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Fair Skin: भारतीय गोरी त्वचा के प्रति इतने जुनूनी क्यों हैं?

टॉप-विडियोज़: भारतीय समाज में गोरी त्वचा को सुंदरता का मानक माना जाता है। इसके पीछे कई कारण हैं। ब्रिटिश शासन के दौरान गोरी त्वचा को उच्चता का प्रतीक माना जाता था।

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Trishala Singh
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Why Are Indians Obsessed with Fair Skin: भारत में गोरी त्वचा का जुनून कई दशकों से चला आ रहा है। यह न केवल समाज की मानसिकता को दर्शाता है, बल्कि एक बड़े उद्योग का भी हिस्सा है। इस लेख में हम इस विषय के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे, जिसमें उद्योग, विज्ञापन, मीडिया, बॉलीवुड और रंगभेद, वर्गभेद और जातिवाद शामिल हैं।

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Fair Skin: भारतीय गोरी त्वचा के प्रति इतने जुनूनी क्यों हैं?

1. स्किन फेयरनेस ऑब्सेशन

भारत में स्किन फेयरनेस उत्पादों का बाजार एक बहु-मिलियन डॉलर का उद्योग है। गोरा होने की चाहत को देखते हुए, कई कंपनियाँ फेयरनेस क्रीम, लोशन और अन्य उत्पाद बनाती हैं। इन उत्पादों की भारी मांग होती है, और यह उद्योग हर साल अरबों रुपये का व्यापार करता है। इस उद्योग का मुख्य उद्देश्य लोगों की गोरा होने की इच्छा को भुनाना है। फेयरनेस उत्पादों के विज्ञापन अक्सर यह संदेश देते हैं कि गोरा होना सफलता, सुंदरता और समाज में स्वीकार्यता का प्रतीक है।

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2. विज्ञापन का प्रभाव

विज्ञापनों में गोरी त्वचा को अधिक वांछनीय और आकर्षक दिखाया जाता है। फेयरनेस क्रीम के विज्ञापनों में दिखाया जाता है कि कैसे एक व्यक्ति फेयरनेस क्रीम का उपयोग करके अधिक सफल और आकर्षक बन सकता है। ये विज्ञापन खासकर युवा महिलाओं और पुरुषों को लक्षित करते हैं, और यह संदेश देते हैं कि गोरापन ही सुंदरता का एकमात्र मानक है। यह मानसिकता समाज में गहरे बैठ गई है और लोग गोरेपन को ही सुंदरता का पैमाना मानने लगे हैं।

3. मीडिया भी बढ़ावा देता है

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मीडिया भी अवास्तविक सुंदरता मानकों को बढ़ावा देने में एक बड़ा योगदान देता है। टेलीविजन, पत्रिकाओं और ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर गोरी त्वचा वाले मॉडल और कलाकारों को प्रमुखता से दिखाया जाता है। यह धारणा बनाई जाती है कि गोरा होना ही सुंदर और सफल होने का मानक है। इस प्रकार की प्रस्तुतिकरण न केवल अवास्तविक है, बल्कि यह समाज में गहरे रंग की त्वचा वालों के आत्म-सम्मान को भी कम करता है।

4. बॉलीवुड का गोरी त्वचा के प्रति जुनून

बॉलीवुड में भी गोरी त्वचा का जुनून स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। ज्यादातर प्रमुख अभिनेत्री और अभिनेता गोरे होते हैं। फिल्मों में नायिका का गोरा होना उसकी सुंदरता और आकर्षण का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा, गाने और डायलॉग्स में भी गोरी त्वचा को लेकर कई बार टिप्पणी की जाती है। यह फिल्म उद्योग में एक लंबे समय से चली आ रही परंपरा है, जो समाज में गहरे रंग के लोगों को हीन भावना से देखती है। Roy फिल्म में भी एक गाना था चिट्ठियां कलाइयां जिससे साफ जाहिर होता है बॉलीवुड का गोरी त्वचा के प्रति जुनून।

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5. रंगभेद, वर्गभेद और जातिवाद 

भारत में रंगभेद, वर्गभेद और जातिवाद भी गोरी त्वचा के प्रति जुनून को बढ़ावा देते हैं। ऐतिहासिक रूप से, उच्च जातियों और वर्गों के लोग गोरी त्वचा वाले होते थे, जबकि निम्न जातियों और वर्गों के लोग गहरे रंग के होते थे। यह धारणा आज भी समाज में बनी हुई है कि गोरी त्वचा उच्च वर्ग और जाति का प्रतीक है। इसके कारण, लोग गोरे होने की कोशिश करते हैं ताकि वे समाज में उच्च स्थान प्राप्त कर सकें।

भारत में गोरी त्वचा के प्रति जुनून कई सामाजिक और आर्थिक कारकों का परिणाम है। यह एक बहु-मिलियन डॉलर का उद्योग है, जिसे विज्ञापन, मीडिया, बॉलीवुड और समाज की रंगभेद, वर्गभेद और जातिवाद की धारणा ने बढ़ावा दिया है। यह जरूरी है कि समाज इन अवास्तविक और अनुचित सुंदरता मानकों को त्यागे और हर त्वचा के रंग को समान रूप से स्वीकार करे। जब हम सभी रंगों की सुंदरता को मान्यता देंगे, तभी समाज में एक सच्ची समानता और सुंदरता का दृष्टिकोण विकसित होगा।

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