क्यों पुरषों को 'NOT ALL MEN' कहना बंद करना चाहिए?

हमारे समाज में जब भी लड़कियों के खिलाफ क्राइम होता है तो एक ही बात कही जाती है #Notallmen।  अब सवाल यह उठता है कि जब भी लड़कियों के साथ किसी भी घटना होने पर हमें पुरषों के साथ की जरूरत होती है या फिर इस #notallmen जैसी मूवमेंट की?

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Rajveer Kaur
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Why can't men stop saying, 'NOT ALL MEN'?: हमारे समाज में जब भी लड़कियों के खिलाफ क्राइम होता है तो एक ही बात कही जाती है #Notallmen।  अब सवाल यह उठता है कि जब भी लड़कियों के साथ किसी भी घटना होने पर हमें पुरषों के साथ की जरूरत होती है या फिर इस #notallmen जैसी मूवमेंट की? जब भी महिलाओं की सुरक्षा की बात आती है तो पुरषों को #notallmen कहने की जरूरत क्यों पड़ती है? आईए जानते हैं इस ट्रेंड के पीछे की सोच क्या है?

Defensive Mode

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इसके पीछे की सोच यह है कि यह लोग पहले ही क्लियर कर देना चाहते हैं कि उन्होंने कुछ नहीं किया है। वह खुद को इन इल्जामों से बचाना चाहते हैं। सभी पुरुषों को यह जान लेना चाहिए कि अगर आप उन पुरुषों की सूची में नहीं आना चाहते हैं जो महिलाओं को तंग करते हैं या फिर उन्हें एब्यूज करते हैं तो उनका #notallmen कहना बिल्कुल भी जायज नहीं है। इससे आप फोक्स को मुख्य इशू से हटाकर अपने उपर डाल रहे हैं। इसकी बजाय आप महिलाओं की समस्या को समझने की कोशिश करें।

क्यों पुरषों को 'NOT ALL MEN' कहना बंद करना चाहिए?

Men Get Abused Too

अगर आप लोग उस समय मर्दों की समस्याओं के ऊपर बात करोगे जब महिलाएं अपने बारे में बात करती हैं तो उन्हें ऐसा लगता है कि आपको हम महिलाओं के प्रॉब्लम्स में कोई भी इंटरेस्ट नहीं है। मर्दों की प्रॉब्लम्स और इश्यूज को उठाना भी बहुत जरूरी है। उनके महत्व को प्रलोभन के रूप में महत्वहीन न समझें सिर्फ इसलिए क्योंकि जो महिलाओं के साथ हो रहा है आप उस अनकंफरटेबल बातचीत को अवॉइड करना चाहते हैं।

चलिए जानते हैं 5 कारण ये ट्रेंड क्यों नहीं चलाना चाहिए

  1. इससे महिलाओं की कोई भी मूवमेंट पुरुषों की बन जाती है। एक बार तो पुरुष डिस्कशन का सेंटर नहीं होने चाहिए। हम भी जानते हैं कि सभी पुरुष रेपिस्ट या फिर एब्यूजर नहीं होते हैं। आपको यह भी समझने की जरूरत है लेकिन एक से ज्यादा तरीकों से सभी hetro-cis पुरष इस सिस्टम से फायदा लेते हैं जिनमें महिलाओं और दूसरे जेंडर को दबाया जाता है।
  2. इससे यह भी शो होता है कि आप लोगों को महिलाओं के अधिकारों से कुछ भी लेना देना नहीं है। आपको लगता है कि हमारी लाइफ में इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है या फिर हमारी जिंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा है तो हमें इन महिलाओं को सपोर्ट करने की जरूरत नहीं है और आप लोग खुद को डिफेंड करने में लग जाते हैं।
  3. ऐसे ट्रेंड से महिला का अपना खुद का एक्सपीरियंस डिसमिस हो जाता है। आप लोगों को एक चीज समझने की जरूरत है कि अगर कोई महिला अपने साथ हो रहे  एब्यूज के बारे में बात कर रही है तो उसमें बहुत हिम्मत की जरूरत होती है जो बहुत सारी महिलाएं नहीं जुटा पाती हैं। वहीं पर आप उस महिला को, जो अपने साथ हो रहे अन्याय और ट्रॉमा देने वाले अनुभव को शेयर करती है, उसे सामने से यह सुनने को मिलता है कि सभी पुरुष ऐसे नहीं होते हैं। ऐसे में आपको सिर्फ यही सुझाव है कि अगर आपके पास कुछ और बोलने को नहीं है तो ऐसा मत बोलिए कि सभी पुरुष ऐसे नहीं होते हैं।
  4. ऐसे ट्रेंड से यह भी साबित होता है कि पुरुषों की मर्दानगी कितनी नाजुक के है जो किसी भी क्राइम की बात आपको खुद को डिफेंड करने की तरफ मोड़ देती है। आप ऑटोमेटेकली सोशल मीडिया पर जाकर टाइप करने लग जाते हैं कि सभी पुरुष तो ऐसे नहीं हैं। यह जो अच्छे पुरुष बनने का विचार हैं, इसमें भी समस्या है कि आखिर यह अच्छे पुरुष होते कौन हैं? जो महिलाओं के साथ रेप या फिर एब्यूज नहीं करते हैं और सिविल होते हैं। क्या इनकी मर्दानगी इतनी नाजुक है कि इन्हें वैलिडेशन की जरूरत पड़ती है?
  5. आखिर में यही साबित होता है कि तुम लोग अपने व्यवहार को बदलना नहीं चाहते बल्कि खुद को डिफेंड ही करना जानते हैं- हम ऐसे नहीं है या फिर सभी पुरुष महिलाओं के साथ गलत या बुरा व्यवहार नहीं करते हैं और उनकी रिस्पेक्ट करते हैं। सबसे पहले आपको खुद के ऊपर सवाल उठाने की जरूरत है। अपने बिहेवियर को देखने की जरूरत है। क्या कभी जाने या फिर अनजाने में किसी को अनकंफरटेबल महसूस करवाया है? क्या आप कैजुअल सेक्सिज्म में शामिल है या फिर आप अपने आसपास की महिलाओं को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं?
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