानी सांस लेने की सही तकनीक सीखना गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद जरूरी है। इससे शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह सही बना रहता है, जिससे मां को ऊर्जा मिलती है और बच्चा भी सही तरीके से विकसित होता है। यह एक्सरसाइज शरीर को रिलैक्स करने में भी मदद करती है, जिससे तनाव और घबराहट कम होती है। बहुत बार घर के बड़े-बुजुर्ग यह सलाह देते हैं कि गर्भावस्था में दिमाग को शांत रखना चाहिए, लेकिन यह तभी संभव है जब शरीर और दिमाग को सही मात्रा में ऑक्सीजन मिले।
डिलीवरी के समय भी ब्रीदिंग एक्सरसाइज बहुत मददगार होती है। जब प्रसव का समय आता है, तो दर्द और घबराहट के कारण कई महिलाओं की सांसें तेज हो जाती हैं, जिससे उन्हें और ज्यादा तकलीफ महसूस होती है। सही ब्रीदिंग तकनीक अपनाने से दर्द को संभालना आसान हो जाता है और प्रसव प्रक्रिया भी थोड़ा सहज हो सकती है। कई डॉक्टर और दाई भी डिलीवरी के समय महिलाओं को धीमी और गहरी सांस लेने की सलाह देते हैं, ताकि शरीर को आराम मिले और प्रसव सही तरीके से हो सके।
अगर परिवार में कोई गर्भवती महिला है, तो उसे ब्रीदिंग एक्सरसाइज के महत्व को समझना चाहिए और इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। रोजाना कुछ मिनटों के लिए धीमी और गहरी सांस लेने से शरीर को आराम मिलता है, ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है और गर्भावस्था की कई सामान्य समस्याओं से राहत मिलती है। यह एक आसान और प्रभावी तरीका है, जिसे हर गर्भवती महिला को अपनाना चाहिए।
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